October 6, 2024

Transport Corruption : गुना हादसे से नहीं सीखा सबक,कण्डम बसों को धडल्ले से जारी हो रहे फिटनेस ; परिवहन विभाग में भ्रष्टाचार का बोलबाला

रतलाम,29 दिसम्बर (इ खबरटुडे)। गुना बस हादसे के मद्देनजर जहां मुख्यमंत्री डा.मोहन यादव ने दोषी अधिकारियों के विरुद्ध निलम्बन तक के आदेश जारी कर दिए वहीं प्रदेश के सभी जिलों में बसों की सघन चैकिंग के निर्देश भी जारी किए हैैं। इधर रतलाम में मुख्यमंत्री के निर्देशों के परिपालन में यातायात पुलिस भी सक्रिय हो गए लेकिन जिस विभाग पर इसकी पहली जिम्मेदारी है,वह परिवहन विभाग अभी भी सुप्तावस्था में ही दिखाई दे रहा है। भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे परिवहन विभाग द्वारा जिले में कई कण्डम बसों को धडल्ले से फिटनेस सर्टिफिकेट जारी किए जा रहे है और लोगों की जान को खतरे में डाला जा रहा है।

उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री के निर्देश मिलते ही यातायात पुलिस ने बसों की चैकिंग का अभियान शुरु कर दिया। यातायात पुलिस ने पहले ही दिन 85 बसों की चैकिंग की और बिना फिटनेस दौड रही एक बस को जावरा में जब्त भी कर लिया। लेकिन परिवहन विभाग ने अपनी ओर से कोई कार्यवाही शुरु नहीं की। परिवहन विभाग की जानकारी रखने वालों का कहना है कि फिटनेस सर्टिफिकेट जारी करने की अधिकारिता परिवहन विभाग को ही है। इसलिए परिवहन विभाग को वैसे ही पता है कि किस बस की क्या स्थिति है।

परिवहन विभाग के नियमों के अनुसार,किसी भी व्यावसायिक वाहन को प्रतिवर्ष फिटनेस सर्टिफिकेट लेना पडता है। नए व्यावसायिक वाहन को प्रारंभ के दो वर्ष का फिटनेस सर्टिफिकेट उपलब्ध कराया जाता है। लेकिन इसके बाद प्रतिवर्ष फिटनेस सर्टिफिकेट लेना पडता है। परिवहन विभाग की भीतरी जानकारी रखने वालों का कहना है कि जिले में बडी संख्या में ऐसी बसें सडकों पर दौड रही है,जो कण्डम हो चुकी है,लेकिन परिवहन विभाग के अधिकारी को बडी रकम देकर ऐसी बसों के लिए भी फिटनेस सर्टिफिके ले लिया जाता है।

रतलाम जिले में वर्तमान में लगभग तीन सौ बसें सड़कों पर चल रही है। जानकारों के मुताबिक ग्र्रामीण सड़कों पर चलने वाली बसें दस साल में कण्डम होने लगती है। पन्द्रह वर्ष पुरानी बसों को सड़कों से हटाने का नियम है। परिवहन विभाग में बस की हालत के हिसाब से फिटनेस के रेट तय है। परिवहन विभाग के जानकारों के मुताबिक अच्छी कण्डीशन वाली बस के फिटनेस के लिए भी बस मालिक को प्रतिबस चार हजार रु.देना पडते है। लेकिन अगर बस की हालत अच्छी ना हो तो ये रकम उसी हिसाब से बढती जाती है।

नियमानुसार फिटनेस सर्टिफिकेट तभी जारी किया जाता है जब वाहन सामने हो,लेकिन रतलाम के परिवहन विभाग में बिना वाहन देखें भी फिटनेस जारी कर दिया जाता है। शर्त सिर्फ यह होती है कि इसके लिए अच्छी खासी रकम चुकानी पडती है। यह वजह है कि कण्डम हो चुकी गाडियों को भी आसानी से फिटनेस दे दिया जाता है। इसके पीछे एक वजह ये भी है कि एक बार फिटनेस सर्टिफिकेट जारी होने के बाद चाहे जितनी कण्डम गाडी हो,इसकी चैकिंग नहीं की जाती। इसलिए परिवहन अधिकारी बेहिचक किसी भी कण्डम गाडी को फिट होने का सर्टिफिकेट जारी कर देते है और इसके एवज में मोटी फीस वसूलते है।

सबसे बडा खतरा स्कूली बच्चों के सामने है। जानकारों का कहना है कि शहर के कई स्कूलों की बसें बेहद खस्ताहाल है,लेकिन परिवहन अधिकारी उन्हे फिटनेस जारी कर देते है। इतना ही नहीं,कई स्कूल बसें तो बिना परमिट के चलाई जा रही है। कई स्कूल संचालक कण्डम गाडियों को नया रंग रोगन कर बिना परमिट,बिना फिटनेस धडल्ले से चला रहे है,लेकिन इनकी कभी भी चैकिंग नहीं की जाती। यातायात पुलिस का इस ओर ध्यान नहीं जाता और परिवहन विभाग को सारी जानकारी है,इसलिए उनके द्वारा चैकिंग किए जाने का कोई अर्थ ही नहीं है।

जिला परिवहन अधिकारी दीपक माझी कई बरसों से रतलाम में जमे हुए है। परिवहन विभाग की जानकारी रखने वालों का कहना है कि दीपक माझी की रतलाम पदस्थापना के बाद सभी कामों के रेट दुगुने या इससे भी अधिक हो गए है। आरटीओ श्री माझी कई वर्षों से रतलाम में जमे हुए है। विभाग की जानकारी रखने वालों का कहना है कि उपर के अधिकारियों को हर तरह से खुश करने के हुनर में श्री माझी महारत रखते है,इसलिए विभाग की पालिसी के विपरित वे कई वर्षों से यहीं जमे है। इस सम्बन्ध में जब इ खबरटुडे से आरटीओ दीपक माझी से सम्पर्क करने की कोशिश की,तो वे उपलब्ध नहीं हुए। उनका मोबाइल नो रिप्लाय होता रहा।

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