November 1, 2024

श्री कृष्ण जन्मभूमि विवाद मामला : चार महीने में सर्वे के मामले में सुनवाई पूरी करने का निर्देश

इलाहाबाद,29अगस्त(इ खबर टुडे)। शाही इमाम मस्जिद और श्री कृष्ण जन्मभूमि विवाद मामले में सर्वे के लिए मंदिर पक्ष की ओर से निचली अदालत में दाखिल अर्जी पर 4 महीने में सुनवाई पूरी करने का निर्देश इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिया है। कोर्ट ने कहा कि निचली अदालत मामले में 4 महीने में सुनवाई पूरी करें। निचली अदालत में मस्जिद के सर्वे कराने को लेकर अर्जी दाखिल की गई है। जिस पर सुनवाई चल रही है।

मंदिर पक्ष की ओर से इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट में भी एक अर्जी दाखिल की गई थी। जिसमें, मांग की गई थी कि निचली अदालत में दाखिल अर्जी का निस्तारण जल्दी कर दिया जाए। कोर्ट ने सुन्नी वक्फ बोर्ड और मंदिर पक्ष की ओर से सुनवाई पूरी करने के बाद निचली अदालत को यह निर्देश दिया।

यह मंदिर तीन बार टूटा और चार बार बनाया गया
मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर बने मंदिर का इतिहास रोचक है। यह मंदिर तीन बार टूटा और चार बार बनाया गया है। इस जगह पर मालिकाना हक के लिए दो पक्षों में कोर्ट में विवाद भी चला। जिस जगह पर आज कृष्ण जन्मस्थान है, वहां पांच हजार साल पहले मल्लपुरा क्षेत्र के कटरा केशव देव में राजा कंस का कारागार हुआ करता था। इसी कारागार में भगवान कृष्ण ने जन्म लिया था। कटरा केशव देव को भी कृष्ण जन्मभूमि माना है। इतिहासकारों के अनुसार, सम्राट चंद्रगुप्त विक्रमादित्य द्वारा बनवाए गए इस भव्य मंदिर पर महमूद गजनवी ने सन 1017 ई. में आक्रमण कर इसे लूटने के बाद तोड़ दिया था।

1982 में पूरा हुआ वर्तमान मंदिर का निर्माण कार्य
श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट की स्थापना से पहले ही यहां रहने वाले कुछ मुसलमानों ने 1945 में इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल कर दी थी। इसका फैसला 1953 में आया। इसके बाद ही यहां निर्माण शुरू हो सका। यहां गर्भ गृह और भव्य भागवत भवन के पुनर्रुद्धार और निर्माण कार्य आरंभ हुआ, जो फरवरी 1982 में पूरा हुआ।

मुरादाबाद से उठी थी अयोध्या, मथुरा, काशी की मुक्ति की आवाज
श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के सदस्य गोपेश्वर नाथ चतुर्वेदी ने बताया कि 1983 में मुरादाबाद में हिंदू जागरण मंच का सम्मेलन हुआ था। जिसमें अयोध्या, मथुरा, काशी के लिए आंदोलन की आवाज पहली बार उठी थी। अयोध्या में आंदोलन की जिम्मेदारी अशोक सिंघल को सौंपी गई। 1990 में कारसेवकों पर गोली चलाए जाने की घटना के बाद जब 1991 में मुलायम सिंह यादव मथुरा आए तो उनको काले झंडे दिखाए गए। इसके बाद देश भर में मुलायम सिंह जहां भी गए काले झंडे दिखाए गए। मथुरा से ही इस विरोध की शुरूआत हुई।

You may have missed

Here can be your custom HTML or Shortcode

This will close in 20 seconds

Patel Motors

Demo Description


Here can be your custom HTML or Shortcode

This will close in 20 seconds