बीड़ी के टुकड़ों की रिपोर्ट के आधार पर दो हत्यारो को सुनायी गई आजीवन कारावास की सजा
रतलाम 23नवंबर(इ ख़बर टुडे)। मंगलवार को विशेष सत्र न्यायालय ने हत्या के एक चर्चित मामले में दो आरोपी को बीड़ी के टुकड़ों की रिपोर्ट के आधार पर आरोपियों को दोषी करार दिया।
जानकारी के अनुसार विशेष न्यायाधीश डी एस चोहान के न्यायालय ने आरोपियों मंगल सिंग उर्फ़ मंगल बाबा एवम् कारुलाल निवासी मुण्डलाराम जावरा को भादवि की धारा 302 34 के अधीन आजीवन कारावास की सजा दी है। न्यायालय ने 2000 रुपया प्रत्येक को अर्थदंड की सजा का भी फ़ैसला सुनाया है ।
गोरतलब है कि वर्ष 2019 में पुलिस थाना औद्योगिक क्षेत्र जावरा जिला रतलाम के अंतर्गत ग्राम नागदी में तीन रुंडी पहाड़ी पर मांगीलाल पिता वीर जी की हत्या की गई थी जिसकी सूचना कुम्हरी बाई ने पुलिस थाना जावरा को दी थी की वह और उसका पति मांगीलाल और पुत्र दिनेश पिछले ५ सालों से ग्राम भूतिया आकर रह रहे थे उसकी तबियत ख़राब रहती थी वह रोज़ाना पनिया बीन कर घर ख़र्चे चलाती है उसका आदमी भी पत्नियाँ बिनता था दो दिन पहले उसका आदमी ग्राम नागदी में मसानघाट में मंगल बाबा के पास गया था जो वापस नहीं आया था उसका पति और मंगल साथ में शराब पीते थे आज वह अपने लड़के दिनेश साथ घटना स्थल गई तो सूचना मिली की पहाड़ी के ऊपर किसी की लाश पड़ी होने की सूचना है जो उसके पति की थी इसके बाद पुलिस ने अनुसंधान पूरा कर आरोपीगण को गिरफ़्तार कर अभियोग पत्र न्यायालय में पेश किया ।
निश्चित रूप से अभियुक्तगण के विरुद्ध जो रिपोर्ट लिखाई गई थी उसमें अभियुक्तगण के नाम का उल्लेख नहीं है।
न्यायालय के द्वारा अपने निर्णय में यह उल्लेख किया गया है कि भले ही अभियुक्तगण का नाम प्रथम सूचना रिपोर्ट में न हो तो तब हत्या जैसे गंभीर मामले को यह निरस्त करने का आधार नहीं हो सकता है क्योंकि अभियोजन कासंपूर्ण मामला परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर आधारित है।
इस कारण प्रकरण में उपलब्ध परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर विचार किया जाना विधि द्वारा अपेक्षित है प्रकरण में घटना स्थल से गवाहों की उपस्थिति में बीड़ी के टुकड़े माचिस की अधजली बीड़ी ज़ब्त कर की जो दोष सिद्ध होने का मुख्य आधार बने प्रकरण में राज्य की और से विशेष लोक अभियोजक नीरज सक्सेना ने पैरवी की हमने न्यायालय के समक्ष १६ साक्षियो को परीक्षित करवाया था ।
चूँकि प्रकरण में कोई चश्मदीद साक्षी नहीं था इस कारण से हमने परिस्थितिजन्य साक्ष्य एवम् वैज्ञानिक साक्ष्य के आधार पर मामले को न्यायालय के समक्ष रखा था