November 25, 2024

Raag Ratlami Election Result : चुनाव के नतीजे एक पखवाडे बाद,शहर और ग्रामीण के रिजल्ट से तय होगी दिल्ली की एन्ट्री

रतलाम। हफ्ते भर पहले वोट डालने के बाद रतलाम के बाशिन्दे जहां जीत हार की जोड बाकी में जुटे हैैं वहीं जिला इंतजामिया के अफसर वोटों को गिनने की तैयारियों में जुटे है। नतीजों के आने में अभी एक पखवाडा बाकी है। तमाम नेता चुनावी दौड भाग के बाद आराम की मुद्रा में है और सियासी हलचल पूरी तरह से शांत पडी है।

फूलछाप वाले मंत्री जी की मैडम को जीता हुआ मान रहे है। उन्हे लग रहा है कि चार सौ पार का नारा पूरा असर दिखाएगा और मैडम जी आसानी से जीत जाएगी। दूसरी ओर पंजा पार्टी में पक्का भरोसा रखने वाले लोगों को साहब से उम्मीद है कि वे कोई कमाल जरुर दिखाएंगे। झाबुआ वाले साहब कई बार चुनाव जीत चुके है,केन्द्रीय सरकार में दो दो बार मंत्री भी रह चुके है। इसलिए उनके समर्थकों को भरोसा है कि अपने अनुभव के सहारे वे चुनावी नैया पार लगा ही देंगे।

रतलाम की जीत हार के साथ साथ रतलाम शहर,ग्रामीण और सैलाना सीटों के नतीजों पर भी जमकर माथापच्ची की जा रही है। अलग अलग लोगों के अलग अलग हिसाब है। आंख मींच कर फूलछाप पर भरोसा करने वालों को लगता है कि रतलाम शहर और ग्र्रामीण सीटों को मिलाकर फूल छाप एक लाख से ज्यादा की लीड हासिल कर लेगी। तो दूसरी तरफ कुछ लोगों को लगता है कि लीड एक लाख से कम रहेगी। सबसे खास बात ये है कि रतलाम शहर और ग्र्रामीण सीटों पर ये बात हर कोई मानने को तैयार है कि लीड फूल छाप की ही होगी। विवाद सिर्फ इस बात को लेकर है कि लीड होगी कितनी?

जिले की तीसरी सीट सैलाना को लेकर सबके गणित उलझे हुए है। सैलाना सीट ने पिछले चुनाव में भी हिसाब लगाने वालों को चकरघिन्नी कर दिया था। सैलाना वाला उंट किस करवट पर बैठता है किसी को समझ में नही आता। पिछले चुनाव में सैलाना ने जहां पूरे सूबे में सबसे ज्यादा वोटिंग का तमगा हासिल किया था,वहीं इस बार के चुनाव में भी सबसे ज्यादा वोटिंग का तमगा सैलाना को ही मिला है। सबसे ज्यादा वोटिंग के अलावा नतीजों के मामले में भी सैलाना ने नया रेकार्ड बनाया था। पूरे सूबे में इकलौता सैलाना ऐसी सीट थी,जिसने निर्दलीय को राजधानी पंहुचाया था।

इस चुनाव में भी सैलाना ही समझ से बाहर नजर आ रहा है। कोई अंदाजा नहीं लगा पा रहा है कि सैलाना के लोग चार सौ पार के साथ है या हालात बदलने वाले हाथ के साथ। कहते है कि पिछले चुनाव में गुड्ड्ू भैया के साथ झाबुआ वाले साहब ने चोट कर दी थी। इसलिए इस चुनाव में गुड्डू भैया झाबुआ वाले साहब का साथ देने को तैयार नहीं थे। जय जौहार वाले निर्दलीय माननीय पर सबकी नजरें लगी हुई थी,लेकिन वो भी चुनाव में गायब थे। ऐसे में कोई यह तय नहीं कर पा रहा है कि सैलाना किधर जाएगा।

रतलाम झाबुआ से दिल्ली जाने का रास्ता रतलाम जिले की तीन सीटों से ही निकलना तय है। पिछले आम चुनाव में भी रतलाम शहर और ग्रामीण सीट की जीत ने ही फूल छाप को जीत दिलाई थी। इस बार भी यही माना जा रहा है कि रतलाम शहर और ग्र्रामीण सीटें जिसका साथ देगी उसी को दिल्ली दरबार में एन्ट्री मिलेगी।

चुनाव के पहले पंजा पार्टी का पल्लू छोडकर फूल छाप का दामन थामने वालों की लम्बी कतारें लगी हुई थी। हर दिन किसी ना किसी के फूल छाप में जाने की खबरें आ रही थी। वोटिंग होने तक शहर और ग्र्रामीण इलाकों के कई सारे नेता पंजा पार्टी को बाय बाय कर चुके थे। खबरें तो और भी कई सारे नेताओं की थी,लेकिन कुछ इसलिए नहीं आ पाए,क्योंकि वे थोडा ज्यादा तामझाम चाहते थे।

कुछ नेता हैलीपेड पर सीएम के हाथों हार पहनकर फूल छाप के हो गए। कुछ और,जिनके आने की खबरें थी,उन्हे और भी बडे नेता का इंतजार था। वे चाहते थे कि हैलीपेड की बजाय बाकायदा किसी मंच पर हार पहनें। लेकिन तब तक वोटिंग हो गई। नतीजा ये हुआ कि ऐसे नेता पंजा पार्टी से तो निकल लिए,लेकिन फूल छाप में आने की बजाय बीच में ही अटक गए।

खाद्य सुरक्षा का अमला सिर्फ छापामारी ही करता दिखाई देता है। इस अमले की छापामारी के बाद कोई ठोस कार्रवाई हुई हो ऐसा कभी देखने को नहीं मिलता। ये महकमा त्यौहारों के सीजन में सबसे ज्यादा सक्रिय नजर आता है। तमाम मिठाई वालों पर छापामारी की जाती है और त्यौहारों का पूरा खर्च निकल जाता है। हाल ही में इस महकमे के इफसरों ने शहर के बाहरी हिस्सों में चल रहे होटलों पर छापामारी की।

पांच छ: बडे चर्चित होटलों पर महकमे के अफसर पंहुचे। खबरें जारी की गई कि पर्यटन विभाग द्वारा ठेके पर दिए गए मिड वे ट्रीट रेस्टोरेन्ट पर कई सारी गडबिडयां मिली। अफसरों ने होटल चलाने वाले को फटकार भी लगाई। नमूने भी लिए।

लेकिन महकमे ने होटल में मिली कमियों खामियों को दूर करने के लिए फटकार लगाने के अलावा क्या किया? कोई नहीं जानता। महकमे के तौर तरीकों को जानने वालों का कहना है कि फटकार लगाकर कार्रवाई नहीं करने के लिए साहब लोग बडी फीस वसूलते है। ऐसा भी कह सकते है कि फूस वसूलने के लिए ही महकमे के अफसर इतनी सारी मशक्कत करते है।

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