मंदसौर नगर पालिका के बगैर टैक्स वाले बजट पर अपनों का ही विरोध….?
मंदसौर ,04 अप्रैल (इ खबर टुडे/ चंद्र मोहन भगत)। चालीस वार्ड वाली मंदसौर नगर पालिका का बजट स्थानीय नागरिकों के लिए राहत देने वाला रहा किसी भी तरह का कोई नया टैक्स नहीं लगाया गया ना ही पुराने किसी भी टैक्स दर को बढ़ाया गया। जाहिर है ऐसा बजट नागरिकों को राहत ही पहुंचाएगा । बावजूद इसके नगर पालिका अध्यक्ष रामादेवी गुर्जर की पी आई सी के सदस्यों में ही आपसी नाराजगी सतह पर नजर आई ।
दरअसल राजनीतिक प्रतिस्पर्धा के कारण ही भाजपाई पार्षदों द्वारा ही नकारात्मक वातावरण बनाया जा रहा है । कारण भी स्पष्ट है कि पार्षद चुनाव में रिकॉर्ड मतों से जीतकर रामादेवी गुर्जर नगर पालिका अध्यक्ष बनी । इससे पहले वे जनपद और कृषि उपज मंडी अध्यक्ष भी रह चुकी है । जनमत में लोकप्रिय छवि के कारण ही इतनी प्रतिष्ठा हासिल की जा सकती है । नगरपालिका के अधिकारी सूत्रों की माने तो नगर की सड़क निर्माण के अलावा भी कई निर्माण कार्यों के टेंडर जारी हो चुके हैं । अनुबंध प्रक्रिया के बाद सभी काम शुरू हो जाएंगे जैसे ही काम शुरू होंगे जनमत का नजरिया और अधिक सकारात्मक हो जाएगा।
ये अलग बात है कि आपसी वैमनस्य की राजनीति के चलते सत्ता पक्ष के पार्षद ही बजट की आलोचना कर रहे हैं। ऐसे पार्षदों को इनके दल के बड़े नेताओं का संरक्षण मिल रहा है। ऐसा होना भावी विधानसभा चुनाव में भाजपा के जनमत को नुकसान पहुंचाएगा अगर समय रहते वरिष्ठ संगठन अंकुश लगाकर डैमेज कंट्रोल नहीं करेगा तो ! मंदसौर के राजनीतिक परिदृश्य को अगर व्यापक दृष्टिकोण से देखें तो नगरपालिका की आड़ में प्रतिस्पर्धी भाजपाई बंसी लाल गुर्जर की जनसाख को बिगाड़ने की मुहिम चलाए हुए हैं । इसके कारण भी साफ है कि एक तो बंसी लाल गुर्जर किसान मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं साथ ही हुडको के संचालक सदस्य भी हैं ।
इनमें से हुडको के संचालक सदस्य होने के कारण मंदसौर नगर पालिका को किसी भी योजना के लिए करोड़ों रुपए का लोन आसानी से दिला सकते हैं । सूत्रों पर भरोसा करें तो विभिन्न निर्माण योजनाओं के लिए लगभग 100 करोड रुपए की डी पी आर हुडको को भेजी जा चुकी है जिन्हें स्वीकृति मिलना भी तय माना जा रहा है । इसके पहले भी श्रीमती रमा देवी और बंशीलाल गुर्जर दोनों ही मंडी अध्यक्ष भी रह चुके हैं और इनके द्वारा मंडी में कराए गए सुधार कार्यो के कारण प्रदेश में मंदसौर मंडी को आदर्श मंडी का दर्जा मिला हुआ है। इसी कारण मंदसौर का आम नागरिक यही आस लगाया हुआ है कि नगरपालिका भी इनके कार्यकाल में प्रगति कर प्रदेश में आदर्श स्तर की कहलाए ।
इसके उलट भाजपाई नगर पालिका में भाजपाई पार्षदों की ही नाराजगी सतह पर देखने को मिली यहां तक कि अध्यक्ष काउंसिल के भी अधिकांश सदस्य इस बजट से नाखुश थे। जबकि कांग्रेसी पार्षदों ने पेयजल योजना पर एक सौ सात करोड़ लक्कड़पीठा की आवास योजना पर पचास करोड़ तथा मन्दसौर उद्यानों में 25 लाख खर्च को फर्जी आंकड़ों का खेल बताया और निगम अधिकारियों से इस पर जवाब भी मांगा था । कुल मिलाकर नगर का आम आदमी इस बजट मैं एक भी नया कर नहीं लगाने से राहत महसूस कर रहा है भाजपाई पार्षदों की नाराजगी को राजनीतिक तूल माना जा रहा है अतः कहा जा सकता है कि समय बताएगा बजट सही था या भाजपाई पार्षदों की नाराजगी ।