December 28, 2024

Terrorist Cabinet : वैश्विक आतंकी बना अफगानिस्तान का प्रधानमंत्री, गृहमंत्री भी मोस्ट वांटेड,दुनिया कैसे मान्यता देगी तालिबान सरकार को ?

14_08_2021-taliban_new_21927570_81446154

काबुल,08 सितम्बर (इ खबरटुडे)। तालिबान ने वैश्विक आतंकी घोषित मुल्ला हसन अखुंद को इस्लामिक अमीरात का प्रधानमंत्री बनाया है। इतना ही नहीं, अमेरिका के मोस्ट वॉन्टेड आतंकी को तालिबान सरकार में अफगानिस्तान का गृह मंत्री बनाया गया है। तालिबान सरकार में नंबर एक और दो पद पर वैश्विक आतंकियों की नियुक्ति से दुनिया में तहलका मचा हुआ है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि इन दोनों प्रतिबंधित आतंकियों के प्रमुख पदों पर रहते हुए कोई भी देश तालिबान सरकार को मान्यता कैसे दे सकता है।

यूएन का प्रतिबंधित आतंकी है पीएम मुल्ला हसन अखुंद

अफगानिस्तान में तालिबान सरकार का मुखिया बना मुल्ला हसन अखुंद संयुक्त राष्ट के वैश्विक आतंकियों की सूची में शामिल है। मुल्ला मोहम्मद हसन वर्तमान में तालिबान के शक्तिशाली निर्णय लेने वाले निकाय, रहबारी शूरा या नेतृत्व परिषद के प्रमुख है। मोहम्‍मद हसन तालिबान के जन्मस्थान कंधार से ताल्लुक रखता है और आतंकी आंदोलन के संस्थापकों में से एक है। मुल्ला हसन अखुंद ने रहबारी शूरा के प्रमुख के रूप में 20 साल तक काम किया है और बहुत अच्छी प्रतिष्ठा अर्जित की। वह एक सैन्य पृष्ठभूमि के बजाय एक धार्मिक नेता है।

अमेरिका का मोस्ट वांटेड है सिराजुद्दीन हक्कानी

अफगानिस्तान का गृह मंत्री या आंतरिक मंत्री बना सिराजुद्दीन हक्कानी अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआई की हिटलिस्ट में शामिल हैं। अमेरिकी सरकार ने तो बाकायदा इस आतंकी के ऊपर 5 मिलियन डॉलर (करीब 36 करोड़ रुपये) का इनाम भी रखा हुआ है। पिता जलालुद्दीन हक्कानी की मौत के बाद सिराजुद्दीन हक्कानी, हक्कानी नेटवर्क की कमान संभाले हुए है। हक्कानी समूह पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा पर तालिबान की वित्तीय और सैन्य संपत्ति की देखरेख करता है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि हक्कानी ने ही अफगानिस्तान में आत्मघाती हमलों की शुरुआत की थी। हक्कानी नेटवर्क को अफगानिस्तान में कई हाई-प्रोफाइल हमलों के लिए जिम्मेदार माना जाता है। उसने तत्कालीन अफगान राष्ट्रपति हामिद करजई की हत्या का प्रयास भी किया था।

संपत्ति जब्त करना

इस सूची में शामिल होते ही संयुक्त राष्ट्र के नियमों के अनुसार सभी देश बिना देरी किए संबंधित व्यक्ति, समूह या संस्था का धन, वित्तीय संपत्ति और आर्थिक संसाधनों को जब्त कर लेते हैं। जिस भी देश में इन आतंकियों के नाम से कोई भी संपत्ति या बैंक अकाउंट होगा उसे तुरंत ही जब्त कर लिया जाएगा।

यात्रा पर प्रतिबंध

सभी देशों को प्रतिबंधित सूची में शामिल लोगों का विश्व के किसी भी देश में आने-जाने पर प्रतिबंध लग जाता है। इसके अलावा वह जिस देश में है उसमें भी स्वतंत्र रूप से यात्रा नहीं कर सकता है। कोई भी देश ऐसे आतंकियों को न तो वीजा जारी कर सकता है और न ही अपने देश में शरण दे सकता है।

हथिार खरीदने-बेचने पर प्रतिबंध

संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंधित सूची में शामिल होते ही संबंधित व्यक्ति या संस्था को किसी भी देश या संगठन द्वारा हथियारों का खरीद-फरोख्त, उसके पुर्जों, मैटेरियल, तकनीकी की जानकारी देने पर प्रतिबंध लग जाता है। प्रतिबंधित व्यक्ति या संस्थान किसी भी देश का झंडा लगा हवाई जहाज या शिप का उपयोग नहीं कर सकता है।

तालिबान सरकार को कैसे मिलेगी मान्यता?

दुनिया में ऐसा पहली बार हुआ है, जब दो या दो से अधिक वैश्विक आतंकी किसी सरकार में सबसे ऊंचे ओहदे पर बैठे हुए हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि जिन-जिन देशों ने इन आतंकियों पर प्रतिबंध लगाए हुए हैं, वे आखिरकार तालिबान सरकार को मान्यता कैसे देंगे। अगर ये देश नियमों तो ताक पर रखकर मान्यता देते हैं तो इसे आतंकवाद के साथ समझौता माना जाएगा। दूसरी तरफ ऐसी मिसाल कायम होगी कि आतंकी होने के बावजूद सरकार का प्रमुख बनने पर सभी अपराध माफ हो जाते हैं।

कैसे हटेगा वैश्विक और मोस्ट वॉन्टेड का ‘तमगा’?

मुल्ला हसन अखुंद और सिराजुद्दीन हक्कानी के ऊपर से वैश्विक आतंकी और मोस्ट वाॉन्टेड का ‘तमगा’ हटाना कोई आसान बात नहीं है। अगर कोई आतंकी संयुक्त राष्ट्र की वैश्विक आतंकियों वाली सूची में शामिल होता है तो वह दुनियाभर के अधिकतर देशों में अपने आप ही प्रतिबंधित हो जाता है। भारत भी संयुक्त राष्ट्र के डेजिग्नेटेड टेररिस्ट सूची को मान्यता देता है। ऐसे में इन देशों के लिए तालिबान सरकार को मान्यता देना टेढ़ी खीर साबित हो सकता है।

तालिबान के पास क्या विकल्प?

इस समय तालिबान को दुनिया की जरूरत है, न कि दुनिया को तालिबान की। तालिबान अपनी सरकार चलाने के लिए पैसे-पैसे का मोहताज है। अगर उसके पास पैसा नहीं आया तो अफगानिस्तान में तबाही आ सकती है। दूसरी तरफ अगर दुनिया ने मान्यता नहीं दी तो राजनयिक संबंध स्थापित नहीं हो सकेंगे। ऐसे में तालिबान को यह साबित करना होगा कि उसने आतंकवाद से संबंध तोड़ लिया है और वह महिलाओं, धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ सभी समूहों को बराबरी का दर्जा दे रहा है। ऐसा न होने की सूरत में उसे इन वैश्विक आतंकियों को हटाकर अच्छे और साफ सुथरे नामों को शामिल करना पड़ेगा।

You may have missed

Here can be your custom HTML or Shortcode

This will close in 20 seconds