November 23, 2024

Ankita Murder: उत्तराखंड में गुस्से में कई संगठनों के लोग धरने पर बैठे, बदरीनाथ हाईवे किया जाम, दोषियों को फांसी की मांग

श्रीनगर,25 सितम्बर(इ खबर टुडे)। अंकिता भंडारी हत्याकांड के विरोध में पूरे पहाड़ में लोगों में उबाल है। लोगों ने जगह-जगह धरना, प्रदर्शन कर गुस्से का इजहार किया। साथ ही दोषियों को तत्काल फांसी की सजा देने की मांग की। वहीं, सुबह इस दौरान कांग्रेस, वामपंथी संगठन, छात्र संगठन के लोग मोर्चरी के आगे बदरीनाथ हाईवे पर धरने पर बैठ गए।

अधिक संख्या में लोग होने के कारण रास्ता जाम हो गया। जिसके चलते सड़क के दोनों ओर वाहन फंस गए। ट्रैफिक कोटेशवर और कीर्तिनगर से डाइवर्ट कर दिया। लोगों का कहना है कि अंकिता कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए। अंकिता के भाई को भी नौकरी दी जाए। वहीं, श्रीनगर बाजार भी आज बंद रखा गया।

अंकिता हत्याकांड पर महिलाएं भी मुखर हो रही हैं। उनका कहना है कि युवतियों को गलत काम करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। इनकार करने पर हत्या की जा रही है। सभासद सविता भट्ट ने कहा कि भाजपा भ्रष्टाचारियों व अपराधियों को शह दे रही है।

सरकार की शह पर प्रदेश में अपराध फलफूल रहा है। स्थिति यह है कि भाजपा जिन्हें सरकार में दायित्व दे रही है उनके बच्चे आम लोगों की बेटियों को अपनी हवस का शिकार बनाने पर तुले हैं। सभासद कविता जोगेला ने कहा कि प्रदेश सरकार कानून व्यवस्था बनाने में असफल है।

वहीं रुद्रप्रयाग में शनिवार को अखिल भारतीय विद्याथी परिषद, एनएसयूआई, यूथ कांग्रेस सहित अन्य कई छात्र संगठनों ने जिला मुख्यालय में प्रदर्शन किया। छात्र नेता संपन्न नेगी, नीरज कप्रवाण आदि का कहना था कि अब पहाड़ में भी बेटियां सुरक्षित नहीं हैं। आज भी छात्रों ने फांसी की मांग की।

टिहरी के घनसाली में व्यापारियों ने स्थानीय लोगों के साथ यहां बूढ़ाकेदार में प्रदर्शन किया। थराली में अंकिता भंडारी हत्याकांड और उसके साथ हुए दुर्व्यवहार को लेकर थराली के व्यापारियों में रोष है। व्यापार संघ अध्यक्ष संदीप रावत सहित अन्य व्यापारियों ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर हत्याकांड के दोषियों को सजा देने की मांग की।

पोखरी में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने राज्यपाल को ज्ञापन भेजकर अंकिता के हत्यारों को जल्द फांसी की सजा दिलाने की मांग की है। राज्य आंदोलनकारी चंद्रकला बिष्ट ने कहा कि अंकिता के साथ जिस तरह का अत्याचार हुआ है उससे देवभूमि शर्मिंदा हुई है।

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