Tribute Meeting : डा. डीएन पचौरी का निधन शिक्षा जगत के एक युग का अन्त,स्व. डा पचौरी ने विकसित की थी अध्यापन की अनूठी शैली; स्व. डा पचौरी की श्रद्धांजलि सभा संपन्न
रतलाम,08 सितम्बर (इ खबरटुडे)। डा. डीएन पचौरी का निधन शैक्षणिक जगत के एक युग का अन्त है। उन्होने रसायन और भौतिकी जैसे गंभीर और नीरस विषयों को पढाने की एक अनूठी शैली विकसित की थी। वे हंसी मजाक करते हुए विद्यार्थियों को गंभीर विषय इस तरह समझा देते थे कि वह विषय फिर जीवनभर याद रहता था।
इस तरह के उद्गार स्व.डा. डीएन पचौरी की श्रद्धांजलि सभा में उपस्थित वक्ताओं ने डा. डीएन पचौरी को याद करते हुए व्यक्त किए। उल्लेखनीय है कि गुजराती समाज विद्यालय के पूर्व प्राचार्य डा. डीएन पचौरी का शिक्षक दिवस के दिन 5 सितम्बर को निधन हो गया था। उनकी श्रद्धांजलि सभा रविवार को उनके निवास स्थान ऋचायन पर आयोजित की गई थी।
श्रद्धांजलि सभा को सम्बोधित करते हुए समाजसेवी गोविन्द काकानी ने कहा कि उन्होने पांच दशक पूर्व स्व. पचौरी सर की क्लास में पढाई की थी। पचौरी सर का व्यक्तित्व ऐसा था कि मात्र दो तीन साल तक उनकी कक्षा में पढाई करने वाला विद्यार्थी जीवन भर के लिए उनसे जुड जाता था। उनके द्वारा पढाए गए विषय छात्र को जीवन भर के लिए याद हो जाते थे। प्रो.डा. प्रदीपसिंह राव ने डा. पचौरी को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा कि उनका निधन शैक्षणिक जगत,रतलाम और पूरे प्रदेश की अपूरणीय क्षति है।
कांग्रेस नेता बसन्त पण्डया ने अपने उद्गार व्यक्त करते हुए बताया कि उन्होने भी कई वर्षों पूर्व डा. पचौरी सर से शिक्षा प्राप्त की थी। स्व. पचौरी सर द्वारा दिए गए ज्ञान और आशीर्वाद का ही परिणाम है कि वे एक सफल जीवन जी रहे है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के डा. रत्नदीप निगम ने कहा स्व. पचौरी सर के संस्मरण साझा करते हुए कहा कि आमतौर पर शिक्षक मेधावी छात्रों पर ज्यादा ध्यान देते है,लेकिन डा. पचौरी सर उन छात्रों को अधिक स्नेह देते थे,जो शरारती और पढाई में कमजोर होते थे। जब उनसे इस बात का कारण पूछा गया तो उन्होने कहा कि जो छात्र पढाई में कम तेज होते है,उन पर ज्यादा ध्यान देने से वे भी अच्छे परिणाम देने लगते है। ब्राम्हण समाज केशरद चतुर्वेदी ने कहा कि स्व.पचौरी सर ब्राम्हण छात्रवृत्ति न्यास के संरक्षक थे,और प्रत्येक कार्यक्रम में समाज को उनका मार्गदर्शन मिलता था।
श्रद्धांजलि सभा को पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी डा. सुलोचना शर्मा,डा. हरिप्रसाद श्रीवास्तव,नरेन्द्र शर्मा,समेत कई वक्ताओं ने सम्बोधित किया। सभा का संचालन तुषार कोठारी ने किया। श्रद्धांजलि सभा में बडी संख्या में गणमान्य जन उपस्थित थे।