Ayodhya : 500 साल के बाद अपने ‘घर’ में विराजे राम, अलौकिक और अद्भुत हुआ रामलला का सूर्यतिलक
अयोध्या,17अप्रैल(इ खबर टुडे)। अयोध्या के राम मंदिर में रामनवमी के अवसर पर दोपहर ठीक 12 बजकर 16 मिनट पर रामलला का सूर्य तिलक संपन्न हुआ। इस भव्य दिव्य और अलौकिक सूर्य तिलक का 100 एलईडी स्क्रीन से पूरे अयोध्या में लाइव टेलिकास्ट किया गया। रामनवमी के मौके पर रामलला के सूर्य तिलक को देखने के लिए लाखों भक्त अयोध्या में उमड़े हैं। स्टेशन से लेकर रामजन्म भूमि तक भक्तों की कतार लगी हुई है। 500 साल के लंबे इंतजार के बाद अयोध्या में रामलला अपने भव्य मंदिर में विराजमान हैं।
राम मंदिर बनने के बाद ये पहली रामनवमी है। इस वजह से इस बार रामनवमी पर सूर्य की किरणों से उनका अभिषेक किया जा रहा है। सूर्य की किरणें ठीक 12 बजकर 16 मिनट पर रामलला के ललाट पर पड़ी। करीब 3 मिनट तक सूर्य किरणों ने रामलला के मस्तक पर 75 मिमी के आकार का गोल तिलक किया। सूर्य की किरणें तीसरी मंज़िल से गर्भगृह में विराजमान रामलला तक पहुंची। इसके लिए वैज्ञानिकों ने खास तैयारी की
सीबीआरआई के वैज्ञानिकों की एक टीम ने सूर्य तिलक मैकेनिज्म को इस तरह से डिजाइन किया है कि हर साल राम नवमी के दिन दोपहर 12 बजे करीब चार मिनट तक सूर्य की किरणें भगवान राम की प्रतिमा के माथे पर पड़ें। इस निर्माण कार्य में सीबीआरआई के साथ सूर्य के पथ को लेकर तकनीकी मदद बेंगलूरु के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (आईआईए) की भी ली गई है। बेंगलूरु की एक कंपनी ऑप्टिका ने लेंस और ब्रास ट्यूब का निर्माण किया है।
इस तरह से हुआ सूर्य तिलक
प्रोजेक्ट सूर्य तिलक में एक गियर बॉक्स, रिफ्लेक्टिव मिरर और लेंस की व्यवस्था इस तरह की गई है कि मंदिर के शिखर के पास तीसरी मंजिल से सूर्य की किरणों को गर्भगृह तक लाया गया। इसमें सूर्य के पथ बदलने के सिद्धांतों का उपयोग किया गया। सीबीआरआई के वैज्ञानिक डॉ. प्रदीप चौहान ने बताया कि, शत प्रतिशत सूर्य तिलक रामलला की मूर्ति के माथे पर अभिषेक हुआ।