December 27, 2024

BrahMos Missile : भारत को मिली एक और कामयाबी, ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल के लैंड अटैक वर्जन का सफल परीक्षण

agni missail

नई दिल्ली,24 नवंबर (इ खबरटुडे)। भारत ने आज अंडमान-निकोबार द्वीप समूह (Andaman and Nicobar Island) से ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल (BrahMos supersonic cruise missile) के लैंड अटैक वर्जन का परिक्षण किया। सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का परीक्षण सुबह 10 बजे किया गया, जिसने एक अन्य द्वीप पर मौजूद लक्ष्य को सफलतापूर्वक नष्ट किया। डीआरडीओ द्वारा विकसित मिसाइल का परिक्षण भारतीय सेना द्वारा किया गया था। इसके साथ ही ब्रह्मोस मिसाइल की स्ट्राइक रेंज अब 400 किमी से अधिक हो गई है।

ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल अपनी श्रेणी में दुनिया की सबसे तेज परिचालन प्रणाली है और हाल ही में डीआरडीओ ने मिसाइल प्रणाली की सीमा को मौजूदा 298 किमी से बढ़ाकर लगभग 450 किमी कर दिया है। पिछले दो महीनों में डीआरडीओ कई नई और मौजूदा मिसाइल प्रणालियों सहित शौर्य मिसाइल प्रणाली का परीक्षण करने में सफल रहा है, जो 800 किलोमीटर से अधिक दूरी तक अचूक निशाना साध सकती हैं।

पिछले महीने भारतीय नौसेना ने अपने युद्धपोत INS चेन्नई से ब्रह्मोस मिसाइल का परीक्षण किया था, जिसने 400 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद लक्ष्य पर प्रहार करने की अपनी क्षमता को प्रदर्शित किया था। ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल तीनों सशस्त्र बलों के लिए एक शक्तिशाली हथियार बन गई है। भारत सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के लिए निर्यात बाजार खोजने पर भी काम कर रहा है, जिसे डीआरडीओ ने अपनी परियोजना पीजे 10 के तहत काफी हद तक स्वदेशी बना दिया है।

सुखोई से दागी गई ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल

भारतीय वायु सेना के सुखोई-30 लड़ाकू विमान ने भी हाल ही में ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल से बंगाल की खाड़ी में अपने टारगेट को निशाना बनाया था। इस ऑपरेशन के लिए सुखोई विमान ने पंजाब के हलवारा एयरबेस से उड़ान भरी थी। सुखोई विमान की दूर तक पहुंच के कारण इसे हिंद महासागर क्षेत्र का शासक भी कहा जाता है। यह स्क्वाड्रन भी ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल से लैस है।

अपनी ताकत बढ़ा रहा भारत

बता दें कि भारत चीन और पाकिस्तान के साथ सीमा पर जारी तनाव के बीच अपनी ताकत में इजाफा करने में जुटा हुआ है। भारत लगातार क्रूज और बैलेस्टिक मिसाइलों का परीक्षण कर रहा है। जिसमें उसे सफलता भी मिल रही है। पहले जितने परीक्षण पूरे साल में हुआ करते थे, उससे ज्यादा परीक्षण गत दो से तीन माह के भीतर हो चुके हैं।

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