रेलवे अधिकारी की दादागिरी : अधीनस्थ कर्मचारी के साथ की मारपीट, लात घूसों से किया छाती पर वार
रतलाम, 02 फरवरी(इ खबर टुडे)। रतलाम मंडल में ट्रैफिक वर्कशॉप में हमेशा विवादों में रहने वाले रमाकांत सारस्वत शुक्रवार सुबह अपना आपा खो बैठे हैं। अपने अधीनस्थ कर्मचारी के साथ मारपीट कर बैठे। घटना के बाद कर्मचारी का जिला अस्पताल में उपचार चल रहा है। मारपीट करने वाले सारस्वत के खिलाफ दर्जनों शिकायतें दर्ज है मगर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
मिली जानकारी के अनुसार रेलवे रतलाम मंडल के ट्रैफिक वर्कशॉप के SSE रमाकांत सारस्वत के विरुद्ध डिपार्टमेंट में कई शिकायत आ चुकी है। शुक्रवार 2 फरवरी को सुबह 10:00 बजे हमेशा की तरह डीआरएम ऑफिस में नितिन जोशी (OS) ऑफिस पहुंचे। साइन किए और हमेशा की तरह कार्य के लिए ट्रैफिक वर्कशॉप में गए।
अभद्रता के बाद की मारपीट
इस दौरान ट्रैफिक वर्कशॉप SSE रमाकांत सारस्वत ने नितिन जोशी से अभद्रता करते हुए मारपीट की। डेस्क पर रखें फोन से नितिन जोशी पर हमला किया जिससे नितिन जोशी के हाथ में गंभीर चोट आई और हाथ सूजन आ गई।। इतने से भी जब सारस्वत संतुष्ट नहीं हुए तो उन्होंने नितिन जोशी पर लात घुसो से हमला करते हुए उन्हें गिरा दिया। उनके चेहरे पर हमला कर और उनकी छाती पर लात घुसे चलाने शुरू कर दिए।
परिजनों को दी घटना की सूचना
घायल नितिन जोशी ने घटना की सूचना अपने भाइयों को फोन पर दी, उन्हें बुलाया। भाई और पत्नी जब ऑफिस पहुंचे तो अधिकारी सारस्वत ने उनकी पत्नी के साथ भी अभद्रता की। सारस्वत ने गालियों के साथ मारपीट करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। ऐसे में कोई कर्मचारी अपने आप को सुरक्षित कैसे समझेगा। हालांकि अधिकारियों का कहना है के मामले की गंभीरता को समझते हुए कार्रवाई की जाएगी।
ले गए रेलवे अस्पताल, जहां से भेजा जिला चिकित्सालय
तत्काल घायल जोशी को रेलवे अस्पताल ले जाया गया। वहां से उन्हें जिला अस्पताल भेजा गया। नितिन जोशी को जिला अस्पताल में भर्ती किया गया। उनका उपचार किया जा रहा है।
पूर्व में भी हो चुकी है कई शिकायतें
पूर्व में भी कई कर्मचारी उनके अड़ियल रवैए के विरुद्ध कई शिकायत उच्च अधिकारियों को कर चुके हैं। बताया जा रहा है रमाकांत सारस्वत पूर्व में नागदा में पदस्थ थे, जहां उनके विरुद्ध शिकायत प्राप्त हुई थी और उन्हें रतलाम भेजा गया था। कई कर्मचारियों ने रमाकांत सारस्वत के बारे में बताया कि आए दिन झगड़ा करते रहते हैं। कई कर्मचारी उनके विरुद्ध शिकायत कर चुके हैं। कोई कर्मचारी उनके अधीनस्थ काम नहीं करना चाहता। मामला गंभीर है। रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा कार्रवाई का आश्वासन दिया गया है। कार्रवाई नहीं की गई है जबकि शिकायतों का अंबार लगा हुआ है।