May 19, 2024

रंग लाई सृजन भारत के अनिल झालानी की कोशिशें,बन्द पडी रतलाम बांसवाडा डूंगरपुर रतलाम रेल परियोजना के लिए मिले 150 करोड रु.

रतलाम,03 फरवरी (इ खबर टुडे)। बांसवाडा डूंगरपुर  जैसे आदिवासी क्षेत्रों के रेलवे  लाइन से जोडकर विकास की मुख्य धारा में लाने का महत्व आजादी के बाद से ही माना जा रहा था,लेकिन सरकारी लापरवाही के चलते यह योजना धरालत पर नहीं उतर पा रही थी। सृजन भारत के अनिल झालानी पिछले चालीस सालों से लगातार रतलाम-बांसवाडा-डूंगरपुर रेल परियोजना को प्रारंभ करने के लिए केन्द्र सरकार,राज्य सरकारों और जन प्रतिनिधियों से पत्र व्यवहार करके उन्हे सक्रिय करने की कोशिशें कर रहे थे। उनकी कोशिशें आखिरकार अब रंग लाई है। इस बार के केन्द्रीय बजट में इस परियोजना के लिए डेढ सौ करोड रु. स्वीकृत किए गए है। इस राशि की स्वीकृती के बाद इस परियोजना का गति पकडना तय है।  

बांसवाडा डूंगरपुर के आदिवासी अंचल को मुख्यधारा से जोडने के लिए रेलवे लाइन से जोडने का महत्व भारत की आजादी के बाद से मान लिया गया था और 1956  में ही पहली बार इस परियोजना के लिए सर्वे भी कराया गया था। लेकिन यह परियोजना हर बार अटकती और लटकती रही। कई बार यह परियोजना चुनावी मुद्दा बनी तो कई नेताओं ने इसे अपनी जीत का उपकरण भी बनाया। लेकिन यह परियोजना अब तक धरातल पर नहीं आ पाई थी।

सृजन भारत के अनिल झालानी ने इस परियोजना के महत्व को समझते हुए सबसे पहले 1982 में इस परियोजना को लेकर 5 सितम्बर 1982 को तत्कालीन रेल मंत्री को पत्र लिखकर इस प्रयोजना को प्रारंभ करने की मांग की थी। इसके बाद से श्री झालानी निरन्तर इस परियोजना को शुरु कराने के लिए केन्द्र सरकार और अन्य सरकारों से पत्र व्यवहार करते रहे। श्री झालानी ने 22 जून 2009 को रतलाम झाबुआ के सांसद और तत्कालीन केन्द्रीय जनजातीय मंत्री कांतिलाल भूरिया को पत्र लिखकर बताया था कि 1956, 1958 एवं 1960  में नईदुनिया समाचार पत्र में इस आशय का समाचार प्रकाशित हुआ था रतलाम बांसवाडा डूंगरपुर रेल लाइन के लिए सर्वे किया जा रहा है। लेकिन इसके बाद यह योजना नदारद सी हो गई थी।

इस रेल परियोजना को चालू करने की मांग समय समय पर उठती रही और केन्द्रीय रेल मंत्रालय ने सदैव इसे सैद्धान्तिक रुप से स्वीकृत करते हुए कार्य प्रारंभ करने की बात भी कही। उन्ही दिनों गुना – मक्सी रेल लाइन की बात चली, जिसे पूर्ण हुए भी अब दशकों हो गए।लेकिन रतलाम – बांसवाड़ा- डूंगरपुर रेल परियोजना को चालू कर पूरा करने के ठोस प्रयास कभी भी नहीं किए गए। श्री झालानी ने श्री भूरिया से मांग की थी कि वे अपने स्तर पर प्रयास करके इस परियोजना को प्रारंभ करवाए। वर्ष 2011 में श्री झालानी ने पुनः इसके लिए प्रयास किया। उन्होने 9 जनवरी 2011 को मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान को पत्र लिखकर रतलाम बांसवाडा, डूंगरपुर रेल लाइन के लिए मध्यप्रदेश के निर्धारित अंश को स्वीकृत करने की मांग की थी। अपने पत्र में श्री झालानी ने बताया था कि इस रेल परियोजना की लागत 2050 करोड आंकी गई है और इस संपूर्ण परियोजना लागत का पचास प्रतिशत अंशदान सम्बन्धित राज्य सरकार द्वारा वहन किए जाने पर शेष राशि रेल मंत्रालय द्वारा व्यय करने पर सैद्धान्तिक सहमति बन चुकी है। श्री झालानी ने अपने पत्र में श्री चैहान से मांग की थी कि वे मध्यप्रदेश के हिस्से की राशि स्वीकृत कर दें , ताकि यह परियोजना तेज गति से प्रारंभ हो सके।

उल्लेखनीय है कि इसी वर्ष यानी 3 जून 2011 को यूपीए की तत्कालीन चैयरपर्सन सोनिया गांधी ने डूंगरपुर में इस योजना का शिलान्यास भी कर दिया था और इस परियोजना के लिए बेहद धीमी गति से भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया भी शुरु कर दी गई थी। इस पत्र के करीब एक साल बाद श्री झालानी ने नवंबर 2013 में फिर से तत्कालीन रेल मंत्री ममता बैनर्जी, केन्द्रीय आदिम जाति विकास मंत्री और स्थानीय सांसद कांतिलाल भूरिया तथा बांसवाडा के सांसद ताराचंद भगोरा को एक पत्र लिख कर रतलाम बांसवाडा डूंगरपुर रेल परियोजना को शुरु कराने का आग्रह किया था। श्री झालानी ने अपने पत्र में कहा था कि इन नेताओं को प्रयास करके रेल बजट में रतलाम बांसवाडा डूंगरपुर रेलवे लाइन के लिए कम से कम सौ करोड रु. का प्रारंभिक प्रावधान कराना चाहिए जिससे कि परियोजना की शुरुआत हो सके।

श्री झालानी ने इस रेल परियोजना के लिए बेहद धीमी गति से हो रहे भूमि अधिग्रहण और मुआवजा राशि के वितरण में हो रहे विलम्ब की ओर भी जिम्मेदार अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट किया था। उन्होने 23 दिसम्बर 2015 को रतलाम कलेक्टर को पत्र लिखकर कहा था कि रतलाम जिले में रतलाम बांसवाडा डूंगरपुर रेललाइन के लिए रतलाम के प्रभावित गांवों के भूमिअर्जन का अवार्ड घोषित हुए काफी लम्बा समय बीत चुका है लेकिन अब तक सम्बन्धित पक्षकारों को मुआवजा राशि का वितरण नहीं किया गया है। श्री झालानी ने प्रशासन को यह भी बताया था कि अधिक समय बीतने पर सम्बन्धित पक्षकारों द्वारा मुआवजा राशि पर ब्याज की मांग भी की जा सकती है, जिससे परियोजना की लागत बढने की भी आशंका है, और यदि लागत बढ़ी तो सरकारें फिर से पीछे हटेंगी। इसलिए मुआवजा राशि का वितरण जल्दी किया जाना चाहिए।

लेकिन रतलाम बांसवाडा डूंगरपुर रेलपरियोजना का काम फिर से लटक गया और परियोजना की गति बेहद धीमी हो गई। दूसरी ओर देश में वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रंट कारिडोर की चर्चाएँ भी शुरु हो गई थी। इसे देखते हुए श्री झालानी ने 18 अगस्त 2017 को रेलवे बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष ए .के. मित्तल को एक पत्र लिखकर इस रेल परियोजना को पुनरू शुरु करके, इसे फ्रेट कारिडोर से लिंक किया जाना चाहिए। श्री झालानी ने अपने पत्र में कहा था कि प्रस्तावित फ्रैट कारिडोर की परिधि में रतलाम को भी शामिल किया गया है। ऐसे में राजस्थान के डूंगरपुर तक रेल कनेक्शन आवश्यक हो गया है और यह रेल परियोजना, फ्रेट कारिडोर की पूरक है। इसलिए इसे तुरंत फिर से शुरु किया जाना चाहिए।

वर्ष 2019 में फिर से इस परियोजना को शुरु किए जाने की बातें सामने आने लगी। लेकिन तब तक इस परियोजना की लागत दोगुनी होकर 4262 करोड रुपए हो चुकी थी। परियोजना को प्रारंभ करने के लिए रेलवे मंत्रालय द्वारा नाममात्र की राशि प्रदान की जा रही थी, लेकिन भूमि अधिग्रहण की धीमी गति और पैसों की कमी से यह परियोजना वास्तविक रुप से प्रारंभ नहीं हो पाई। इन परिस्थितियों को देखते हुए श्री झालानी ने फिर से 19 सितम्बर 2020 को प्रधानमंत्री, आदिमजाति विभाग के मंत्री अर्जुन मुण्डा, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गेहलोत और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान को पत्र लिख कर इस परियोजना को प्रारंभ करने की मांग की थी। श्री झालानी ने अपने पत्र में नेताओं को लिखा कि यदि सरकार की मान्यता है कि आदिवासी क्षेत्रों का विकास किया जाए और उनके जीवन का उत्थान किया जाए, तो आदिवासी इलाकों में रेल लाइन बिछाना अत्यन्त आवश्यक है। उन्होने मांग की थी कि आदिवासियों के विकास की जीवन रेखा बनने वाले इस रेलमार्ग का निर्माण अतिशीघ्र किया जाना चाहिए।

इसी दौरान केन्द्र सरकार का महत्वाकांक्षी मुंबई दिल्ली 8 लेन प्रोजेक्ट भी प्रारंभ हो गया। 8लेन मार्ग रतलाम के समीप सैलाना धामनोद से होकर गुजर रहा है। प्रस्तावित रतलाम बांसवाडा डूंगरपुर रेललाइन का इस 8 लेन मार्ग से कहीं ना कहीं क्रासिंग होना तय है। यह तथ्य ध्यान में आते ही श्री झालानी ने केन्द्रीय सडक परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को  29 सितम्बर 2020 को लिखे पत्र में ध्यान आकृष्ट कर सुझाव दिया था कि प्रस्तावित 8 लेन परियोजना में भविष्य में बनने वाली रतलाम बांसवाडा डूंगरपुर रेल लाइन के क्रासिंग का प्रावधान अभी से किया जाना चाहिए ताकि भविष्य में  8 लेन हाईवे के इस रेलवे लाइन के क्रासिंग से आवागमन बाधित ना हो। साथ ही बाद में अतिरिक्त धनराशि की आवश्यकता भी ना पडे।

हांलाकि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने श्री झालानी को 13 अक्टूबर 2020 को पत्र लिख कर इस बात की जानकारी दी कि प्रस्तावित रतलाम बांसवाडा डूंगरपुर रेललाइन के उपर से 8 लेन हाई वे के ब्रिज का प्रावधान पहले से ही किया जा चुका है और इसे स्वीकृती भी मिल चुकी है।

वर्ष 2022 में जब रेल प्रशासन ने रतलाम बांसवाडा डूंगरपुर रेल लाइन योजना को फिर से शुरु करने की घोषणा की तो राजस्थान सरकार ने इसमें अपना अंशदान देने से मना कर दिया और इस वजह से यह प्रोजेक्ट फिर से अटक गया।
इसी दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात में आयोजित एक रैली में किसी संदर्भ में अपने सम्बोधन में कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा था कि कांग्रेस ने आदिवासी क्षेत्रों के विकास पर कभी ध्यान नहीं दिया। प्रधानमंत्री श्री मोदी के इस वक्तव्य का उल्लेख करते हुए सृजन भारत के अनिल झालानी ने 16 जून 2022 को पत्र लिखा। श्री झालानी ने अपने पत्र में प्रधानमंत्री को उनके वक्तव्य का स्मरण कराते हुए बताया कि आदिवासी बहुल क्षेत्र रतलाम-बांसवाडा-डूंगरपुर रेल लाइन के रुके हुए कार्य को प्रारंभ कराया जाना चाहिए।

श्री झालानी ने अपने पत्र के साथ प्रधानमंत्री को पूर्व में लिखे पत्र भी प्रेषित कर जोर का धक्का लगाया। इसका असर ये हुआ कि  यह योजना फिर से गति पकडती नजर आने लगी ।
 गत वर्ष 2023 में  पश्चिम रेलवे के महाप्रबन्धक के साथ रतलाम मण्डल के संसद सदस्यों की बैठक में सांसदों ने रतलाम बांसवाडा रेललाइन पर विशेष ध्यान देने पर जोर दिया था।पिछले  बजट में भी इस इस परियोजना के लिए प्रारंभिक तौर पर राशि का प्रावधान भी किया गया था। इसके साथ ही रतलाम बांसवाडा की नई रेल लाइन के अंतिम सर्वे के लिए रेलवे बोर्ड द्वारा स्वीकृ ती प्रदान कर दी गई थी । इसके साथ ही रेलवे बोर्ड द्वारा 188.85 किमी के इस प्रोजेक्ट को डी-फ्रिज करने के आदेश भी जारी कर दिए गए थे । इसके साथ ही रेलवे ने अपने हिस्से की पचास प्रतिशत राशि से परियोजना का काम शुरु करने व भी तैयारी कर ली थी , ताकि राज्यों का अंश मिलने से पहले ही परियोजना प्रारंभ हो सके।

परियोजना के प्रारंभिक सर्वे शुरू होने की खबरे आने के बाद श्री झालानी ने विगत 25 सितम्बर 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अश्विनी वैष्णव,केंद्रीय खनिज मंत्री प्रह्लाद जोशी,,तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान और राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गेहलोत को पत्र लिखकर रतलाम- बांसवाड़ा -डूंगरपुर रेल परियोजना को वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर से लिंक करने का सुझाव दिया था। अपने पत्र में श्री झालानी ने नेतागण को महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए बताया था कि वर्षो पूर्व भूगर्भ वैज्ञानिको द्वारा किये गए एक सर्वे में बांसवाड़ा के आसपास सोने के भंडार होने की जानकारी दी गई थी। इस क्षेत्र में थर्मल पावर प्लांट भी प्रस्तावित था। ऐसे में अनेक लाभ की दृष्टी से इस आदिवासी क्षेत्र के विकास को ध्यान में रखते हुए इस रेल परियोजना को तुरंत प्रारम्भ किया जाना चाहिए।

श्री झालानी अपने स्वान्तः सुखाय अभियान के अंतर्गत उक्त जानकारी अपने मित्रों से साझा करते हुए हर्षित है, तथा उन्हें इस बात की प्रसन्नता है कि उनके सुझाव व प्रयासों के अनुरूप हाल ही  में गत 1 फरवरी 2024 को पेश किये गए अंतरिम बजट में इस रेल  परियोजना के लिए 150 करोड़ रूपये स्वीकृत किये गए है, जिससे  कि इस पुरे क्षेत्र के विकास को नए पंख लगना  तय है।

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