बोरवेल में फंसी सृष्टि को बचाने अभियान तेज, दिल्ली से रोबोटिक टीम पहुंची
सीहोर,08जून(इ खबर टुडे)। बोरवेल में फंसी सृष्टि को निकालने के लिए तीसरे दिन भी रेस्क्यू अभियान जारी है। बुधवार को एनडीईआरएफ व एसडीईआरएफ के प्रयास विफल होने के बाद बैरागढ़ ईएमई सेंटर से सेना के जवानों को बुलाया गया था। आर्मी जवान 300 फीट गहरे बोरवेल में 100 फीट की दूरी पर फंसी सृष्टि को राड हुक से 90 फीट तक ऊपर ले आए थे, लेकिन दस फीट पहले वह छूटकर गिर गई।
बताया जा रहा है कि बच्ची फिसलकर करीब 150 फीट नीचे पहुंच गई है। इसके बाद सेना ने दूसरी बार प्रयास करने में अक्षमता जताई। इसके बाद दिल्ली व जोधपुर से एक्सपर्ट की टीम बुलाई गई है। वही गुजरात की स्पेशल रोबोट टीम से भी मदद मांगी गई थी जो सुबह 9 बजे मुंगावली पहुंची, यहां पहुंचते ही टीम ने बोरवेल से सृष्टि को निकालने के लिए रेस्क्यू शुरू कर दिया है। वहीं दूसरी तरफ पोकलेन और राख ड्रिल मशीन से सुबह 9 बजे तक 42 फीट बोर के समानांतर गड्ढा खोदा जा चुका है। जिला प्रशासन सहित एसडीआरएफ की टीम भी मौके पर रेस्क्यू में जुटी हुई है।
बता दें कि ग्राम मुंगावली निवासी ढाई साल की मासूम नन्ही सृष्टि पिता राहुल कुशवाह छह जून को दोपहर बोरवेल में गिर गई। बच्ची के बोरवेल में गिरने की सूचना मिलते ही जिला प्रशासन ने रेस्क्यू आपरेशन शुरू कर दिया। बुधवार को दूसरे दिन भी एसडीआरएफ और एनडीईआरएफ की टीम सृष्टि को निकालने की कार्रवाई करती रही। सृष्टि बोरवेल में लगभग करीब 100 फीट की गहराई में थी, जिसके बाद जिला प्रशासन सेना को बुलाया, जो सुबह 11 बजे मौके पर पहुंची और मोर्चा संभाला।
दोपहर 2 बजे के बाद बोरवेल में राड में हुक से निकालने के लिए रेस्क्यू किया, जिसके बाद सृष्टि हुक में फसकर 90 फीट तक ऊपर आकर फिसल गई और करीब 150 फीट नीचे जाकर फंस गई, जिसके बाद सेना ने दूसरी बार प्रयास नहीं किया। इधर, जिला पंचायत सीईओ आशीष तिवारी और होमगार्ड कमांडेंट कुलदीप मलिक ने बताया कि बच्ची करीब 150 फीट नीचे खिसक गई है। बोरवेल से उसे निकालने के लिए दिल्ली और जोधपुर, गुजरात से विशेषज्ञों को बुलाया गया था। विशेषज्ञों की इस टीम ने बोरवेल में गिरे कई बच्चों को निकाला है।
दो फीट खोदने में लग रहे चार घंटे
बोरवेल के समानांतर पिछले मंगलवार से लगातार खुदाई कराने वाले आकाश का कहना है कि जहां पहले बच्ची 20 से 25 फीट पर नजर आ रही थी, वह सुबह खिसककर 50 व उसके बाद 100 फीट से अधिक गहराई में जा चुकी थी। इसका प्रमुख कारण यह है कि यहां 12 फीट के बाद मजबूत पत्थर आना शुरू हो गया था, जिसको लगातार हाइड्रोलिक ब्रेकन, राक ड्रिल मशीन, पोकलेन मशीन के पत्थर तोड़ने से हुए कंपन के कारण बच्ची और नीचे खिसक रही है। अब स्थिति यह है कि दो फीट खोदने में तीन से चार घंट का समय लग रहा है। गुरुवार सुबह 09 बजे तक करीब 42 फीट गड्ढा खोदा जा चुका था और लगातार खोदाई जारी है।