एमएसपी घोषित करना स्वागतयोग्य,लेकिन सरकारी खरीद करना आवश्यक
भाकिसं ने एमएसपी में लाई गई फसलों का दायरा बढाने की मांग की
रतलाम,२४ जून (इ खबरटुडे)। केन्द्र सरकार द्वारा 14 फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) घोषित किए जाने का भारतीय किसान संघ ने स्वागत किया है,लेकिन साथ ही मांग की है कि दलहनों की सरकारी खरीद की व्यवस्था भी शुरु की जाए।
भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय महामंत्री प्रभाकर केलकर द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि केन्द्र सरकार ने धान,दलहन व तिलन समेत अन्य खरीफ फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की घोषणा कर दी है। इससे कामन धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य में पचास रु.वहीं बोनस समेत दलहन के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 275 रु.तक की वृध्दि हो गई है। सरकार का यह फैसला स्वागतयोग्य है,परन्तु दलहन की सरकारी खरीद की व्यवस्था नहीं होने से इस व्यवस्था पर प्रश्चिन्ह लगना स्वाभाविक है।
विज्ञप्ति में श्री केलकर ने कहा है कि जिन फसलों की एमएसपी घोषित की गई है,उनकी घोषित मूल्य पर सरकारी खरीदी करने की व्यवस्था निश्चित रुप से राज्य सरकारें और एफसीआई करें,इस बारे में भी केन्द्र सरकार को उन्हे निर्देश देने चाहिए। इसके साथ ही राज्य सरकारों द्वारा बोनस का भुगतान किस तरह किया जाएगा,इस बारे में भी केन्द्र सरकार को दिशा निर्देश जारी करना चाहिए।
प्रेस विज्ञप्ति में राष्ट्रीय महामंत्री श्री केलकर ने कहा कि सिर्फ चौदह कृषि उपजों पर ही एमएसपी बढाया गया है। सभी किसान इस फैसले से खुश नहीं है। किसान संघ ने मांग की है कि लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य देने की व्यवस्था की जाए,जिससे कि किसानों को अपनी उपज पर फायदा मिल सके। कृषि लागत और मूल्य आयोग को भी किसानों के पक्ष में वरियता देना चाहिए। लेकिन फिलहाल इस तरह की कोई व्यवस्था नहीं होने से किसान खुद को ठगा हुआ सा महसूस कर रहे हैं।
भारतीय किसान संघ ने मांग की है कि सरकार को कृषि जलवायु क्षेत्र के अनुसार पंचायत स्तर पर कृषि उपजों को खरीदने की व्यवस्था बनाना चाहिए। ऐसा होने से ही लघु एवं सीमान्त किसान अपनी सारी फसलें सही मूल्य पर बेच सकेंगे। किसान सौ से अधिक प्रमुख फसलों का उत्पादन करते हैं। ऐसे में सिर्फ चौदह फसलों पर ही न्यूनतम समर्थन मूल्य(एमएसपी) बढाने का दायरा बहुत कम है। हल्दी,अदरक,आलू,नारियल,अरबी,प्याज जैसी कई फसलों पर एमएसपी घोषित करने से अधिक किसानों को लाभ होगा। अगर सरकार इसका दायरा बढाती है,तो देश के जिन प्रान्तों को न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ नहीं मिल पाता है,वहां के किसान भी इससे लाभान्वित हो सकेंगे।