December 23, 2024

Conversion : शहर के नजदीक आमलीपाडा में आदिवासियों के धर्मान्तरण का बडा षडयंत्र,हिन्दू संगठन की सक्रियता से हुआ पर्दाफाश,प्रकरण दर्ज (देखिए लाइव विडीयो)

church amlipada

रतलाम,28 जुलाई (इ खबरटुडे)। शहर के नजदीक आदिवासी बहुल ग्राम आमलीपाडा में आदिवासियों के धर्मान्तरण का बडा षडयंत्र सामने आया है। हिन्दू संगठनों की सक्रियता से धर्मान्तरण के इस खेल का पर्दाफाश हुआ है। आमलीपाडा में मुख्यसड़क से काफी दूर एक खेत में चर्च बनाकर आदिवासियों को बीमारियां और दुख दर्द ठीक करने का प्रलोभन देकर इसाई बनाया जा रहा था।

विश्व हिन्दू परिषद के गौरव शर्मा को सूचना मिली थी कि आमलीपाडा में इसाई मिशनरियों द्वारा चर्च बनाकर भोले भाले आदिवासियों को बीमारियां ठीक करने और दुख दर्द दूर करने के नाम पर इसाई बनाया जा रहा है। इस अस्थाई से चर्च में हर रविवार को प्रेयर का आयोजन किया जाता है,जिसमें बडी संख्या में आदिवासी महिला पुरुष शामिल होते है।सूचना के आधार पर श्री शर्मा अपने कुछ कार्यकर्ताओं के साथ आमली पाडा पंहुचे। सूचना सही होने पर उन्होने इस बात की सूचना पुलिस को दी। सूचना मिलने पर दीनदयाल नगर थाना प्रभारी रवीन्द्र दण्डोतिया वहां पंहुचे और चर्च संचालित करने वाले प्रभू मचार नामक व्यक्ति को थाने पर लेकर आए।

मौके पर पंहुचे पत्रकारों ने देखा कि चर्च में बडी संख्या में आदिवासी महिलाएं और पुरुष प्रेयर के लिए पंहुचे थे। इनमें से अधिकांश महिला पुरुषों का जबर्दस्त ब्रेनवाश किया जा चुका था। पत्रकारों से चर्चा करते हुए अधिकांश महिलाओं ने बताया कि उन्होने अपनी अलग अलग बीमारियों का कई जगहों पर इलाज करवाया,लेकिन उन्हे कोई फायदा नहीं हुआ। लेकिन चर्च में इसा मसीह की प्रेयर करने पर उनकी सारी बीमारियां ठीक हो गई।

आमलीपाडा में बनाया गया चर्च प्रभु मचार के लाखिया गांव के निजी खेत में बनाया गया है। लाखिया गांव आमलीपाडा ग्र्रामपंचायत का ही एक गांव जो आमलीपाडा से लगा हुआ है। प्रभु मचार का खेत मुख्य सड़क से काफी दूर रेलवे लाइन को पार करने के बाद है। मुख्य सड़क से इस चर्च में जाने के लिए काफी लम्बा रास्ता तय करना पडता है। रेलवे लाइन की दूसरी तरफ चर्च तक जाने के लिए सीमेन्ट कांक्रीट का एक रास्ता भी बनाया गया है।

पत्रकारों ने चर्च पर पंहुचकर देखा तो वहां भी कई महिलाएं व पुरुष मौजूद थे। इन सभी का कहना था कि यहां प्रार्थना करने से उनकी बीमारियां ठीक हो गई है। चर्च के हाल में दो तीन बीमार महिला पुरुष भी सोए हुए थे। जिनके बारे में कहा जा रहा था कि ये सभी लोग अपना इलाज कराने ही आए थे। चर्च में चर्च संचालक प्रभु मचार की नियुक्ति का प्रमाणपत्र और परिचय पत्र भी पडे थे। चर्च के भीतर इसाई धर्म से सम्बन्धित चित्र और बाइबिल इत्यादि भी रखे हुए थे। रविवार की प्रार्थना में आने वाले लोगों को भोजन भी यहीं कराया जाता था। हांलाकि वहां मौजूद लोग इस बात से इंकार कर रहे थे कि उन्हे भोजन कराया जाता है। लेकिन पत्रकारों ने वहां देखा कि गैस भïट्टा और भोजन तैयार करने के साधन वहां उपलब्ध थे।

चर्च में नियमित जाने वाले महिला पुरुषों ने बताया कि यहां प्रत्येक रविवार को बडी संख्या में आदिवासी महिला पुरुष आते है। यहां आने वालों में आसपास के कई गांवों के आदिवासी शामिल होते है। रावटी,बाजना और रतलाम चर्च के पादरी आदि भी विशेष मौको पर यहां आते है।

चर्च चलाने वाले प्रभु मचार ने बताया कि वह पिछले बारह वर्षों से चर्च चला रहा है। उसने बताया कि बारह वष पहले उसकी बीमारी चर्च जाने से ठीक हुई थी,तभी से वह इसाई बन गया और अन्य लोगों को भी इसाई बनाने की कोशिश में जुट गया। प्रभु मचार ने बताया कि उसकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है और खेती के अलावा वह और उसके परिवार के लोग मजदूरी भी करते है,लेकिन उसका कहना है कि चर्च उसने अपने स्वयं के पैसों से बनवाया। यह पूछे जाने पर कि उसका सम्बन्ध किस चर्च से है,वह गोलमोल उत्तर देने लगता है।

वह किसी भी तरह यह स्वीकार करने को तैयार नहीं है कि उसे इस काम के लिए बाहरी सहायता मिलती है। जबकि चर्च में आने वाली महिलाओं ने अपनी बातचीत में बताया कि विशेष मौको पर रतलाम,झाबुआ आदि स्थानों से बडे पादरी यहां आते रहते है। जिन महिलाओं को बच्चे नहीं होते उनके लिए विशेष प्रेयर कराने भी बाहर के पादरी आते है।

सबसे बडा सवाल ये है कि शहर के नजदीक ही पिछले कई बरसों से आदिवासियों को धर्मान्तरित करने का कुचक्र चल रहा है,लेकिन ना तो किसी सरकारी एजेंसी और ना ही हिन्दूवादी संगठनों को अब तक इसकी भनक लग पाई थी। आदिवासी क्षेत्रों के लिए तमाम तरह की सरकारी योजनाएं क्रियान्वित की जाती है। स्वास्थ्य सुविधाएं भी मुहैया कराई जाती है,इसके बावजूद इन आदिवासियों को यह समझा दिया गया है कि उनकी बीमारियां इलाज से नहीं बल्कि प्रभु यीशु की प्रार्थना से ठीक हो जाएगी। चर्च में आ रही तमाम आदिवासी महिलाएं मंगलसूत्र,माला,इत्यादि पहने हुए थी,इसके बावजूद वे अपने आप को इसाई मानने लगी है।

ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने वाली सरकारी एजेंंसियों में किसी ने भी आज तक इस बात पर ध्यान नहीं दिया कि गांव में इतनी तेजी से धर्मान्तरण हो रहा है। यही स्थिति जिले के बाजना ,रावटी सैलाना इत्यादि आदिवासी अंचल के अन्य गांवों की भी बै। इतना ही नहीं रतलाम शहर में भी कई गरीब बस्तियों में लोगों को इसाई बनाने का कुचक्र चलाया जा रहा है।

दीनदयाल नगर पुलिस ने लाखिया गांव में चर्च संचालित कर रहे प्रभु मचार के विरुद्ध आपराधिक प्रकरण दर्ज किया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।

You may have missed

Here can be your custom HTML or Shortcode

This will close in 20 seconds