December 28, 2024

Raag Ratlami Election : रतलाम के चुनावी मैदान की तस्वीर हुई साफ,अलीराजपुर वाली बहनजी के मुकाबले में झाबुआ वाले नेताजी,फूल छाप फुल फॉर्म में,पंजा पार्टी में पतझड़ जारी

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रतलाम। लम्बे इंतजार के बाद आखिरकार पंजा पार्टी ने आम चुनाव के रतलामी अखाडे के लिए अपने दावेदार का नाम घोषित कर दिया और इस तरह अब चुनावी मैदान की तस्वीर पूरी तरह साफ हो गई है। पंजा पार्टी ने फिर से पुराने वाले झाबुआ के नेताजी पर ही दांव लगाया है। फूल छाप तो पहले ही अलीराजपुर वाली बहन जी को मैदान में उतार चुकी थी। चुनावी मैदान में दोनो पार्टियों के दावेदार के नाम तो आ गए है,लेकिन मैदान में मौजूदगी केवल फूल छाप पार्टी की नजर आ रही है। पंजा पार्टी तो कहीं दूर दूर तक नजर भी नहीं आ रही है।

पंजा पार्टी की जानकारी रखने वालों का कहना है कि इस बार तो पंजा पार्टी को अपने चुनावी योध्दा का नाम तय करने मे जबर्दस्त मशक्कत करना पडी। वैसे तो पार्टियों को चुनावी टिकट देने के पहले माथापच्ची और मशक्कत हमेशा ही करना पडती है। लेकिन पंजा पार्टी की इस बार की मशक्कत अलग तरह की थी। इससे पहले तक पंजा पार्टी का टिकट लेने के लिए लाइन लगी होती थी और टिकट को लेकर भारी खींचतान मची रहती थी। कई सारे दावेदारों में से जिसे टिकट मिल जाता था,उसके अलावा तमाम नेता नाराज फूफा बन जाया करते थे और फिर बडे नेताओं को उनकी मान मनौव्वल करना पडती थी। लेकिन इस बार का नजारा अलग था।

पंजा पार्टी का टिकट लेने को कोई तैयार नहीं हो रहा था। पंजा पार्टी जिस किसी को टिकट देने की कोशिश करती,वहीं बहाने बनाने लगता। झाबुआ वाले नेताजी कई बार जीतकर दिल्ली जा चुके है और मंत्री भी रह चुके है। लेकिन इस बार जब उन्हे मैदान में उतारने की बात आई तो उन्होने खुद को उम्रदराज बताते हुए किसी युवा नेता को आगे लाने की बात कही। उनके खुद के पुत्र भी युवा पंजा पार्टी के नेता है,लेकिन नेताजी ने अपने पुत्र की बजाय सैलाना वाले भैया के माथे पर टोपी रखने को कोशिश की। सैलाना वाले भैया अभी पिछले चुनाव में ही झटका खाए हुए है। इसलिए उन्होने ये टोपी पहनने से इंकार कर दिया। पंजा पार्टी वालो ने और भी दावेदारों को टटोला लेकिन हर कोई पीछे हट गया।

आखिरकार झाबुआ वाले साहब को ही सूली पर चढने के लिए तैयार किया गया। अब हालात ये है कि झाबुआ वाले साहब अलीराजपुर वाली बहन जी के मुकाबले में है। पंजा पार्टी का मनोबल रसातल को पहुंचा हुआ है और दूसरी तरफ फूल छाप वाले फुल फार्म में है।

किसी जमाने में कहा जाता था कि झाबुआ वाली सीट जिस दिन फूल छाप जीतेगी उसी दिन सरकार बनाएगी। सचमुच में ऐसा ही हुआ। दस साल पहले झाबुआ में पहली बार फूल छाप ने जीत दर्ज कराई थी,और तभी से फूल छाप की सरकार बनी हुई है। इस बार के चुनाव में भी फूल छाप की सरकार फिर से बनने के पूरे चांस है इसलिए झाबुआ रतलाम वाली सीट पर भी फूल छाप का पलडा ही भारी दिखाई दे रहा है।

सूबे के नए सीएम पहली बार रतलाम आए,तो रतलाम के फूल छाप वाले कई सारे नेता फूल कर कुप्पा हो गए। सूबे के सीएम,लम्बे वक्त तक रतलाम के प्रभारी रहे है। इसी वजह से रतलाम के कई सारे फूलछाप नेताओं से उनकी व्यक्तिगत पहचान है। सीएम बनने के बाद पहली बार जब वे आए,तो रतलाम के तमाम नेताओं से जम कर गले मिले।

रतलाम के फूलछाप नेताओं की खुशी का ठिकाना नहीं रहा,जब सीएम ने एक एक से व्यक्तिगत रुप से पूछताछ की। किसी से अमरनाथ यात्रा के बारे में पूछा तो किसी को कोई और बात याद दिलाई। सीएम बहुत थोडे वक्त रतलाम में रुके लेकिन तमाम नेताओं को खुश कर गए। ना सिर्फ खुश कर गए बल्कि खुशी के साथ साथ चुनाव के लिए जमकर जोश भी जगा गए।

सीएम के रतलाम आने के मौके पर पंजा पार्टी की पतझड का नजारा भी सामने आ गया। वैसे तो पूरे सूबे में कई जगहों पर पंजापार्टी की पतझड चल रही है। मौसम भी पतझड का है। पेडों से पत्ते गिरने के मौसम को पतझड कहते है। ठीक इसी तरह पंजा पार्टी से नेताओं के निकलने का सिलसिला जारी है। ये सिलसिला रतलाम तक आ पंहुचा है,इसकी जानकारी लोगों को सीएम के आने पर लगी।

आलोट से विधायक बने पंजा पार्टी के नेताजी पिछला विधानसभा चुनाव बुरी तरह हार गए थे। सीएम आए तो आलोट वाले नेताजी ने फूलछाप का दामन थाम लिया। इसी तरह पंजा पार्टी के टिकट पर रतलाम में जबर्दस्त हार का रेकार्ड बना चुके नेताजी पंजा पार्टी से तो पहले ही टाटा कर चुके थे, लेकिन सीएम के आने पर उन्होने भी केसरिया दुप्पट्टा गले में डाल लिया।

पंजा पार्टी के और भी कई सारे छोटे मोटे नेताओं ने केसरिया दुपïट्टा औढने में ही भलाई समझी और पंजा पार्टी से पीछा छुड़ा लिया। पतझड का ये मौसम पंजा पार्टी में कब तक चलेगा कोई नहीं जानता। हांलाकि फूल छाप वाले कई नेता इससे नाराज है। उन्हे इस बात का डर है कि ये पुराने पापी, कहीं उनके हक पर डाका ना डाल दें?

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