October 10, 2024

डेढ साल में चार सौ से ज्यादा चोरी की वारदातें,एक करोड से ज्यादा का नुकसान,एफआईआर एक भी नहीं,पुलिस की लापरवाही किसानों के लिए भारी

रतलाम,14 अक्टूबर (इ खबरटुडे)। डेढ साल में चोरी की चार सौ से ज्यादा वारदातें और इनसे होने वाले नुकसान की आंकडा एक करोड से ज्यादा का। कुल चोरी 58 लाख रु. से ज्यादा के सामान की,लेकिन चौंकानें वाली बात ये कि इनमें से एक भी मामले में पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की। चोरी की इन लगातार वारदातों पर पुलिस की लापरवाही अन्नदाता किसानों पर भारी पड रही है।

ये चौंकाने वाली कहानी है,जिले में सुनियोजित ढंग से चल रहे ट्रांसफार्मस आइल चोरी के षडयंत्र की। ग्रामीण इलाकों में निर्बाध विद्युत प्रदाय के लिए लगाए जाने वाले ट्रांसफर्मर्स के महंगे आइल को चुराने वाली गैैंग्स लगातार चोरियों को अंजाम देती है। पुलिस को इस चोरी की सूचना दी जाती है,लेकिन पुलिस इसमें कभी भी एफआईआर दर्ज नहीं करती। चूंकि चोरी का संज्ञान ही नहीं लिया जाता,तो इसकी रोकथाम की कोई कोशिश भी नहीं की जाती। इसका नतीजा यह होता है कि बिजली विभाग को जहां पिछले डेढ साल में एक करोड से ज्यादा का नुकसान उठाना पडा है,वहीं ग्रामीण इलाकों के किसानों को भी इसका खामियाजा भुगतना पडा है। खेती के सीजन में ट्रांसफार्मर खराब होने से बिजली आपूर्ति बाधित हो जाती है,और किसान की फसलों की ठीक से सिंचाई नहीं हो पाती।

रतलाम के देहाती इलाकों के किसान लम्बे समय से इस समस्या से जूझ रहे है। हर दिन किसी ना किसी ट्रांसफार्मर का आइल चुरा लिया जाता है। बिना आइल वाले ट्रांसफार्मर के द्वारा जैसे ही विद्युत प्रदाय का प्रयास किया जाता है,ट्रांसफार्मर जल जाता है और बिजली आपूर्ति बन्द हो जाती है। परेशान किसान जब इसकी शिकायत लेकर बिजली विभाग के पास जाता है,तो वे खराब ट्रांसफार्मर को बदलने का आश्वासन देकर किसान को रवाना कर देते है। ट्रांसफार्मर बदलने में कई दिन लग जाते है और तब तक किसान की फसल बरबाद होने की कगार पर पंहुच जाती है।

एफआईआर नहीं,पुलिस पर मिलीभगत के आरोप

दूसरी ओर बिजली विभाग के अधिकारी जब ट्रांसफार्मर के आइल चोरी की सूचना सम्बन्धित पुलिस थाने को देते है तो पुलिस एफआईआर दर्ज करने की बजाय बिजली विभाग से लिखित शिकायत ले लेती है और इस आवेदन को रद्दी की टोकरी में डाल दिया जाता है। ट्रांसफार्मर से आइल चुराने वाले माफिया को यह अच्छे से पता है कि इस चोरी की एफआईआर ही दर्ज नहीं होना है। वे बेखटके चोरी का अपना कारोबार जारी रखते है।

ट्रांसफार्मर आइल चोरी का पूरा कारोबार सुनियोजित ढंग से बरसों से जारी है। आइल चोरी के इन मामलों में पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज नहीं किए जाने के चलते कई किसानों का मानना है कि चोरी का ये धन्धा पुलिस की मिलीभगत से ही चल रहा है इसमे संगठित गिरोह लगे हुए है। चोर गिरोहों की पुलिस से मिलीभगत का ही नतीजा है कि एक भी मामले में एफआईआर दर्ज नहीं की जाती।

डेढ साल में 433 वारदातों में 58 लाख से ज्यादा की चोरी

बिजली विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक जिले के रतलाम ग्र्रामीण और सैलाना क्षेत्र में पिछले वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान ट्रांसफर्मार आइल चोरी की कुल 318 वारदातें हुई,जबकि 1 अप्रैल 2022 से अब तक कुल 115 वारदातें हुई है। बिजली विभाग द्वारा इनमें से प्रत्येक चोरी की सूचना सम्बन्धित पुलिस थानों को दी गई। पुलिस थाने पर चोरी की लिखित सूचना लेकर बिजली विभाग को प्राप्ति दे दी जाती है। लेकिन किसी भी मामले में एफआईआर दर्ज नहीं की गई।

ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली विभाग द्वारा चार प्रकार के ट्रांसफार्मर लगाए जाते है,इनमें सबसे कम क्षमता का ट्रांसफार्मर 25 किलो वाट का होता है,इसके अलावा 67 किवा,100 किवा और 200 किलोवाट क्षमता तक के ट्रांसफार्मर लगाए जाते है। ट्रांसफार्मर की क्वाइल को ठण्डा रखने के लिए इसमे आइल भरा जाता है,जो कि अलग अलग क्षमता के अनुसार होता है। अगर इसका औसत देखा जाए तो प्रति ट्रांसफार्मर 168 लीटर से कुछ अधिक आइल का उपयोग होता है। एक ट्रांसफार्मर के आइल का मूल्य लगभग 15500 रु. होता है। पिछले डेढ साल में हुई चोरियों का आकलन किया जाए,तो इसमें कुल लगभग 73 हजार लीटर से अधिक आइल की चोरी की गई,जिनका मूल्य 58 लाख रु, से अधिक था।

एक करोड से ज्यादा का नुकसान

मामला सिर्फ आइल चोरी का ही नहीं है। जिस ट्रांसफार्मर का आइल चुरा लिया जाता है,उसमें विद्युत प्रवाह होते ही ट्रांसफार्मर की क्वाइल जल जाती है और ट्रांसफार्मर खराब हो जाता है। इन खराब ट्रांसफार्मरों में से कुछ ट्रांसफार्मर की तो मरम्मत हो जाती है,लेकिन अधिकांश की मरम्मत स्थानीय स्तर पर नहीं हो पाती। इन्हे मरम्मत के लिए अन्य प्रदेशों में भेजा जाता है। औसतन एक ट्रांसफार्मर की मरम्मत पर 25 हजार 500 रु. का खर्च आता है। इस हिसाब से देखा जाए तो पिछले डेढ साल में ट्रांसफार्मरों की मरम्मत पर बिजली विभाग को एक करोड तेरह लाख रु. से अधिक की राशि खर्च करना पडी है। यह अकेला नुकसान नहीं है। जिस स्थान का ट्रांसफार्मर खराब होता है उस इलाके की विद्युत आपूर्ति बन्द हो जाती है और किसीनों की फसलें बरबाद होने की कगार पर आ जाती है। इस नुकसान का तो आकलन भी नहीं किया जा सकता।

गंभीर नहीं पुलिस विभाग

संगठित चोर गिरोहों द्वारा सुनियोजित तरीके से की जा रही चोरी की वारदातों पर पुलिस रत्ती भर भी गंभीर नहीं है। पूरे डढ साल में ट्रांसफार्मर आइल चोरी की केवल एक वारदात की एफआईआर दर्ज की गई है। बताया जाता है कि कुछ महीनों पहले नामली थाने के सेमलिया गांव में ग्र्रामीणों ने ट्रांंसफार्मर आइल चुराने वाले एक व्यक्ति को रंगे हाथों पकड कर पुलिस को सौंपा था। पुलिस ने केवल इसी मामले में एफआईआर दर्ज की थी। लेकिन इस मामले में भी पुलिस ने आरोपी से इस बारे में कोई जानकारी नहीं जुटाई कि चोर गिरोह में कौन कौन शामिल है और चोरी के आइल को कहां बेचा जाता है? पुलिस की इसी लचर कार्यप्रणाली के चलते ग्र्रामीणों को इस बात की आशंका है कि चोरी की ये वारदातें पुलिस के संरक्षण में की जाती है।

दूसरी तरफ बिजली विभाग के अधिकारी चोरी की इन वारदातों को अपने स्तर पर रोकने के लिए प्रयास करते है। कई बार बिजली विभाग के कर्मचारी पुलिस कर्मियों को साथ लेकर पैट्रोलिंग भी करते है लेकिन इसका कोई नतीजा सामने नहीं आता।

बिजली विभाग के रतलाम ग्रामीण और सैलाना के कार्यपालन अभियन्ता जयपाल सिंह ठाकुर का कहना है कि विभागीय स्तर पर इन वारदातों को रोकने की जितनी कोशिशें की जा सकती है,उतनी की जाती है। लेकिन चोर गिरोह संगठित रुप से अपराध करते है। उन पर अंकुश लगानेके लिए पुलिस को कार्ययोजना बनाकर अभियान चलाना चाहिए। श्री ठाकुर ने ग्र्रामीण जनों से अपील की है कि वे अपने क्षेत्र में किसी संदिग्ध को देखें तो तत्काल बिजली विभाग के अधिकारियों को इसकी सूचना दे। नजदीकी थाने को भी इसकी सूचना दें। उन्होने पुलिस अधिकारियों से भी निवेदन किया है कि ट्रांसफार्मर आइल टोरी के मामलों को गंभीरता से लेते हुए इन पर रोक लगाएं।

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