चलती आचार संहिता में प्रतिबन्ध के बावजूद धडल्ले से खुले में हो रहा मांस विक्रय,लाउड स्पीकरों का उपयोग भी जारी
रतलाम,28 मार्च (इ खबरटुडे)। लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू हो चुकी है। प्रदेश में खुले में मांस विक्रय प्रतिबन्धित है,लेकिन जिम्मेदारों की लापरवाही से चलती आचार संहिता में धडल्ले से खुले में मांस विक्रय किया जा रहा है। यही हाल ध्वनि विस्तारकों के उपयोग का भी है। रमजान का महीना चल रहा है और सुबह पांच से साढे पांच के बीच होने वाली सेहरी के लिए बेहिचक लाउड स्पीकर बजाए जा रहे है,जबकि रात दस से सुबह छ: बजे के मध्य ध्वनि विस्तारक पूर्णत: प्रतिबन्धित है।
शहर के कई इलाकों में मांस विक्रेता बडे आराम से खुले में मांस विक्रय कर रहे है। प्रदेश के मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने आचार संहिता लागू होने के काफी समय पहले प्रशासन को आदेश दिए थे,कि प्रदेश में कहीं भी खुले में मांस विक्रय नहीं किया जाएगा। इतना ही नहीं अवैध रुप से मांस विक्रय करने पर भी पूरी तरह रोक लगाने का आदेश दिया गया था। मुख्यमंत्री के निर्देश पर दो तीन दिन तो प्रशासन ने सक्रियता दिखाई,लेकिन कुछ ही दिनों में अधिकारी इन निर्देशों को भूल गए और मांस का अवैध व्यवसाय फिर से धडल्ले से चालू हो गया।
वर्तमान समय में रतलाम शहर के कई इलाकों में मांस विक्रेता खुले में मांस विक्रय कर रहे है। इन मांस विक्रेताओं के पास इस व्यवसाय का लाइसेंस भी नहीं है। शहर के नाहरपुरा जैसे व्यस्ततम क्षेत्र से भी खुले में मांस विक्रय किए जाने की शिकायतें सामने आ रही है। इसके बावजूद जिम्मेदार अधिकारी आंखे मंूदे बैठे है।
प्रतिबन्ध के बावजूद चीख रहे है लाउड स्पीकर
मुख्यमंत्री डा.मोहन यादव ने पदभार सम्हालने के बाद पहला आदेश ही बिना अनुमति बजाए जा रहे ध्वनि विस्तारक यंत्रों पर रोक लगाने का जारी किया था। सर्वोच्च न्यायालय भी रात्रि दस से सुबह छ: बजे के मध्य लाउड स्पीकर के उपयोग को पूर्णत: रोक लगा चुका है। लेकिन मुख्यमंत्री और सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों की खुलेआम अवहेलना की जा रही है।
अवहेलना का स्तर यह है कि रमजान के महीने में रोजा रखने वालों को सेहरी के समय की जानकारी देने और सेहरी के पहले नींद में से जगाने के लिए लाउड स्पीकर का उपयोग किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि सेहरी का समय सुबह पांच से साढे पांच बजे के मध्य का होता है। इसलिए इसी समय बेहद तेज आवाज में लाउड स्पीकर बजाए जाने लगते है।
जिम्मेदार अधिकारियों की अकर्मण्यता के चलते मुख्यमंत्री के आदेशों की अवहेलना करने में किसी को कोई संकोच नहीं है। हालत इतने बदतर है कि जिला प्रशासन के तमाम बडे अधिकारी स्वयं अपने कानों से लाउड स्पीकरों के शोर को प्रतिदिन सुनते है। लेकिन इसके बावजूद वे इसके विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं करते। रतलाम की आफिसर कालोनी,अल्पसंख्यक रहवासी इलाकों से सटी हुई है,इसलिए मस्जिदों में बजाए जाने वाले लाउड स्पीकरों का सबसे ज्यादा शोर इसी कालोनी में सुनाई देता है। इसके बावजूद सर्वोच्च न्यायालय के आदेश और मुख्यमंत्री के निर्देशों को ताक पर रखा जा रहा है।