सिविक सेन्टर में भूमाफिया राजेन्द्र पितलिया के षडयंत्र से कराई गई रजिस्ट्रियों की निरस्ती के साथ बोधि स्कूल की लीज निरस्त होना भी जरुरी
रतलाम,14 मार्च (इ खबरटुडे)। राजीव गांधी सिविक सेन्टर की बेशकीमती जमीनों को हडपने के लिए भू माफिया राजेन्द्र पितलिया द्वारा बुना गया षडयंत्र उजागर होने के साथ ही नगर निगम परिषद द्वारा इन रजिस्ट्रियों को निरस्त कराने का संकल्प पारित किया जा चुका है। नगर निगम के तत्कालीन आयुक्त एपी सिंह गहरवार और उपायुक्त विकास सोलंकी निलम्बित भी किए जा चुके है। लेकिन भूमाफिया पितलिया द्वारा किया गया इसी तरह का एक और बोधि स्कूल घोटाला नगर निगम के जिम्मेदारों की राह देख रहा है। इस मामले में आर्थिक अपराध अनुसन्धान शाखा द्वारा एफआईआर दर्ज किए जाने के बावजूद नगर निगम ने अब तक इस फर्जी लीज को निरस्त नहीं किया है और नही इस भवन को अधिगृहित किया गया है।
भू माफिया राजेन्द्र पितलिया ने जिस तरह से राजीव गांधी सिविक सेन्टर के भूखण्डों को हडपने का षडयंत्र रचा था,ठीक उसी तरह से उसने 25 साल पहले डोंगरे नगर में एक बडा व्यावसायिक भूखण्ड फर्जीवाडा करके कब्जा किया था। पितलिया ने डोंगरे नगर में स्थित बोधि स्कूल वाली 34 हजार 765 वर्गफीट जमीन को न्यू रतलाम पब्लिक स्कूल के नाम से मात्र दस रु.प्रति वर्ग फीट के दाम पर लीज पर ले लिया था। जबकि वास्तविकता यह थी कि लीज होने के समय रतलाम पब्लिक स्कूल नाम की कोई संस्था ही अस्तित्व में नहीं थी। इसके बावजूद नगर निगम के अधिकारियों ने इस फर्जी संस्था के नाम पर जमीन की लीज डीड संपादित करवा दी थी।
मजेदार तथ्य यह है कि उस समय भी नगर निगम के आयुक्त एपीएस गहरवार ही थे। पितलिया का षडयंत्र यहीं नहीं थमा,बल्कि नगर निगम से स्कूल के लिए जमीन लेने वाली फर्जी संस्था रतलाम पब्लिक स्कूल ने उक्त जमीन आगे एक नई संस्था बोधि इन्टरनेशनल स्कूल को किराये से दे दी। जिस संस्था का कोई अस्तित्व ही नहीं था,पहले उसके पक्ष में लीज करवाई गई और फिर इस अस्तित्व हीन संस्था ने यह जमीन एक दूसरी संस्था को दे दी। फिर इस जमीन पर राजेन्द्र पितलिया द्वारा बोधि इन्टरनेशनल स्कूल का संचालन प्रारंभ कर दिया गया।
इस पूरे मामले की शिकायत सामाजिक कार्यकर्ता राजेश सक्सेना द्वारा आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा को की गई। जब इओडब्ल्ूय ने इस मामले की जांच की तो पता चला कि इस घोटाले में नगर निगम के तत्कालीन आयुक्त एपीएस गहरवार समेत कई अधिकारी शामिल थे। इओडब्ल्यू ने इस मामले में तत्कालीन आयुक्त एपीएस गहरवार समेत अन्य नगर निगम अधिकारियों और राजेन्द्र पितलिया के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और कूट रचित दस्तावेज तैयार करने और धोखाधडी जैसी गंभीर धाराओं में प्रकरण दर्ज कर लिया था।
आर्थिक अपराध अनुसन्धान शाखा द्वारा एफआईआर दर्ज किए जाने के साथ ही यह स्पष्ट हो गया था कि बोधि स्कूल को किराये पर दी गई जमीन की लीज डीड फर्जी तरीके से करवाई गई थी,नगर निगम को तुरंत लीज निरस्ती की कार्यवाही करना चाहिए थी। लेकिन भूमाफिया राजेन्द्र पितलिया के प्रभाव के चलते बरसों गुजर जाने के बावजूद नगर निगम द्वारा लीज निरस्त नहीं की गई। इतना ही नहीं राजेन्द्र पितलिया द्वारा बोधि स्कूल के बाहर अवैध तरीके से दुकानों का निर्माण करवा कर इनका विक्रय भी कर दिया गया परन्तु नगर निगम द्वारा इस के विरुद्ध भी कोई कार्यवाही नहीं की गई।
राजीव गांधी सिविक सेन्टर में राजेन्द्र पितलिया का षडयंत्र उजागर होने के बाद नगर निगम और शासन द्वारा की गई कार्यवाही के बाद अब यह प्रश्न जोर पकडने लगा है कि बोधि स्कूल की लीज निरस्त क्यो नहीं की जा रही है। जिस निगमायुक्त एपीएस गहरवार को सिविक सेन्टर मामले में निलम्बित किया गया है,बोधि स्कूल वाला कारनामा भी उसी आयुक्त द्वारा अंजाम दिया गया था। ऐसे में नगर निगम को तुरंत बोधि स्कूल की लीज निरस्त करके शासन को हुई हानि के लिए दोषी अधिकारियों और भू माफिया राजेन्द्र पितलिया के विरुद्ध कार्यवाही करना चाहिए।
बोधि स्कूल मामले के व्हिसिल ब्लोअर सामाजिक कार्यकर्ता राजेश सक्सेना का कहना है कि बोधि स्कूल की फर्जी लीड डीड को नगर निगम को स्वत: ही तुरंत निरस्त करते हुए घोटाला करने वाले भूमाफिया राजेन्द्र पितलिया और तत्कालीन दोषी अधिकारियों के विरुद्ध दण्डात्मक कार्यवाही करना चाहिए।
यह था सिविक सेन्टर का घोटाला
उल्लेखनीय है कि इ खबरटुडे द्वारा राजीव गांधी सिविक सेन्टर की बेशकीमती जमीनों को हडपने के लिए कुख्यात भू माफिया राजेन्द्र पितलिया द्वारा रचे गए षडयंत्र का सबसे पहले पर्दाफाश किया गया था। राजेन्द्र पितलिया की ही शह पर नगर निगम के अधिकारियों ने बिना एमआईसी या निगम परिषद की जानकारी में लाए सिविक सेंटर के 22 भूखण्डों की लीज डीड संपादित करवा दी थी। राजेन्द्र पितलिया की योजना के मुताबिक लीज डीड रजिस्टर्ड होने के कुछ ही समय बाद इन भूखण्डों को राजेन्द्र पितलिया के पुत्र,धर्मपत्नी और बहू इत्यादि के अलग अलग नाम से खरीद लिया गया। इसकी रजिस्ट्री भी हो गई और नामांतरण भी करवा लिए गए थे।
इ खबरटुडे द्वारा यह मामला प्रकाश में लाए जाने के बाद यह मामला निगम परिषद के साधारण सम्मेलन में उठाया गया और नगर निगम के सभी पार्षदों ने सर्वानुमति से इन सभी रजिस्ट्रियों को निरस्त करने का संकल्प पारित कर दिया। नगर निगम द्वारा निगमायुक्त और उपायुक्त के खिलाफ कार्यवाही के लिए शासन को लिखा गया था। शासन ने कार्यवाही करते हुए निगमायुक्त और उपायुक्त को निलम्बित भी कर दिया।