बीएसएनएल की बेरुखी से बेबस है एक लाख लोग
मोबाइल सेवाएं पूरी तरह ध्वस्त,आम से लेकर खास तक हर कोई परेशान
रतलाम,24 जून (इ खबरटुडे)। जिले के करीब एक लाख बीएसएनएल मोबाईल उपभोक्ता इन दिनों बीएसएनल की अकर्मण्यता का खामियाजा भुगत रहे है। किसी के निजी सम्बन्धों में दरार आ रही है,तो किसी को व्यवसाय में भारी नुकसान उठाना पड रहा है। बीएसएनएल मोबाईल पर बात करना एवरेस्ट पर बिना आक्सिजन चढने जैसा दुष्कर काम हो गया है। विभाग के अधिकारी समस्या को समस्या मानने को राजी नहीं है। नतीजा यह है कि बडी संख्या में उपभोक्ता अन्य निजी कंपनियों से जुड रहे हैं।
वैसे तो भारत संचार निगम लिमिटेड मोबाइल नेटवर्क उपलब्ध कराने वाली सबसे बडी कंपनी है। सर्वाधिक मोबाइल भी बीएसएनएल के ही हैं। अकेले रतलाम जिले में बीएसएनएल के लगभग एक लाख उपभोक्ता है। इनमें से अकेले रतलाम शहर में करीब पचास हजार उपभोक्ता है। बीएसएनएल के एक लाख उपभोक्ता लम्बे समय से नेटवर्क की समस्या से जूझ रहे हैं। अकर्मण्यता का आलम यह है कि विभाग के अधिकारी सेवाएं सुधारने की दिशा में कोई कदम उठाने को तैयार नहीं है। ऐसी परिस्थिति में इस बात की पूरी आशंका है कि बीएसएनएल के अधिकारी,निजी कंपनियों को लाभान्वित करने के लिए जानबूझकर सेवाओं को बाधित करते है,जिससे कि उपभोक्ता परेशान होकर निजी कंपनी की सेवाएं ले ले। इसके एवज में निजी कंपनियां बीएसएनएल के अधिकारियों को लाभान्वित कर देती है।
बीएसएनएल के सूत्रों के मुताबिक जिले में बीएसएनएल के कुल 94 बीटीएस (टावर) लगे हुए है। रतलाम शहर में करीब 21 बीटीएस लगे हुए है। मोबाइल टैक्नालाजी के जानकारों के मुताबिक एक बीटीएस पर पांच से छ: हजार कनेक्शन चलाए जा सकते है। इससे अधिक कनेक्शन होने पर नेटवर्क कंजेशन,काल ड्राप जैसी समस्याएं आने लगती है। जिले के बीएसएनएल मोबाइल उपभोक्ताओं की संख्या के मान से बीटीएस की संख्या पर्याप्त है। रतलाम शहर में करीब पचास हजार उपभोक्ताओं के मान से बीटीएस की संख्या दोगुनी है। ऐसी स्थिति में मोबाइल सेवाओं में कतई दिक्कत नहीं आना चाहिए,लेकिन इसके बावजूद बीएसएनएल का हर उपभोक्ता परेशान है। पर्याप्त बीटीएस होने के बावजूद नेटवर्क ठीक से नहीं चलना सीधे सीधे इस बात को दर्शाता है कि बीएसएनएल के अधिकारी अपना इमान निजी कंपनियों को बेच चुके हैं और जानबूझकर सेवाओं को बाधित कर रहे है।
संबंधों में दरार,व्यापार में नुकसान
बीएसएनएल मोबाइल सेवाओं की गडबडी के चलते जहां उपभोक्ताओं के निजी सम्बन्धों में दरारें आ रही है,वहीं व्यापार व्यवसाय से जुडे लोगों को भी नुकसान भुगतना पड रहा है। बीएसएनएल के मोबाइल पति-पत्नी के बीच विवाद की वजह बन रहे हैं। पत्नी की काल कुछ ही सेकण्ड्स मे अचानक कट जाती है और पत्नी को शक होता है,कि पति ने जानबूझकर फोन काट दिया है। नतीजा विवाद के रुप में सामने आता है। यही हाल व्यवसाईयों का है। अनेक व्यापारिक सम्बन्ध मोबाइल की वजह से बिगड रहे है और व्यापारियों को नुकसान उठाने पड रहे हैं।
खास-ओ-आम,हर कोई परेशान
बीएसएनएल की घटिया सेवाओं से सिर्फ आम लोग ही नहीं जिले के खास लोग भी परेशान है। कलेक्टोरेट परिसर में अधिकारियों के कक्षों में भी मोबाइल से बात करना मुश्किल है। ये तो गनीमत है कि कानून व्यवस्था के मसलों के दौरान पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के पास स्वतंत्र वायरलैस व्यवस्था है। यदि कानून व्यवस्था के मामले भी सिर्फ बीएसएनएल मोबाइल के भरोसे होते तो स्थितियों पर नियंत्रण कर पाना असंभव ही हो जाता।
लापरवाह है जिम्मेदार
बीएसएनएल की व्यवस्थाएं पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है,लेकिन विभाग के जिम्मेदार अधिकारी समस्या के अस्तित्व से ही इंकार कर देते है। उन्हे इसमें कोई गंभीरता प्रतीत नहीं होती। रतलाम के प्रभारी महाप्रबन्धक अनिल अहिरवार ने इ खबरटुडे से चर्चा में कहा कि व्यवस्थाएं यदि गडबड है,तो उन्हे सुधारा जाएगा। उन्होने कहा कि आगामी एक महीने में कुछ नए बीटीएस लगाए जा रहे है,इसके बाद सेवाएं और सुधर जाएगी।