Raag Ratlami Intellectual : “मामा जी” आए,सौगातें लाए,शहर के अक्लमंदों को आपस में उलझा कर चले गए/विरोध करके खुश हुई पंजा पार्टी
-तुषार कोठारी
रतलाम। मामाजी आए,मंच पर नाचे गाए, ढेर सारी सौगातें बांटी। फिर चले गए। पूरे इंतजामियां ने चैन की सांस ली। मामा जी तारीफें भी कर गए। सबकुछ बढिया से हो गया। लेकिन मामा जी के चक्कर में शहर के दानिशवरों यानी अक्लमंदों में एक नया झगडा खडा हो गया। झगडा इस बात का है कि शहर में दानिशवर कौन है और कितने हैैं? मामा जी तो वहां राजधानी पंहुचकर अपनी सियासत में मसरुफ हो गए है,इधर शहर के दानिशवरों में खींचतान मची है,लोग एक दूसरे के मजे ले रहे है।
ये झगडा असल में मामा जी के एक प्रोग्राम के बाद खडा हुआ। हुआ यूं था कि मामा जी ने शहर के दानिशवरों से रुबरु मुलाकात और गुफ्तगू करने का इरादा जाहिर किया था। मामा जी की तमन्ना पूरी करने के लिए इंतजामियां के तमाम अफसरों ने इस बात पर जमकर सिर खपाई की,कि शहर के दानिशवरों या अक्लमंदों को ढूंढ ढूंढ कर मामा जी से मिलवाया जाए। काफी सर खपाई के बाद चार सौ दानिश्वरों की लिस्ट बनी। इसमें सब तरह के दानिशवर शामिल थे। खबरची,काले और सफ़ेद कोट वाले,लिखने पढ़ने वाले,पढ़ाने वाले यानी कि हर प्रजाति के अक्लमंद।
इधर दूसरी तरफ,रतलाम के तमाम बाशिन्दे खुद को अक्लमंद समझते है,इसलिए उन्हे उम्मीद थी कि मामा जी से मिलने के लिए उन्हे जरुर बुलाया जाएगा। मामाजी से मिलने के लिए कई अक्लमंदों ने जमकर तैयारियां भी की थी। इंतजामिया ने ये भी जाहिर किया था कि मामा जी इन अक्लमंदों से बातचीत करेंगे और इस बातचीत में अक्लमंदों की राय लेकर सूबे की राह बनाई जाएगी। बस फिर क्या था,कई सारे दानिशवरों ने मामा जी को राय देने के लिए अपनी राय भी बडी मेहनत से तैयार की थी।
मामा जी के आने के पहले इंतजामिया के अफसरों ने अपनी अक्लमंदी से बनाई चार सौ दानिशवरों की लिस्ट वाले अक़्लमंदो को मामा जी से मिलने के इन्विटेशन भेज दिए । अफसरों ने इन दानिशवरों को फोन भी लगाए कि उन्हे मामा जी से मिलने आना है। जिन्हे इंतजामिया का बुलावा आया था,वो सब तो फूल के कुप्पा हो रहे थे और अपने मिलने जुलने वालों को बता रहे थे कि उनके दानिशवर होने पर अब इंतजामिया के अफसरों ने खुद ठप्पा लगा दिया है और उन्हे जाकर मामा जी को एमपी की नई राह बनाने के लिए राय देना है।
जो खुद को अक्लमंद मानते थे,लेकिन जिन्हे इंतजामिया का बुलावा नहीं आया,उन्हे इस बात पर भारी गुस्सा आ रहा था कि उनसे कम दानिशवरों को इंतजामिया ने बडा दानिशवर समझ कर बुला लिया। लेकिन बडे अक्लमंदों को बुलाया ही नही। क्या शहर में बस चार सौ ही दानिशवर है। बाकी सब क्या है? बस इसी बात को लेकर खींचतान मचने लगी। जिन्हे बुलावा मिला था,वो दूसरों के मजे ले रहे थे।
लेकिन बात यहीं खत्म नहीं हुई। जिन अक्लमंदों को मामा जी का बुलावा आया था,उन्होने मामा जी को राय देने के लिए जोरदार तैयारियां की थी। मामा जी को राय देने की तैयारियों को साथ मामाजी के प्रोग्राम में पंहुचे इन तमाम दानिशवरों तो तब जबर्दस्त मायूसी हुई,जब मामा जी ने उनसे उनकी राय ही नहीं पूछी। मामाजी ने अपने सामने मौजूद तमाम दानिशवरों को लम्बा चौडा भाषण पिलाया। और चलते बने।
इस तरह बिना राय पूछे मामा जी के चले जाने से तमाम दानिशवर अपने आप को ठगा हुआ सा महसूस कर रहे थे। अब बारी उन दानिशवरों की थी,जिन्हे बुलावा नहीं मिला था और जिनके मजे लिए गए थे। अब वे मजे ले रहे थे। उनका कहना था कि मामा जी ने बुलाया तो राय लेने के लिए था,लेकिन राय लेने के बजाय वे राय देकर चले गए। ऐसा लगता है जैसे मामा जी इन दानिशवरों को अक्लमंद ही नहीं मान रहे थे। इसीलिए उन्होने सिर्फ अपनी बात कही,किसी की सुनी नहीं।
अब दोनो तरह के दानिशवर सोशल मीडीया के मैदान में जोर आजमाईश में जुटे हुए है। जिन्हे अपने दानिशवर होने का कोई गुमान नहीं है,वो इस जोर आजमाईश का मजा ले रहे है।
पंजा पार्टी भी खुश……
पंजा पार्टी सूबे की विपक्षी पार्टी है,इसलिए मामा जी के आने पर काले झण्डे दिखाना और विरोध करना उनकी जिम्मेदारी है। बस इसीलिए पंजा पार्टी ने मामा जी को कालेझण्डे दिखाने का प्रोग्राम बनाया था। लेकिन इस बार पंजा पार्टी ने काले झण्डे दिखाने के साथ मामा जी को रतलामी सेव और बादाम का एक पैकेट तोहफे के रुप में देने का भी एलान किया था। पंजा पार्टी वालों का कहना था कि मामाजी सिर्फ घोषणावीर है। वे घोषणाएं करते है और भूल जाते है। उन्होने रतलाम और सूबे के लिए ढेर सारी घोषणाएं की,लेकिन पूरी कोई भी नहीं हुई। मामा जी की याददाश्त ठीक रहे इसलिए उन्हे बादाम का पैकेट देने की बात थी और रतलामी सेव तो रतलाम की पहचान है ही। पंजा पार्टी वालों ने मामा जी का विरोध करने के लिए काले कपडे भी पहने थे और आसमान में काले गुब्बारे भी उडाए। इंतजामिया और वर्दी वालों ने काले कपडे पहने पंजा पार्टी के तमाम नेताओं को गाडी में भरवा कर सैलाना भिजवा दिया,ताकि वे मामा जी के सामने ना आ सके।
पिछले कई सालों से ऐसा ही होता आया है। जब भी मामा जी आते है पंजा पार्टी वाले विरोध प्रदर्शन करना चाहते है। इंतजामिया के अफसर उन्हे गाडी में भर कर शहर से कहीं दूर भिजवा देते है।
लेकिन इस बार इंतजामिया ने कुछ ऐसा किया कि पंजा पार्टी वाले गिरफ्तार होकर भी खुश हो गए। पंजा पार्टी के साठ सत्तर नेताओं को गिरफ्तार करने सैलाना ले जाया गया था। पहले कभी भी विपक्षी नेताओं की ऐसी पूछ परख नहीं होती थी,जैसी इस बार हुई। इंतजामिया ने सैलाना में गिरफ्तार कर लाए गए पंजा पार्टी के नेताओं की अच्छी खातिरदारी का इंतजाम किया था। उन्हे बढिया भोजन करवाया गया और मामा जी के रतलाम से रवाना होते ही उन्हे भी छोड दिया गया। पंजा पार्टी के कई नेता अब इंतजामिया की खातिरदारी और स्वादिष्ट भोजन की तारीफ कर रहे है। विरोध भी इतना मजेदार हो सकता है,इससे पहले उन्हे अंदाजा नहीं था।
गदगद है बडे साहब….
मामाजी का आना हो तो जिला इंतजामिया के अफसरों का तनाव हाई रहना तय है। इंतजामिया के बडे साहब के लिए ये बडी चुनौती होती है कि मामा जी के आने से लगाकर लौटने तक सबकुछ निर्विघ्न और सलीके से हो जाए। मामा जी से मिलने के लिए जिले भर से लाई गई लाडली बहनाओं की तादाद भी अच्छी खासी थी और इतनी सारी लाडली बहनाओं को देखकर मामा जी भी न सिर्फ खुश हुए,बल्कि जोश में भी आ गए और उन्होने बहनों के लिए गाने भी गाकर सुनाए। इतना ही नहीं मामाजी ने मंच पर ही बडे साहब को बुलाया,तारीफ भी कर डाली। वर्दी वाले कप्तान की भी तारीफ कर दी। साहब लोगों को और क्या चाहिए? अब खबरचियों को बडे साहब की पार्टी का इंतजार है।