अब कार्यवाहक और ब्लॉक अध्यक्ष में प्रतिस्पर्धा कराएगी कांग्रेस !
-चंद्र मोहन भगत
सवा सौ साल से पुरानी राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टी कांग्रेस की यह हालत है कि प्रदेश के विधान सभा चुनाव में केवल आठ महीने का समय बाकी है और अभी जिलों में कार्यवाहक और ब्लॉक अध्यक्षों के मनोनयन बाकी है । जिला अध्यक्षों की प्रतिस्पर्धा अभी समाप्त नहीं हुई थी कि अब कांग्रेस का वरिष्ठ संगठन ही ब्लॉक स्तर पर अपने ही कार्यकर्ताओं में आपसी प्रतिस्पर्धा को बढ़ाएगा ।ऐसा वातावरण सिर्फ कांग्रेस में ही बनता है जिला तथा नगर अध्यक्षों की घोषणाओं में तीन महीने पहले से ऐसा वातावरण बना हुआ है । ब्लॉक बचे थे अब इनमें भी एक दूसरे से आपस में प्रतिस्पर्धा का वातावरण बनेगा। इसे चुनावी वर्ष के मद्देनजर कांग्रेसी संगठन का दिवालियापन कहा जा सकता है क्योंकि मुख्य प्रतिद्वंदी दल भाजपा ने तो चुनावी जीत की तैयारी के लिए अर्ध पन्ना प्रभारी भी नियुक्त कर दिए है ।
जाहिर है कि प्रदेश का जिस प्रकार का राजनीतिक परिदृश्य बन रहा है उससे तो यह साफ नजर आ रहा है कि चुनावी वर्ष होने के बावजूद भी कांग्रेस संगठन की संगठन तैयारी भाजपा के मुकाबले नगण्य ही नजर आ रही है । भविष्य के दिनों में यह और भी कम या ज्यादा हो सकती है पर चुनावी तैयारी को लेकर भाजपा अधिक गंभीर नजर आ रही है। अतः यह माना जा सकता है कि कांग्रेस के मुकाबले भाजपा संगठन ही चुनावी कार्यप्रणाली में बेहतर नजर आएगा ये नजर आने वाला सच फिर भले ही नतीजे मैं बिल्कुल उलट आकर कांग्रेस के पक्ष में नजर आए ! राजनीतिक बिसात एक हद तक जरूर काम करती है पर होता वही है जो जनमत चाहता है और ऐसे अनेकों उदाहरण है जिनमें नतीजों के पहले आंकड़ों के साथ जितने का दावा कोई और कर रहा था और नतीजा किसी और के पक्ष में आ गया ।
मध्यप्रदेश में ऐसा होने की संभावना अधिक हो गई है क्योंकि मुख्यमंत्री रहते शिवराज सिंह चौहान ने जनता के हित के कंक्रीट काम करने की बजाय अंतिम साल में झूठे आंकड़ों और वादों की बौछार कर दी है और इस पर अमल कराने को नजरअंदाज कर दिया। स्वाभाविक है कि ऐसी बातें विरोधी पार्टी कांग्रेस के लिए फायदेमंद साबित होने वाली है और साथ में प्रदेश के जनमत के अंतर्मन में बदलाव को भी प्रबलता से स्थापित करने वाली है। यही वातावरण प्रबलता से राजनीतिक वातावरण को प्रभावित कर रहा है । इसी के साथ केंद्र सरकार के अनेक निर्णयों से भी देशभर का जनमत कहीं अधिक तो कहीं कम पर नकारात्मक असर जरूर डाल रहा है ।
ऐसे ही कुछ कारण विधानसभा के भावी चुनावों में कांग्रेस को लाभ पहुंचा सकते हैं ।ऐसे सार्वजनिक और राजनीतिक अवसर का लाभ जरूर कांग्रेस को मिल जाएगा पर अपने खुद के सांगठनिक ढांचे को जड़ से सुधारने के प्रयास कांगेस संगठन में अभी तक नजर नहीं आए है । वरन अभी तक चुनाव लड़ने के लिए अपने संगठन के ब्लॉक तो क्या वार्ड स्तर तक के पदाधिकारियों से सुसज्जित सेना की तरह तैयार कर चुके होते ! पर वस्तुस्थिति जनमत के सामने है और अभी तो अनेकों ब्लॉक अध्यक्षों की नियुक्तियां होना बाकी है। कहीं जो है वही बने रहेंगे तो कहीं बदले जाएंगे ।
कुल मिलाकर भाजपा की राष्ट्रीय स्तर पर खराब होती छवि और शिवराज सरकार से जनमत की भीतरी नाराजगी के कारण कांग्रेस को लाभ मिल सकता है सरकार भी बन सकती है पर यह कांग्रेस की गुणात्मक विजय से ज्यादा परिस्थिति जनक जीत मानी जाएगी ! बहरहाल अभी भी दोंनो दलों के पास कुछ समय है खुद को बेहतर प्रस्तुत करने का ।