रतलाम / बाल आयोग के निरीक्षण के बाद उमठपालिया के अवैध मदरसे से गायब हो गए बच्चे और टीचर, मदरसे का बोर्ड भी गायब, बाल कल्याण समिति के निरीक्षण में गलतबयानी करता रहा अवैध मदरसे का प्राचार्य (देखिये वीडियो)
रतलाम,04 फरवरी (इ खबरटुडे)। जिले की पिपलौदा तहसील के ग्र्राम उमठ पालिया में अवैध तरीके से चलाए जा रहे आवासीय मदरसे का बाल कल्याण आयोग की टीम द्वारा निरीक्षण किए जाने के बाद मदरसे में रहने वाले सारे बच्चे और टीचर गायब हो चुके है। मदरसे के भीतर का सारा सामान भी नदारद है और यहां तक कि मदरसे का बोर्ड भी गायब हो चुका है। अब मदरसे की जगह उस बिल्डिंग पर कब्रस्तान का बोर्ड टांग दिया गया है। ये सारी बातें मंगलवार को बाल कल्याण समिति के सदस्यों द्वारा किए गए मदरसे के निरीक्षण में सामने आई। मदरसे का प्रिन्सिपल भी इस दौरान लगातार गलत बयानी करता रहा।
उल्लेखनीय है कि विगत 25 जनवरी को बाल कल्याण आयोग की सदस्य डा. निवेदिता शर्मा और ओंकारसिंह मरकाम ने उमठपालिया में अताए रसूल उपरवाडा मदरसा का आकस्मिक निरीक्षण किया था। इस निरीक्षण में न सिर्फ मदरसा अवैध ढंग से चलता मिला था,बल्कि यहां बच्चों को स्कूली शिक्षा बन्द करवा कर उन्हे कïट्टरता सिखाई जा रही थी। इतना ही नहीं बिना किसी अनुमति के अवैध रुप से होस्टल संचालित किया जा रहा था और इस होस्टल में दूर दराज के गरीब बच्चों को लाकर रखा गया था। इनमें दो बच्चे तो अनाथ थे,जिन्हे बिना बाल कल्याण समिति की अनुमति के रखा जाना दण्डनीय अपराध है।
बाल आयोग के निरीक्षण के बाद,मदरसे में रहने वाले बच्चों को बच्चों के सम्बन्ध में बनाए गए कानूनों के तहत बाल गृह इत्यादि में पंहुचाने के उद्देश्य से मंगलवार को बाल कल्याण समिति ने उमठ पालिया के इस मदरसे का दोबारा निरीक्षण किया। कलेक्टर के निर्देश पर मदरसे के निरीक्षण पर बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष शंभू चौधरी,मनमोहन सिंह और वैदेही कोठारी आज उमठ पालिया पंहुचे। बाल कल्याण समिति के सदस्य वहां पंहुच कर हैरान रह गए। अब यहां मदरसे की जगह अताए रसूल कब्रस्तान का बोर्ड लगा हुआ था और इस भवन पर ताला लगा हुआ था।
समिति के सदस्यों ने पडोस में रहने वाले व्यक्ति से चाबी मंगवा कर ताला खुलवाया और जब भीतर जाकर देखा तो वे आश्चर्यचकित रह गए। अभी दस दिन पहले जहां मदरसा चलाया जा रहा था,वहां मदरसे का नामोनिशान तक गायब कर दिया गया था। जिन कमरों में बच्चों को रखा जाता था,उन कमरों को भी पूरी तरह साफ कर दिया गया था। प्रिन्सिपल रुम के टेबल कुर्सियां तक नदारद थी। सारे कागजात और ब्लैकबोर्ड जैसा सारा अन्य सामान भी नदारद था।
मदरसे के प्रिन्सिपल मोहम्मद शोएब को जब समिति के सदस्यों ने वहां बुलवाया तो उसने आकर बताया कि मदरसे को निरीक्षण के बाद ही बन्द कर दिया गया था। मो. शोएब ने तो यह मानने से ही इंकार कर दिया कि यहां आवासीय होस्टल संचालित था। मो.शोएब ने समिति सदस्यों को कहा कि यहां कोई बच्चा रहता नहीं था,बल्कि सभी बच्चे सिर्फ दो घण्टे के लिए आते थे। जबकि बाल आयोग के निरीक्षण के दौरान यह पता चला था कि मदरसे में राजस्थान और बिहार तक के बच्चों को लाकर रखा गया था। इनमें से दो बच्चे तो लावारिस भी थे।
मो.शोएब ने बताया कि मदरसे में तीन शिक्षक थे,जो कि मदरसा बन्द होने के बाद यहां से चले गए है। समिति सदस्यों को उसने बताया कि सभी बच्चों को उनके अभिभावकों को सौंप दिया गया है। जबकि वास्तविकता यह है कि 25 जनवरी के निरीक्षण के बाद बिहार और उत्तर प्रदेश में रहने वाले लोग अपने बच्चों को लेने के लिए इतनी जल्दी आ ही नहीं सकते थे। मदरसे के बच्चों को कहां भेजा गया है,यह गंभीर जांच का विषय है।
बाल आयोग के निरीक्षण में यह भी स्पष्ट हुआ था कि मदरसे की बिल्डिंग कब्रस्तान की जमीन पर बनाई गई है। आज बाल कल्याण समिति के सदस्यों ने उक्त भूमि के सम्बन्ध में दस्तावेज देखने की कोशिश की लेकिन कब्रस्तान समिति का कोई पदाधिकारी समिति के निरीक्षण के दौरान उपस्थित नहीं हुआ। कब्रस्तान समिति के कई पदाधिकारियों को फोन लगाकर बुलाया गया,लेकिन कोई आने को तैयार नहीं हुआ।
बाल कल्याण समिति के निरीक्षण के बाद अब यह साफ हो चुका है कि अवैध ढंग से चलाए जा रहे मदरसे के संचालकों को ठीक से समझ में आ गया था कि उनके विरुद्ध कडी कार्यवाही हो सकती है,इसी के चलते वे निरीक्षण के फौरन बाद गायब हो गए। अब जिला प्रशासन की जिम्मेदारी है कि इनकी तलाश करके उनके विरुद्ध कार्यवाही की जाए। मदरसे के मासूम बच्चों को कहां भेजा गया है इसकी जांच भी कराई जाने की जरुरत है।
यह था मामला लिंक खोलिये
https://ekhabartoday.com/newekt/illegal-madrasa-found-again-in-the-district-teaching-extremism-to-children-many-irregularities-found-during-inspection-by-members-of-child-protection-commission/