November 22, 2024

11 साल का वक्त, सीएम हेल्पलाईन से लगाकर हर फोरम पर शिकायत लेकिन नहीं हुआ राजस्व कालोनी की भूमि का सीमांकन,प्रेसवार्ता में करोडो रु. के घोटाले का आरोप

रतलाम,14 जुलाई (इ खबरटुडे)। वर्ष 2012 में राजस्व कालोनी की सर्वे न.140 व 141 की भूमि के सीमांकन के लिए आवेदन प्रस्तुत किया गया था। तब से ग्यारह वर्ष गुजर चुके है। ग्यारह वर्षो में सीएम हेल्पलाइन से लेकर हर फोरम पर दर्जनों बार शिकायत की जा चुकी है,लेकिन सुशासन की बात कहने वाली सरकार के अधिकारी सुनवाई करने को तैयार नहीं है। सीमांकन के अभाव में करोडों रुपए की शासकीय भूमि को निजी बताकर बेचा जा चुका है। ये बात राजस्व कालोनी के निवासी पूर्व भाजपा नगर अध्यक्ष रामप्रसाद परिहार ने प्रेस क्लब भवन में आयोजित पत्रकार वार्ता में कही। उन्होने कहा कि वे पिछले पन्द्ह वर्षो से न्याय पाने के लिए भटक रहे है,लेकिन उन्हे न्याय नही मिला।

श्री परिहार ने बताया कि इन पन्द्ह वर्षो में उन्होने सीएम हेल्प लाइन,तहसील कार्यालय,कलेक्टर कार्यालय,जन सुनवाई,संभागायुक्त कार्यालय राजस्व विभाग,राजस्व मंत्री हर कहीं आवेदन दिए,लेकिन उनकी सुनवाई नहीं की गई। श्री परिहार ने बताया कि राजस्व कालोनी के भूमि विवाद को लेकर जिला न्यायालय से सुप्रीम कोर्ट तक प्रकरण चलते रहे है। राजस्व कालोनी में दो सौ परिवार पिछले करीब चालीस वर्षों से निवास कर रहे है। राज्य शासन ने वर्ष 1980 में रतलाम शहर की सर्वे क्र. 140 व 141 की 20 बीघा भूमि में से करीब 17 बीघा भूमि राजस्व कर्मचारी गृह निर्माण समिति को विधिवत रुप से आवंटित की थी। इसका नक्शा भी नगर एवं ग्राम निवेश विभाग द्वारा पास किया गया था।

श्री परिहार ने बताया कि सर्वे क्र.141 की भूमि में बाद में बाद में वर्ष 2008 में तत्कालीन तहसीलदार ने उक्त भूमि आवेदक कैलाश चन्द्र पिता रामनारायण साबू के नाम पर नामांतरित कर दी थी। जमीन का नामान्तरण होने के बाद भी कैलाशचन्द्र साबू द्वारा उक्त जमीन का बटांकन और नामांतरण नहीं करवाया गया। सर्वे क्र. 141 में नामांन्तरण होने के पश्चात यह सर्वे नम्बर 141/1 और 141/2 में विभाजित हुआ। इनमें सर्वे न. 141-2 की भूमि शासकीय है परन्तु बटांकन और सीमांकन नहीं होने की वजह से शासकीय भूमि को भी निजी बताकर क्रय विक्रय किया जा रहा है। श्री परिहार ने कहा कि प्रशासन द्वारा उक्त सर्वे नम्बर की भूमि का सीमांकन किए जाने से यह स्पष्ट हो जाएगा कि शासकीय भूमि को निजी बताकर बेचने के षडयंत्र किए जा रहे है,परन्तु लगातार प्रयासों के बावजूद प्रशासन द्वारा उक्त भूमि का सीमांकन नहीं किया जा रहा है।

श्री परिहार ने बताया कि उनके लगातार प्रयासों के चलते एक बार वर्ष 2022 में तत्कालीन तहसीलदार और अधीक्षक भू अभिलेख द्वारा उक्त भूमि की फर्द बटांकन की रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी गई थी और सीमांकन करना प्रस्तावित किया गया था। परन्तु इसके बाद भी ना तो बटांकन को स्वीकृती दी गई और ना ही सीमांकन किया गया। पटवारी द्वारा भी सर्वे न. 141/1 और 141/2 का कागज में तरमीम व बटांकन कर ट्रेस नक्शा बना दिया गया था,परन्तु इसके बाद भी मौके पर सीमांकन नहीं किया जा रहा है। श्री परिहार ने प्रशासनिक अधिकारियों से मांग की है कि उक्त भूमि का मौके पर सीमांकन किया जाए,जिससे कि शासकीय भूमि के क्रय विक्रय की सच्चाई सामने आ सके।

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