November 22, 2024

उज्जैन,15 दिसम्बर (इ खबरटुडे /चंद्रमोहन भगत)। सांची के उज्जैन दुग्ध संघ की स्थापना के बाद इतने लंबे समय तक यही पदस्थ रहकर मयूर शाह ने माइलस्टोन की तरह रिकॉर्ड बना लिया है। इनकी अभी तक की उपलब्धि है कि सरकार जनता पार्टी कांग्रेस भाजपा किसी की भी रहे इन्हें लैब सहायक से कोई मिला नहीं पाया है। हर सरकार पर हमेशा भारी पड़े हैं मयूर शाह यहां तक कि अभी तक तीन दर्जन से अधिक मुख्य कार्यपालन अधिकारी यहां पदस्थ रह चुके है । सभी इस लेब सहायक के सामने बौने अधिकारी साबित हुए हैं ।

उज्जैन दुग्ध संघ के लेब सहायक मयूर शाह उज्जैन में अपनी नियुक्ति दिनांक से 28 सालों की सेवाओं में से साढ़े 27 सालों से अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इस दौरान कई सरकारें आई और कई बदली भी पर सभी सरकारों पर हमेशा मयूर शाह भारी पड़े हैं । यह भी अचंभित करने वाला रिकॉर्ड है कि इस प्लान में अभी तक तीन दर्जन मुख्य कार्यपालन अधिकारी आए और चले गके । और भी अनेक पदों पर पदस्थ कर्मचारियों अधिकारियों के तबादले होते रहे हैं बस एकमात्र मयूर शाह उज्जैन दुग्ध संघ में अंगद के पैर की तरह जमे हुए हैं । ऐसा भी नहीं है कि उन्होंने कोई अनियमितता नहीं कि हो अपनी सेवा के दौरान । इनके प्रभार कार्यकाल के दौरान करोड़ों रुपए का घी और केन की कमी पाई गई थी जिसकी लागत ढाई करोड़ रुपए आंकी गई थी ।

इस दौरान घटना की जांच करने भोपाल से दल आया था गंभीर अनियमितता पाने पर दो अधिकारियों को निलंबित भी किया था । बाद में राजनीतिक और आर्थिक दखल के बाद जांच प्रतिवेदन को फाइलों में दफन कर दिया गया । ये जांच आज भी अधूरी ही रह जाने के कारण प्रशासनिक जगत में चर्चा का विषय इसलिए बनी हुई है कि जिला कलेक्टर भी पदेन संचालक होते है दुग्ध संघ के ।

स्पष्ट है कि स्थानीय स्तर पर भारतीय प्रशानिक सेवा के जितने भी कलेक्टर दुग्ध संघ के संचालक रहे होंगें वे सब भी मयूर शाह पर नजर तक नही डाल सके थे ? या डाली भी होगी तो जिसका अभी तक सरकारें कूछ बिगाड़ नही पाई उसका पदेन संचालक क्या कर लेता ! बहरहाल दुग्ध संघ के शीर्ष से लेकर फर्श तक मयूर शाह का डंका जिस तरह से बज रहा है । उससे लगता है कि ढाई करोड़ की जांच फाइलों में ही नस्ती रहते इसी प्लांट से सेवानिवृत्त होकर कभी न टूटने वाला रेकार्ड और कभी न उजागर होने वाला ढाई करोड़ का भ्रष्टाचार फाइलों में छोड़ जाएंगे ।

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