इधर हो रही है जिला प्रमुखो की तलाश, उधर काम पर लग गए पन्ना प्रमुख
भोपाल,30 जनवरी (इ खबर टुडे /चंद्र मोहन भगत)। राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय चैनलों पर चाहे जितनी जोर से जितने भी कारण गिना कर भाजपा की आलोचना की जा रही है। सभी विपक्षी करते रहे और यह मुगालता भी पालते रहे कि “साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा को पछाड़ देंगे” ये कोरी कल्पना लगती है। ऐसा राजनीतिक दृश्य साथ पर ही नजर आ रहा है भाजपा ने भावी विधान सभा चुनाव के लिए अपनी व्यूहरचना को अंजाम देकर काम भी शुरू कर दिया है । इधर प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस में अभी भी कई जिलों में ब्लॉक जिला संभाग स्तर पर अनेकों पदों पर नियुक्तियां करने के लिए पदाधिकारियों की तलाश बाकी है।
फिर जैसी विपक्षी दलों की संगठन कार्य प्रणाली है उससे भी साफ लगता है कि अभी तो खाली पदों पर नियुक्तियों में विवाद भी चलेंगे समय भी लगेगा। फिर घोषणा होगी तब कहीं पदाधिकारी संगठनों के काम शुरू कर पाएंगे । ऐसा होने तक विधानसभा चुनाव की तारीख करीब आते जाएगी। फिर हमेशा की तरह समय का अभाव और जल्दबाजी में उलट सुलट नाम प्रत्याशियों के चयन होंगे हो जाएंगे । जिला कांग्रेस में तो पिछली विधानसभा चुनाव के प्रत्याशियों का उदाहरण सामने है जो मनासा से प्रत्याशी बनने की तैयारी करते रहे उन्हें मंदसौर तो नीमच चाहने वाले को मनासा और जावद वालों को नीमच प्रत्याशी बनाकर कांग्रेस संगठन ने चुनाव से पहले ही अपनी हार पर मोहर लगा दी थी ।
यह अलग बात है कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी। लेकिन पुराने अनुभव से भी अभी तक कोई सीखने का उदाहरण सतह पर नजर नहीं आया है । इसका नमूना जिला अध्यक्ष के चयन प्रक्रिया में साफ नजर आ रहा है। संगठन की ही शिथिल प्रक्रिया ने इतना उलझा दिया है कि अब घोषित किसी का भी नाम कर दें उसके लिए जिले मैं गुटीय संघर्ष का अखाड़ा भी तैयार कर दिया है । इस परिस्थिति का प्रदेश कांग्रेस संगठन आकलन करने को भी तैयार ही नहीं है। जबकि इससे होने वाले नुकसान निश्चित तय है ।
रही बात भाजपा की तो भले ही सभी मिलकर उसकी आलोचना करें पर जमीनी स्तर पर उनकी चुनावी रणनीति और कार्यकर्ताओं का समर्पण अभी से नजर आने लगा है । किसी भी तरह की सूची बनाने पर एक पन्ने पर 15 से 20 नाम आते हैं। जाहिर है जो कार्यकर्ता पन्ना प्रमुख की जिम्मेदारी लेता है उसे मात्र अपनी सूची में मिले नाम वाले मतदाता परिवार पर ही अपनी क्षमताओं को केंद्रित कर मतदान तक पूरी ताकत से काम करना पड़ता है। वह वैसा करता भी है । क्योंकि उसका संगठन उसे मानीटर भी करता है। कमी आने पर मदद भी करता है। यही कारण है कि कई बार चुनाव में वातावरण दिखता कुछ और है नतीजा कुछ और आता है। कांग्रेस की अपनी चुनावी तैयारी तो तब शुरू होगी जब ब्लाक जिला संगठनों के खाली पदों पर उनके संगठन पदाधिकारी घोषित होंगे। इतना सब होने में भी अभी समय लगना निश्चित है तब तक और थोड़ा इंतजार…!