November 22, 2024

Raag Ratlami: सडक़ नाली वाली सरकार के चुनाव की सरगर्मियां शुरु,पंजा पार्टी और फूल छाप दोनों के दावेदार जुट रहे टिकट की जुगाड में

-तुषार कोठारी

रतलाम इ खबरटुडेउधर सूबे की राजधानी में नगर निगमों के मुखिया के लिए आरक्षण तय हुआ और इधर दावेदारों से लगाकर खबरचियों तक हर कोई यह गणित लगाने मेंं पिल पडा कि किस पार्टी का टिकट कौन हथिया सकता है? रतलाम की किस्मत में मुखिया का पद पिछडे वर्ग के खाते में गया है। इसलिए अब पंजा पार्टी और फूल छाप दोनों ही पार्टियों के पिछडे नेता अपने आपको आईने में निहार निहार कर निहाल हुए जा रहे हैैं। उन्हे लग रहा है कि बस वही है जो शहर की नैया पार लगा सकता है।

इधर तो मावठे ने फिजाओं को ठण्डा कर रखा है,लेकिन शहर के सियासी माहौल मे एकाएक गर्मी आ गई है। गली मोहल्लों चौराहों पर हर कहीं लोग अपने अपने गणित लगा रहे है। दावेदारों के नाम की चर्चाएं होने लगी है। कुछ समझदार दावेदारों ने अपने पिछलग्गुओं को सोशल मीडीया पर एक्टिव कर दिया है। ये पिछलग्गू अपने नेता का नाम चलाने में लगे है। दावेदार को लगता है कि सोशल मीडीया पर की गई मेहनत को अगर पार्टी वाले खातिर में लाएंगे,तो उनका काम बन जाएगा।

दावेदारों के लिहाज से पंजा पार्टी की हालत कुछ खास ठीक नही है। वैसे तो पंजा पार्टी के पास दावेदार ज्यादा नहीं है और उपर से ज्यादातर लोग ये मानकर चल रहे है कि फिलहाल पंजा पार्टी का वक्त ठीक नहीं चल रहा है। इसलिए पंजा पार्टी का टिकट मिलने पर भी जीतने का चांस बेहद कम है। किसी जमाने में जिले की पंचायत की कमान सम्हाल चुके पंजा पार्टी के एक नेता वैसे तो लम्बे समय से सियासत की मुख्य धारा दूर है,लेकिन जैसे ही पिछडे वर्ग का आरक्षण होने की बात सामने आई,ये नेताजी सक्रियता दिखाने लग गए हैैं। हांलाकि एक मामले में पंजा पार्टी को फूल छाप की तुलना में ज्यादा फायदा है। गोल टोपी वाले भाईजान लोगों में ज्यादातर पिछडे वर्ग से ताल्लुक रखते है। इसलिए इस वर्ग के कई सारे नेता अपने आपको प्रथम नागरिक की तरह देखने लगे है। इसके लिए वे तैयारियां भी करने लगे है। पंजा पार्टी की आपा खुद भी इसी वर्ग की है। इसलिए आपा ने भी टिकट मिलने की उम्मीद लगा रखी है। पंजा पार्टी को इसमें बडा फायदा यह है कि ये पंजा पार्टी का ही वोट बैैंक है और अगर इस वर्ग के नेता को टिकट मिलता है,तो पंजा पार्टी चुनाव में दम भर सकती है। पंजा पार्टी के एक दो पहलवान भी दावेदारी की कतार में लगे हुए हैैं।
दूसरी ओर फूल छाप वाले नेताओं का मानना है कि सारी लडाई टिकट हासिल करने की ही है,क्योंकि जीतना तो तय माना जा रहा है। इसी वजह से फूल छाप में दावेदारों की लम्बी कतार है। पिछली नगर निगम में वार्डों की कमान सम्हाल चुके कई सारे नेता जहां दाव लगाने को तैयार है,वहींं निगम के बडे पद पर रह चुके दाई जी सबसे ज्यादा उम्मीद से हैैं। मजेदार बात ये है कि दाई जी जब वार्ड का चुनाव जीतने के बाद बडे पद का चुनाव लड रहे थे,तब उस वक्त की प्रथम नागरिक डाक्टर मैडम ने ही उनको वोट नहीं दिया था। लोग कह रहे है कि जिसे अपनी ही पार्टी की नेता का वोट नहीं मिला हो,उसे शहर के लोग वोट क्यो कर देंगे?
फूल छाप में भी एक दो पहलवान टिकट का दांव लगाने को तैयार बैठे है। फूल छाप के ज्यादातर नेताओं का अंदाजा है कि फूल छाप का टिकट उसी को मिलेगा,जिस पर स्टेशन रोड की मेहरबानी होगी। इसी के चलते आजकल स्टेशन रोड पर फूल छाप के नेताओं की भीड स्टेशनरोड पर बढ गई है। कुछ का ये भी मानना है कि टिकट का फैसला काली टोपी वालों के हाथ में रहेगा।
फूल छाप में दावेदारों की तादाद का अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता। पुरुष तो पुरुष महिला नेत्रियां भी खुद को दमदार दावेदार बता रही है। फूल छाप की पटरी पार वाली मैडम जी तो कह रही है कि उनकी सीधे मामी से बात हो गई है और मामा,मामी की बात नहीं टाल सकते। पिछले चुनाव में डाक्टर मैडम के साथ दावेदारी कर चुकी एक और मैडम इस बार फिर दावेदारी कर रही है। ये मैडम जी विवाह के बाद तो सामान्य हो गई है,लेकिन विवाह के पहले पिछडी हुई थी। इसीलिए वे दावेदारी करने में सक्षम है।

बहरहाल,दावेदारों की कतारों के साथ साथ अब सियासी पारा चढने लगा है। जो बडे पद पर दावेदारी नहीं कर पा रहे है वे अपने लिए वार्डों की तलाश करके वहां से टिकट हासिल करने की जुगाड में है। फूल छाप के कर्ताधर्ता जानते है कि फूल छाप का वक्त सही चल रहा है,इसलिए नए नए नियम भी सामने आने की उम्मीद है। फूल छाप को जानने वालों का कहना है कि दो तीन बार जीते हुओं को इस बार मौका नहीं दिया जाएगा। बडी उम्र वालों को पार्टी के पद देना पहले ही बन्द कर दिया गया है,अब टिकट देने में भी उम्र का ध्यान रखा जाएगा।
कुल मिलाकर अब आने वाले दिनों का पूरा वक्त सडक नाली वाली सरकार के चुनाव की बातों में गुजरने वाला है और ये वक्त बेहद मजेदार रहने वाला है।

पंजे और फूल दोनो को मिले नए नेता

सडक नाली की सरकार के चुनाव का सीजन नजदीक आ रहा है और इधर पंजा पार्टी और फूल छाप में नए नेताओं की भर्तियां हो रही है। नए नेताओं को पद देने के मामले में फूलछाप पार्टी तो हमेशा से ईमानदारी बरतती रही है,लेकिन पंजा पार्टी में नए नेता चुनने के नाम पर फर्जीवाडा होता रहा है। फूल छाप ने जिले के मण्डलों में नए नेता तैनात कर दिए है। इसमें बुजुर्गों को दरकिनार करके जवानों को तरजीह देने का नियम बना दिया गया है और इसको पूरी तरह से निभाया भी गया है। उधर पंजा पार्टी के जवानों का चुनाव भी हाल ही में पूरा हुआ है। पंजा पार्टी वाले बता रहे है कि पहली बार पंजा पार्टी ने थोडी ईमानदारी से चुनाव किया है। हांलाकि नेता चुनने के लिए वोटरों की भर्ती तो करीब डेढ साल पहले ही हो गई थी,लेकिन चुनाव अब हुआ है। रिजल्ट कब आएगा कोई नहीं जानता। इस बार पंजा पार्टी ने एडवांस टैक्नालाजी से चुनाव निपटाया। सारी वोटिंग आनलाइन करवाई गई। इसमें जिन नेताओं ने पहले से अपने वोटर बनवा लिए थे,उनको पूरा फायदा मिलने वाला है। शहर का मुखिया बनने की दौड में तो केवल एक ही युवा तुर्क था,लेकिन जिले का मुखिया बनने के लिए तीन नेता दौड में थे। इन तीन में पहलवान भी है और एसएलए पुत्र भी। अब सबकी किस्मत मोबाइल में बन्द है क्योंकि वोटिंग मोबाइल से ही करवाई गई है। नतीजे कब आएंगे पता नहीं,लेकिन नतीजे में की जा रही बेवजह देरी से पंजा पार्टी के जवान नेताओं को इस बात की पूरी आशंका है कि इसमें भरपूर गडबडी हो सकती है।

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