October 9, 2024

Loud Speaker on Mosque : मस्जिदों से लाउड स्पीकर हटाने के मामले में शासन ने अब तक नहीं दिया जवाब ; दावा खारिज करने का आवेदन भी निरस्त हुआ

रतलाम,25 फरवरी (इ खबरटुडे)। मस्जिदों के लाउड स्पीकर हटाने के लिए न्यायालय में प्रस्तुत दावे पर प्रशासन की ओर से अब तक जवाब दाखिल नहीं किया गया है। इससे पहले न्यायालय ने जिला प्रशासन की ओर से दावे को प्रथम दृष्टया खारिज करने के लिए आवेदन पत्र प्रस्तुत किया गया था,जिसे न्यायालय ने दोनो पक्षों के तर्क सुनने के बाद निरस्त कर दिया। जिला प्रशासन को जवाब देने के लिए अब 4 मार्च की तारीख तय की गई है।

उल्लेखनीय है कि अभिभाषक तुषार कोठारी ने हिन्दू जागरण मंच के राजेश कटारिया,एडवोकेट दशरथ पाटीदार,एडवोकेट सतीश त्रिपाठी और किशोर सिलावट की ओर से सिविल प्रक्रिया संहिता की धारा 91 के अन्तर्गत जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक के विरुद्ध तृतीय व्यवहार न्यायाधीश श्रीमती ज्योति राठौर के न्यायालय में एक लोकहित वाद दायर कर मस्जिदों के लाउड स्पीकर हटाने की मांग की थी। उक्त दावे को न्यायालय ने सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए कलेक्टर व एसपी को नोटिस जारी किया था।

जिला प्रशासन की ओर से शासकीय अधिवक्ता विमल छिपानी ने सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश 7 नियम 11 के तहत एक आवेदन पत्र प्रस्तुत कर उक्त दावे को प्रथम दृष्टया खारिज करने की मांग की थी। शासकीय पक्ष का तर्क था कि उक्त वाद प्रचलन योग्य नहीं होने से प्रथम दृष्टया ही खारिज किया जाना चाहिए।

वादीगण की ओर से एडवोकेट तुषार कोठारी ने इस आवेदन का विरोध करते हुए कहा था कि स्वयं उच्चतम न्यायालय इस सम्बन्ध में निर्णय दे चुका है कि लाउड स्पीकर से उत्पन्न होने वाला ध्वनि प्रदूषण लोक न्यूयेंस की श्रेणी में आता है और लोक न्यूसेंस हटाने के लिए ही सिविल प्रक्रिया संहिता में धारा 91 का प्रावधान किया गया है। धारा 91 के तहत न्यायालय को लोक न्यूसेंस को हटाने का आदेश देने की अधिकारिता प्राप्त है।

तृतीय व्यवहार न्यायाधीश श्रीमती ज्योति राठौर ने वादी तथा प्रतिवादी पक्ष के तर्क सुनने के बाद जिला प्रशासन के आवेदन को निरस्त कर दिया। अपने आदेश में न्यायाधीश श्रीमती राठौर ने विभिन्न न्याया दृष्टान्तों का उल्लेख करते हुए कहा कि उक्त दावे को नामंजूर किए जाने का कोई आधार उपलब्ध नहीं है। वादपत्र में मस्जिदों के लाउड स्पीकर हटाए जाने की सहायता चाही गई है,जो कि विनिर्दिष्ट अनुतोष अधिनियम के अन्तर्गत ना होकर सिविल प्रक्रिया संहिता की धारा 91 के अन्तर्गत चाही गई है। वादी अधिवक्ता की ओर से सीपीसी की धारा 91 के समस्त प्रावधानों को पूरा करते हुए दावा प्रस्तुत किया गया है। ऐसी स्थिति में इस दावे को आदेश 7 नियम 11 सहपठित धारा 151 सीपीसी के अन्तर्गत नामंजूर किया जाना विधिसम्मत नहीं है। ऐसी स्थिति में प्रतिवादीगण की ओर से प्रस्तुत आवेदन को निरस्त किया जाता है।

विद्वान न्यायाधीश श्रीमती राठौर ने वादीगण द्वारा अस्थाई निषेधाक्षा प्राप्त करने के लिए प्रस्तत आदेश 39 नियम 1 व 2 के अन्तर्गत प्रस्तुत आवेदन और वादपत्र का प्रस्तुत करने का आदेश प्रतिवादी जिला प्रशासन को दिया है।

जिला कलेक्टर और एसपी की ओर से जवाब प्रस्तुत करने के लिए बुधवार का समय दिया गया था,परन्तु शासकीय अधिवक्ता द्वारा जबाव प्रस्तुत करने के लिए न्यायालय से और समय की मांग की गई,जिसे न्यायालय ने स्वीकार करते हुए 4 मार्च की तारीख तय की है। प्रकरण की अगली सुनवाई 4 मार्च को होगी।

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