रतलाम / डाक्टर के लिए जान का खतरा बना मुस्लिम सहपाठी से प्रेम विवाह, हाईकोर्ट के स्पष्ट निर्देश के बावजूद सुरक्षा देने को तैयार नहीं रतलाम पुलिस
रतलाम,18 सितम्बर (इ खबरटुडे)। मुस्लिम सहपाठी युवती से विवाह करना एक चिकित्सक के जीवन के लिए बेहद खतरनाक साबित हो रहा है। जेहादी तत्व लगातार प्रेमी जोडे की जान के पीछे पडे है। जीवन पर मण्डरा रहे खतरे को दूर करने के लिए पुलिस से निराश होने का बाद डाक्टर दम्पत्ति ने न्यायालय से गुहार लगाई। न्यायालय ने पुलिस को स्पष्ट निर्देश भी जारी कर दिए,लेकिन कमाल ये है कि पुलिस ने हाईकोर्ट के आदेश को भी अनदेखा कर दिया। स्वयं को हिन्दूवादी कहने वाली भाजपा के नेता भी इस मामले ंमें गंभीर दिखाई नहीं दे रहे है।
ये कहानी है उज्जैन निवासी एक डाक्टर भारत शर्मा और उनके परिवार की। डा. शर्मा ने दो वर्ष पूर्व अपनी एक मुस्लिम सहपाठी डाक्टर से वैदिक रीति से विवाह किया था। यह प्रेम विवाह उनके परिवार के लिए खतरा बन गया। जेहादी तत्वों से लगातार मिल रही धमकियों के चलते चिकित्सक दम्पत्ति को दो साल में कई बार अपने ठिकाने बदलने पडे । कुछ ही महीनों पहले चिकित्सक दम्पत्ति सुरक्षित ठिकाने की तलाश में रतलाम आए। रतलाम में आए उन्हे अभी कुछ ही दिन गुजरे थे कि जेहादी तत्वों ने यहां भी उन्हे ढूंढ लिया। दो बार चिकित्सक दम्पत्ति की जान लेने की कोशिश हो चुकी है,लेकिन वे भाग्यशाली रहे कि किसी तरह बच गए। डा. शर्मा की पत्नी के अपहरण की भी कोशिशें हो चुकी है।
चिकित्सक दम्पत्ति ने अपनी जान की सुरक्षा के लिए कई बार पुलिस अधिकारियों से गुहार लगाई। पुलिस अधिकारियों ने उन्हे आश्वासन तो दिए,लेकिन सुरक्षा के ठोस उपाय नहीं किए गए। पुलिस व्यवस्था से निराश होने के बाद डा. शर्मा ने हाईकोर्ट में गुहार लगाई। इन्दौर उच्च न्यायायय के माननीय न्यायमूर्ति विजय कुमार शुक्ला ने डा. शर्मा की धर्मपत्नी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के बाद रतलाम एसपी को डा. शर्मा और उनके परिवार की समुचित सुरक्षा करने के निर्देश दिए। हाईकोर्ट ने रतलाम के पुलिस अधीक्षक को निर्देशित किया है कि वे डा. शर्मा द्वारा दिए गए सुरक्षा के आवेदन पर सात दिन के भीतर विचार कर उनकी समुचित सुरक्षा की व्यवस्था करवाएं।
हाईकोर्ट से द्वारा जारी निर्देश को एक सप्ताह गुजर चुका है,लेकिन रतलाम के पुलिस अधीक्षक ने अब तक डा. शर्मा व उनके परिवार को सुरक्षा उपलब्ध नहीं करवाई है। डा. शर्मा ने बताया कि जब उन्होने इस सम्बन्ध में रतलाम एसपी अभिषेक तिवारी से सम्पर्क किया,तो श्री तिवारी ने डा. शर्मा को स्वयं के व्यय पर सुरक्षा उपलब्ध कराने की बात कही। डा. शर्मा को कहा गया कि सुरक्षाकर्मी का वेतन उन्हे स्वयं देना होगा। रतलाम एसपी ने उन्हे दूसरा विकल्प भी सुझाया कि वे किसी निजी सुरक्षा एजेंसी के गार्ड की सेवाएं लेले। दूसरी ओर डा. शर्मा का कहना है कि लगातार जगह बदलने के कारण उनकी आर्थिक स्थिति ऐसी नही है कि वे सुरक्षाकर्मी का वेतन दे सके।
डा. शर्मा ने अपने परिवार पर मण्डरा रहे खतरे और इस्लामिक अतिवादियों द्वारा लगातार दी जा रही धमकियों के चलते हिन्दूवादी संगठनों से भी कई बार मदद मांगी। उन्हे मदद मिली भी,लेकिन ये मदद भी सुरक्षा के लिहाज से नाकाफी थी। डा. शर्मा को डर है कि जेहादी तत्व कभी भी उनके परिवार को समाप्त कर सकते है। उन्होने कहा कि यदि उनके नन्हे बच्चे और पत्नी और उनकी स्वयं की हत्या जेहादी तत्वों द्वारा कर दी गई,तो बाद में इसे देशव्यापी चुनावी मुद्दा बनाया जा सकता है,लेकिन आज उन्हे सुरक्षा उपलब्ध कराने को ना तो पुलिस और ना ही सत्तारुढ दल के नेता गंभीर दिखाई दे रहे है। उन्होने इस सम्बन्ध में प्रदेश के गृहमंत्री और मुख्यमंत्री समेत कई भाजपा नेताओं को भी पत्र लिखे है। उन्होंने मांग की है कि उन्हें निशुल्क सुरक्षा उपलब्ध कराई जाए अन्यथा मुस्लिम जेहादी कभी भी उन्हें परिवार सहित मार देंगे।