आसान नहीं भाजपा के लिए जीत की राह
शहर का आमजन बहुमत देने के बाद भी 5 साल रहा हैरान
उज्जैन,27 जुलाई(इ खबरटुडे)। शहर की सरकार के लिए इस बार भाजपा की राह आसान नहीं है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पिछले चुनाव में शहर सरकार के लिए मतदाताओं ने बहुमत दिया। बहुमत का परिणाम यह रहा कि 5 साल तक मतदाताओं को हैरानी और परेशानी में व्यतीत करने पड़े। इस हैरानी और परेशानी का माकूल जवाब भी नहीं मिला। प्रदेश के मुखिया ने उौन को स्वप्न नगरी का सपना तो दिखाया लेकिन उसका आधार यह निकला कि स्मार्ट सिटी में उौन 8वें पायदान पर नजर आया। ऐसे ही कई कारण भाजपा की जीत की राह का रोड़ा बनेंगे।
11 अगस्त 2010 को शहर की सरकार पूरी तरह से भाजपा मय हो गई थी। प्रदेश की सरकार के साथ उज्जैन की जनता ने ताल से ताल मिलाते हुए उौन में बहुमत दिया था। इस बहुमत का परिणाम जो सामने आया उसे देखकर शहर की जनता पूरे पांच साल हैरान-परेशान रही। आगर रोड सहित कई परेशानियों पर शहर की सरकार निर्णय लेने में उलझी रही। अंतत: आगर रोड का निर्माण लोक निर्माण विभाग को करना पड़ा। वह भी मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद संभव हो सका। शहर की कचरा प्रबंधन की व्यवस्था को लेकर बहुमत आपस में उलझा रहा। हालात यह रहे कि महापौर अपने नजरिये से मुद्दों को देखते रहे और भाजपा पार्षद अपने नजरिये से। तालमेल का अभाव पूरी तरह से सामने आया। एमआईसी में निर्णय तो कई हुए। इन पर अमल कितनों पर हुआ ये कोई नहीं बता पाया। खाद ठिया पर करोड़ों रुपया बर्बाद नजर आया। हर मुद्दे पर भाजपा की नगर सरकार खुद से ही उलझी नजर आई। इस बीच 5 आयुक्त बदल गये। सरकार के मुखिया की पटरी कब बैठी और कब गाड़ी ने पटरी छोड़ दी और क्यों? इसका जवाब न तो सरकार के प्रवक्ताओं के पास रहा और न ही पार्टी स्तर पर दिया गया। नगर सरकार के मुखिया की मंत्री, नगर अध्यक्ष और पार्षदों के साथ उलझन सार्वजनिक रही। राजनैतिक विश्लेषकों के मुताबिक नगर के ये मुद्दे तो उठेंगे ही इसके साथ ही प्रदेश में पिछले 13 साल से राज कर रही भाजपा की सरकार और उससे जुड़े मुद्दे भी स्थानीय स्तर पर इस बार की नगर सरकार के चुनाव में खुलकर सामने आने वाले हैं। 5 साल बाद भी आगर रोड का अब भी पूरा निर्माण नहीं हो पाया है। यही स्थिति अन्य कई प्रोजेक्टों पर भी सामने आ रही है। प्रतिनियुक्ति के थर्ड क्लास अधिकारी प्रथम श्रेणी के मजे मार रहे हैं। इस पर भी नगर सरकार की कोई आवाज न उठना बड़ा मुद्दा बन सकता है। ऐसे ही कई मामले भाजपा की जीत के लिये रोड़ा बनकर सामने खड़े हैं।
महापौर प्रत्याशी में सीधे सीएम की चली!
नगर सरकार के चुनाव में महापौर प्रत्याशी के लिये भारतीय जनता पार्टी की ओर से पूर्व से ही खोजबीन शुरु कर दी गई थी। इस बार संघ पूरी तरह से अलग-थलग और शांत बैठा रहा। अनुशांगिक संगठनों ने भी अपने आपको हालात को देखते हुए पूरी तरह से अलग-थलग ही रख छोड़ा है। पार्टी स्तर पर प्रत्याशी की खोजबीन पूर्व से ही की गई थी। एक एजेंसी के माध्यम से इसमें कवायदें करवाई गई थीं। सर्वे के तहत तीन नाम सामने आये थे। इनमें लीला जूनवाल, मीना जोनवाल, सुशीला जाटवा का नाम शामिल था। मुख्यमंत्री तक ये नाम पहुंचाये जा चुके थे। प्रदेश स्तर पर संगठन के साथ समन्वय से मुख्यमंत्री ने मीना जोनवाल के नाम को हरी झंडी दे दी। इसके तहत यह नाम सीधे भोपाल से ही तय हुआ। पार्टी स्तर पर शेष खानापूर्तियां पूरी कर दी गई।
देर रात तक मंथन, आज पार्षद टिकट की सूची संभव
भाजपा की ओर से पार्षद पद उम्मीदवारों के टिकट को लेकर मंथन का दौर रविवार को शुरु हुआ। देर रात तक यह मंथन जारी था। बताया जा रहा है कि मंथन में एक-एक वार्ड को लेकर खींचतान की स्थिति सामने आई लेकिन इस पूरी स्थिति पर बैठक में उपस्थित वरिष्ठजनों ने पूरा नियंत्रण रखा। नियंत्रण के तहत कहीं भी निर्णय में ऐसे हालात नहीं बन सके जिससे कि अनियंत्रित स्थिति बने। कुछ वार्डों को लेकर सहमति नहीं बन पाने की स्थिति में प्रदेश स्तर से सूची अनुमोदन के हालात भी बने थे। सूत्रों के मुताबिक देर रात तक पूरी तरह से स्थिति साफ नहीं होने के चलते सोमवार को दोपहर उपरांत सूची घोषणा की स्थिति बन सकती है। वैसे हालात ये भी बताये जा रहे हैं कि सोमवार को देर शाम भी हो सकती है।
ये हैं समिति में
पार्षद टिकट पर निर्णय लेने वाली संभागीय समिति में भाजपा के दिग्गज नेता विजेन्द्रसिंह सिसौदिया, प्रदेश कार्य समिति सदस्य जगदीश अग्रवाल, डॉ. तेजबहादुरसिंह चौहान, डॉ. राजेन्द्र पाण्डे, उत्तर-दक्षिण विधायक, सांसद डॉ. मालवीय, सिंहस्थ प्राधिकरण अध्यक्ष दिवाकर नातू, सुधीर गुप्ता, मनोहर ऊंटवाल, चेतन कश्यप, बबीता परमार के साथ ही सहयोग के लिये संभागीय संगठन मंत्री राकेश डागोर, नगर अध्यक्ष इकबालसिंह गांधी।