November 18, 2024

Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी को बताया ‘सही कदम’, 58 लोगों ने नोटबंदी के विरोध में डाली थी याचिका

नई दिल्ली,02जनवरी(इ खबर टुडे)। केंद्र की मोदी सरकार द्वारा वर्ष 2016 में की गई नोटबंदी को लेकर उठे सवालों पर सुप्रीम फैसला आ गया है। सुप्रीम कोर्ट ने 2016 में 1,000 रुपये और 500 रुपये के नोटों को अमान्य करने के सरकार के फैसले को सही ठहराया है। कोर्ट ने इसी के साथ नोटबंदी के खिलाफ दायर 58 याचिकाओं को खारिज कर दिया।

नोटबंदी के खिलाफ 3 दर्जन से ज्यादा याचिकाओं की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि इसकी प्रक्रिया में कुछ भी गलत नहीं पाया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरबीआई के पास विमुद्रीकरण लाने की कोई स्वतंत्र शक्ति नहीं है और केंद्र और आरबीआई के बीच परामर्श के बाद ही निर्णय लिया गया।

पांच जजों की संविधान पीठ ने 4-1 से सुनाया फैसला
न्यायमूर्ति एस ए नजीर की अध्यक्षता वाली पांच-जजों की संविधान पीठ ने इस मामले पर अपना फैसला सुनाया।शीर्ष अदालत का यह फैसला न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना द्वारा सुनाया गया। न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना ने इसमें असहमति जताई। पीठ में जस्टिस गवई और नागरत्न के अलावा जस्टिस नजीर, ए एस बोपन्ना और वी रामासुब्रमण्यन थे।

चिदंबरम समेत 58 लोगों ने नोटबंदी के विरोध में डाली थी याचिका
नोटबंदी को गलत और त्रुटिपूर्ण बताते हुए कांग्रेस नेता और वरिष्ठ अधिवक्ता पी चिदंबरम ने तर्क दिया था कि सरकार कानूनी निविदा से संबंधित किसी भी प्रस्ताव को अपने दम पर शुरू नहीं कर सकती है, जो केवल आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड की सिफारिश पर किया जा सकता है। बता दें कि नोटबंदी के विरोध में कोर्ट 58 याचिकाओं पर फैसला सुनाएगा।

एससी ने 7 दिसंबर को सुरक्षित रख लिया था फैसला
बता दें कि शीर्ष अदालत ने पिछले साल 7 दिसंबर को सरकार और याचिकाकर्ताओं की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इससे पहले कोर्ट ने केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को निर्देश दिया था कि वे सरकार के 2016 के फैसले से संबंधित रिकॉर्ड दें। मामले में अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि, आरबीआई के वकील और याचिकाकर्ताओं के वकीलों, वरिष्ठ अधिवक्ता पी चिदंबरम और श्याम दीवान की दलीलें सुनी गईं थी।

सरकार ने दी थी ये दलील
एक हलफनामे में केंद्र ने हाल ही में शीर्ष अदालत को बताया कि नोटबंदी की कवायद एक “सुविचारित” निर्णय था और नकली धन, आतंकवाद के वित्तपोषण, काले धन और कर चोरी के खतरे से निपटने के लिए एक बड़ी रणनीति का हिस्सा था।

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