December 25, 2024

Raag Ratlami Food Inspector : टिफन की रोटियों पर लगाने के लिए खरीदा 35 किलो घी ; इन्स्पेक्टर साहब करते रहे सेम्पल लेने की रस्म अदायगी

singing-logo

-तुषार कोठारी

रतलाम। फिलहाल चौमासा चल रहा है और सावन का महीना है। बडी तादाद में लोग श्रावण मास में उपवास पूजा करके धर्मलाभ प्राप्त कर रहे है। चौमासा बीतते ही त्यौहारों की सीजन शुरु होने वाला है। धार्मिक अनुष्ठानों और त्यौहारों में दूध घी और मिठाईयों की खपत बढ जाती है। इसी का असर है कि शहर में कई ईलाकों में नकली घी,मिलावटी मावा और घटिया खाद्य वस्तुओं का धन्धा जोर पकडने लगा है।

सरकार ने मिलावटी खाद्य पदार्थों की जांच पडताल और रोकथाम के लिए बाकायदा खाद्य सुरक्षा का एक महकमा बना कर रखा है। इस महकमे का काम ही ये है कि वो बाजार में बिक रहे खाद्य पदार्थों की जांच करें और मिलावटी माल बेचने वालों के खिलाफ कार्यवाही करें। इसके लिए सरकार ने एक इन्स्पेक्टर भी तैनात किया हुआ है।

मिलावटी माल की रोकथाम के लिए बाकायदा एक महकमा है,महकमे में एक इन्स्पेक्टर है तो कुछ ना कुछ होते रहना चाहिए। पिछले हफ्ते गांधी नगर के पास स्थित अनमोल नगर में रात के वक्त बडी सनसनी फैली हुई थी। वर्दी वाले तैनात थे और कई सारे सरकारी कारिन्दे इधर उधर घूम रहे थे। कालोनी वालों को ऐसा लगा जैसे किसी आतंकवादी को पकडने की तैयारी चल रही हो। लेकिन जल्दी ही पोल खुल गई। पता चला कि नकली घी की एक फैक्ट्री की सूचना पर सरकारी अमला वहां पंहुचा था। जांच हुई तो पैैंतीस किलो घी बरामद हुआ और साथ में पाम आईल के खाली कन्टेनर भी मिले।

देखने वालों को साफ नजर आ रहा था कि पाम आइल से नकली घी बनाने का कारोबार चल रहा है। लेकिन नकली घी बनाने वाले ने बडी मासूमियत से बता दिया कि वह तो टिफन सेन्टर चलाता है और पैैंतीस किलो घी उसने टिफन में भेजी जाने वाली रोटियों पर लगाने के लिए खरीदा है। पकडा गया व्यक्ति नजदीकी गांव का था। गांव के लोग जानते है कि महज तीन सौ रु. में एक किलो देसी घी अगर कोई दे सकता है,तो वही दे सकता है। गांव के लोगों को जैसे ही पता चला कि तीन सौ रु. किलो घी बेचने वाले के यहां छापा पडा है,उन्हे लगा कि चलो अब तो इसके नकली घी के धन्धे पर लगाम लग ही जाएगी।

लेकिन चमत्कार देखिए। छापा मारने गए खाद्य सुरक्षा वाले इन्स्पेक्टर साहब को जब उसने कहा कि पैैंतीस किलो देसी घी उसने टिफन की रोटियों पर लगाने के लिए खरीद कर रखा है,इन्स्पेक्टर साहब फौरन उसकी बात मान गए। पाम आइल के खाली कन्टेनर को वे भूल गए। रस्म अदायगी के लिए घी के सैम्पल ले लिए गए। मौके पर मौजूद खबरचियों को भी समझा दिया गया कि यहा मिला घी बेचने के लिए नहीं है,बल्कि टिफन की रोटियों में लगाने के लिए खरीदा गया है।

अब सवाल ये पूछा जा रहा है कि टिफन सेन्टर से हर दिन कितनी तादाद में टिफन भेजे जाते है जिनकी रोटियों के लिए एक साथ पैैंतीस किलो घी की जरुरत पडती है। लोगों को ये बात गले नहीं उतर रही है। साफ नजर आ रहा है कि वहां मिला घी खरीदा हुआ नहीं है,बल्कि बेचने के लिए रखा गया है। लेकिन खाद्य सुरक्षा वाले इन्स्पेक्टर साहब को ये बात बडी आसानी से हजम हो गई।

जानकार बताते है कि जब से इन्स्पेक्टर साहब की तैनाती हुई है,खाद्य सामग्री ,मिठाई नमकीन आदि बनाने वालों का खर्चा कुछ बढ सा गया है। इन्स्पेक्टर साहब सैम्पल लेने के मामले में बहुत तेजी दिखाते है। तेल के व्यापारी हो,या घी के,मिठाई विक्रेता हो या नमकीन बेचने वाले,हर जगह से इन्स्पेक्टर साहब सैम्पल ले चुके है और लेते रहते है। लेकिन इन्स्पेक्टर साहब की सक्रियता सैम्पल लेने तक ही नजर आती है। सैकडों सैम्पल लेने के बावजूद ये बात कोई नहीं जानता कि ये सैम्पल आगे प्रयोगशाला तक जाते भी है या नहीं।

जानकारों का कहना है कि सैम्पल लेने के बाद जो कोई भी इन्स्पेक्टर साहब को खुश कर देता है उसके सैम्पल यहीं रह जाते है और जिस किसी ने साहब को सलाम नहीं ठोका उसका सैम्पल आगे प्रयोगशाला तक चला जाता है। शायद ही कोई ऐसा कारोबारी होगा,जो इन्स्पेक्टर साहब को सलाम नहीं ठोकता होगा,नतीजा ये कि शहर में आज तक कहीं मिलावटी माल मिला ही नहीं।

बहरहाल,खाद्य पदार्थों के सैम्पल लेने की रस्म अदायगी में इन्स्पेक्टर साहब पूरे सूबे में अव्वल नम्बर पर आ सकते है। आने वाले त्यौहारों के दिनों में इन्स्पेक्टर साहब की सक्रियता का नया दौर देखने को मिलेगा। रतलाम में तैनाती के बाद से इन्स्पेक्टर साहब हजारों सैम्पल ले चुके है लेकिन मिलावटी माल मिलने की दर सिफर है। इससे कतई ये अंदाजा मत लगाईए कि शहर मिलावट से मुक्त हो गया है। मिलावट बदस्तुर बेहिचक जारी है। साहब सैम्पल ले रहे है और मिलावट करने वाले इन्स्पेक्टर साहब को सलाम करने में जरा भी देर नहीं लगा रहे है।

बदल रहा है सैलाना का सीन…

सैलाना की सियासत का सीन अब बदलता हुआ नजर आ रहा है। वैसे तो सैलाना में पंजा पार्टी के भैया माननीय है,लेकिन पिछले दिनों जिले की पंचायत के चुनाव में भैया को करारी शिकस्त का सामना करना पडा था। शिकस्त का सामना केवल पंजा पार्टी ने नहीं किया था,बल्कि फूल छाप को भी करारी शिकस्त मिली थी। दोनो ही पार्टियों को जय जौहार कहने वालों ने शिकस्त दी थी।

तभी से ये गणित लगाया जा रहा था कि सूबे के चुनाव में जय जौहार वाले नेता क्या उलटफेर करेंगे। सियासती जोड बाकी करने वालों का मानना था कि जय जौहार वाले जिस पार्टी का साथ देंगे उसकी नैया पार करा देंगे। अगर किसी का साथ नहीं देंगे तो किसकी नैया डूबाएंगे इसका भी गणित लगाया जा रहा था। लेकिन जय जौहार वालों के एक बडे नेता ने सियासत को टाटा बाय बाय कर दिया है।

जय जौहार वाले बडे नेता की इस घोषणा से पंजा पार्टी और फूल छाप दोनो ही राहत की सांस ले रहे है। सियासी सीन में बदलाव आ रहा है। ये बदलाव किसको कितना फायदा कराएगा ये वक्त बताएगा।

एमडी फिर भी दूर…

यू तो इन दिनों वर्दी वालों की बल्ले बल्ले चल रही है। अभी वाहन चुराने वालों से डेढ दर्जन गाडियां बरामद हुई थी,कि उसके फौरन बाद लूट करने वाले खतरनाक बदमाश को भी वर्दी वालों ने धर दबोचा। नशे के कारोबार के खिलाफ भी वर्दी वाले मुहिम चलाए हुए है,और काफी मामले दर्ज किए जा रहे हैैं। लेकिन नशे के कारोबार में अब तक जितने भी पकडे गए है या तो गांजे वाले है या शराब वाले।

शहर के लोगों ने नशे के कारोबार पर रोक लगाने के लिए जुलूस निकाला था,तो उनकी मांग ये थी कि शहर में पनप रहे एमडी के कारोबार पर रोक लगाई जाए। एमडी बेचने और पीने पिलाने वाले तो अब तक वर्दी वालों की पकड से दूर ही बने हुए है। वर्दी वालों में से ही कुछ का कहना है कि एमडी बेचने वाले ही वर्दी वालों को गांजे की पकड धकड करवा रहे है ताकि उनका धन्धा बदस्तुर चलता रहे। वर्दी वाले भी गांजा पकड कर खुश रहे,जनता को भी नशे के खिलाफ मुहिम नजर आती रहे और एमडी का कारोबार यूं ही चलता रहे। वर्दी वालों के लिए बडी चुनौती यही है कि गली गली में एमडी की पुडियांएं बेचते फिर रहे शातिर अपराधियों को पकड कर दिखाए तो सही मायनों में नशे के खिलाफ मुहिम का असर नजर आए।

You may have missed

Here can be your custom HTML or Shortcode

This will close in 20 seconds