Victory : कोरोना से डरें नहीं,डर के आगे जीत है
-वैदेही कोठारी
सोशल मीडिया पर आजकल हर चौथी पोस्ट कोरोना से पीडित या मृत्यु की दिखाई दे रही है। और तो और अखबारों,टीवी चेनलों में भी दिन भर कोरोना मृत्यु की खबरें ही चल रही है। कालोनी मोहल्लों में देेखे तो बस यही चर्चा चल रही है। कोरोना के कितने मरीज है?आज कितने मरे। फोन पर भी यही चर्चा कहने का तात्पर्य यह है, कि सभी ओर नकारात्मकता ही नकारात्मकता की खबरे चल रही है। अगर किसी को मामूली सर्दी खांसी भी होती है, तो उसके आस पास वाले उसे डराना शुरू कर देते है। अगर उसे कोरोना नही होगा,तो भी लोग उसे डरा डरा कर उसको कोरोना महसूस करा देते है। जिससे उसकी ह्रद्य गति बढऩा शुरू हो जाती है। डॉक्टर के पास जाते ही वह और अधिक डर जाता है। अगर मरीज को मामूली लक्षण भी कोरोना के है,तो मरीज इतना डर जाता है कि मरीज खुद होस्पिटलाइस होने की जिद करने लगता है,साथ ही आक्सीजन सिलेंडर व इंजेक्शन की व्यवस्था करने की सोचने लग जाता है। मरीज इतना डर जाता है,कि उसको लगता है कि अब वह जिंदा ही नही रहेगा। क्योंकि वह रोज खबरे मरने वालों की पढ़ता,सुनता है। उसको कोरोना से ठीक हुए मरीज नही दिखते है,सिर्फ मृत्यु वाले ही दिखाई देते।
लेकिन मरीज यह भूल जाता है कि सभी की शारीरिक प्रतिरोधक क्षमता अलग अलग होती है फिर भी दूसरे मरीज से खुद की तुलना करने लग जाता है। जब आप सीरियस मरीज की तरह खुद को भी सीरियस सोचने समझने लगते हो,तो फिर आपका दिमाग व दिल भी वैसा ही सोचने लगता है। फिर आप भी धीरे-धीरे ज्यादा सीरियस होते जाते हो।
वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉक्टर कहते है कि नकारात्मकता हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर करती है। साथ ही नकारात्मक अफवाहों से बचना चाहिए। पांचो उंगलियां एक समान नही होती है। यह कतई जरूरी नही कि वह कोरोनो मरीज ठीक नही हुआ तो, आप भी ठीक नही होंगे। ऐसा बिल्कुल नही है। आज सबसे ज्यादा जरूरी है कि आप अफवाहों से दूर रहे। ्अगर आपको जरा भी संदेह लगता है तो आप फोन पर डॉक्टर से बात करले। घबराएं बिल्कुल नही। अगर आप घर पर ही क्वारंटाइन है,आप खुद को ठीक महसुस कर रहे है,तो आप अपने सभी दोस्तों व रिश्तेदारों को रोज फोन लगा कर बातें करे। अगर पढने का शोक है, तो किताबें पढे,कुछ अच्छी फिल्में देखे, साथ ही स्वयं का ध्यान रखे। घर पर रोज सुबह व्ययाम योग करे। गरम पानी पिए ,मास्क लगाए।
क्या भारत में पहले कभी खतरनाक बिमारीयां नही आई? क्या उस बिमारी से लोगों की मृत्यु नही हुई। पहले भी बिमारी का अनुपात उतना ही था जितना आज है,किंतु आज मीडिया ने ज्यादा अफवाहें फैला रखी है। जिसके कारण कई लोग तो डर से ही स्वयं को मौत के मूहं में डाल रहे है। हमारा भारत आयुर्वेद का देश कहा जाता है। हमारे पूवर्ज बहुत सी खतरनाक बिमारी का ईलाज तो आयुर्वेदिक जड़ी-बुटी से ही कर लिया करते थे। फिर क्यों हम आज इस बीमारी से इतना अधिक डर रहे है। आज भी कुछ लोग घरेलू इलाज करके भी खुद को इस खतरनाक बीमारी से बचाए हुए है।
लेखिका स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तम्भ लेखिका है