January 31, 2025

गांधी की बताई अर्थव्यवस्था पर किसी जीडीपी का प्रभाव नहीं होता, अभा सद्भावना व्याख्यानमाला के शुभारंभ प्रसंग पर प्रमुख वक्ता के रूप में रनसिंह परमार

gdp

उज्जैन,14 नवंबर (इ खबरटुडे/ब्रजेश परमार)। गांधीजी ने भारत के लिए जिस आर्थिक नीति की कल्पना की थी, उसमें निहित आदर्शों अपनाने की आवश्यकता है। गांधीजी की बताई अर्थव्यवस्था पर किसी जीडीपी का प्रभाव नहीं होता है। गांधीजी द्वारा बताई गयी आर्थिक नीति वह नीति है, जो बारिश में या अन्य आपदा में भी टिकी रह सकेगी। गांधीजी का मानना था कि जिस क्षेत्र की जो आवश्यकताएं हैं, उन्हें ध्यान में रखकर वहां खाद्यान्न उगाया जाए।

उक्त विचार महात्मा गांधी सेवा आश्रम जौरा के सचिव रनसिंह परमार ने भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा आयोजित पद्मभूषण डॉ शिवमंगल सिंह सुमन स्मृति अभा सद्भावना व्याख्यानमाला के शुभारंभ प्रसंग पर प्रमुख वक्ता के रूप में व्यक्त किए। गांधीजी की अर्थनीति की वर्तमान में प्रासंगिकता विषय पर अपने उद्बोधन में रनसिंह परमार ने कहा कि कहा कि अन्य वस्तुओं का उत्पादन भी क्षेत्र की आवश्यकता के अनुरूप होना चाहिए। इससे यह फायदा होगा कि सामान को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने अर्थात परिवहन का खर्चा बचता है और सड़कों पर वाहनों का दबाव भी कम होता है। जल, जमीन और जंगल हमारी अधिकांश आबादी को रोजगार दे सकते हैं। इनका संरक्षण बहुत आवश्यक है। प्रकृति से उतना ही दोहन करें जितनी हमें आवश्यकता है। यदि सिर्फ एक पत्ते की आवश्यकता है तो पूरे पेड़ को नष्ट करना बहुत बड़ी नासमझी है। गांधीजी ने बहुत पहले ही यह बता दिया था कि रासायनिक खाद का परिणाम बहुत घातक होगा। निश्चित रूप से इसके दुष्प्रभाव आज देखने को मिल रहे हैं। हमें जैविक उत्पादन का उपयोग अधिक से अधिक करना चाहिए।

कपड़े की दृष्टि से भारत आत्मनिर्भर बन सकता है। यदि हम वस्तुओं का अनावश्यक संग्रह करेंगे तो यह आदर्श आर्थिक नीति में बाधा उत्पन्न करेगा। समारोह की अध्यक्षता करते हुए सामाजिक विज्ञान शोध संस्थान उज्जैन के निदेशक श्री यतीन्द्र सिंह सिसोदिया ने कहा कि गांधी अपने आप में एक ऐसा दृष्टिकोण है, जो सभी समस्याओं का निदान करता है। गांधी हमेशा आर्थिक और सामाजिक अन्याय के विरुद्ध खड़े रहे हैं। वास्तविक स्वतंत्रता वही होगी जब प्रत्येक व्यक्ति स्वयं के प्रयासों से आगे बढ़ने का विश्वास मन में जागृत कर सके। हमें अपने प्राथमिक उद्योगों का ध्यान इस प्रकार रखना होगा, जिस प्रकार एक मां अपने बच्चे का ध्यान रखती है। व्याख्यानमाला का आरंभ संस्थाध्यक्ष श्री कृष्णमंगल सिंह कुलश्रेष्ठ द्वारा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और कविकुलगुरु डॉ शिवमंगल सिंह सुमन जी की तस्वीर पर माल्यार्पण के साथ हुआ। कार्यक्रम का संचालन डॉ गिरीश पंड्या ने किया। व्याख्यानमाला को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर ऑनलाइन भी सुना गया एवं उज्जैन के पहले कम्युनिटी रेडियो दस्तक 90.8 एफएम पर भी इसे सुना जा रहा है।

You may have missed