Bhagwat Katha/क्रोध में आकर अपनी शांति कभी भंग मत करना ,क्रोध की छाया में ही अनुशासन पलता है: पं भीमाशंकर जी
सातदिवसीय भागवत कथा
रतलाम,16फरवरी(इ खबर टुडे)। शहर के ग्राम बंजली में सात सातदिवसीय भागवत कथा कार्यक्रम 14 फ़रवरी से जारी है ,जो 20 फ़रवरी को पूर्ण होगा। इस भागवत कथा का वाचन मंदसौर के धरियाखेड़ी से पधारे पूज्य गुरु देव श्री भीमाशंकर जी द्वारा किया जा रहा है। इस अवसर पर बंजली समेत आसपास के ग्रामीणों से सैकड़ो लोग कथा पांडाल में पधार कर धर्म लाभ ले रहे है।
क्रोध में आकर अपनी शांति कभी भंग मत करना ,क्रोध की छाया में ही अनुशासन पलता है उक्त पंक्तियाँ ग्राम बंजली में चल रही सात दिवसीय भागवत कथा के तीसरे दिन गुरुदेव पं भीमाशंकर जी ने पांडाल में उपस्थित भक्तों और श्रोताओ से कही। गुरुदेव जी ने क्रोध के सकारात्मक पहलू को समझाते हुए बताया कि क्रोध के बिना जीवन के किसी भी क्षेत्र में अनुशासन लागू नहीं किया जा सकता है। वास्तविकता में क्रोध की छाया में ही अनुशासन पलता है। कोई भी शिक्षक बिना क्रोध के किसी भी छात्र को अनुशासन को पाठ नहीं पढ़ा सकता है। हमारे जीवन में कई बार ऐसी स्थिति आती है जब हमे क्रोध करना जरूरी होता है ,लेकिन कभी भी क्रोध समय अपने मन की शांति भंग नहीं होने देना चाहिए।
हिन्दू समाज को भर्मित करने वालो से संभल कर रहना
कथा के दौरान पूज्य गुरु देव श्री भीमाशंकर जी ने पांडाल में बैठे सभी लोगो से अनुरोध किया कि किसी भी परिस्थिति में हिन्दू समाज की परंपराओ और रीति-रिवाज़ को गलत ढंग से प्रदर्शित करने वाले लोगो के झांसे मत आना। पूज्य गुरु देव श्री भीमाशंकर जी ने कहा आज देश में ऐसे नये -नये ढोंगी लोग मौजूद है जो आप की जीवन मुख्य समस्या के हल के लिए आपको पर्स ,खाने पीने की वस्तुओ से समाधान करने की बाते करते है। वही कुछ धर्म के नाम पर ढोंग करने वाले लोग मंदिर जाना,पूजा पाठ को गलत बताते है। ऐसे लोगो से दूर रहते हुए हमे अपने मन की गहराई से विचार करना चाहिए।