November 22, 2024

Congress Consultant : पुश्तैनी कांग्रेस में सलाहकार की आमद

-चन्द्र मोहन भगत

देश के सबसे पुराने राजनीतिक दल कांग्रेस को अपना वजूद बचाए रखने के लिए व्यवसायिक सलाहकार की जरूरत आन पढ़ना दल की निम्न स्तरीय और शर्मनाक जन साख की स्थिति स्वीकारना है । जाहिर है यह स्थिति तब बनी होगी जब कांग्रेस के अपने पदाधिकारी कार्यकर्ता मिलकर भी अपनी घटती जन साख को स्थिर तक नहीं रख पा रहे हैं । इसके बिल्कुल उलट प्रत्येक आम चुनाव हो या उपचुनाव लगातार कांग्रेस प्रत्याशियों के हारने की संख्या बढ़ती ही जा रही है । जब से केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार बन रही है यह दूसरी लोकसभा है जिसमें विपक्ष का नेता चुनने लायक संख्या में कांग्रेसी सांसद जीत नहीं पा रहे हैं। अर्श से फर्श पर गिर पड़ना इसी को कहा जाता है ।चन्द्र मोहन भगतदेश के सबसे पुराने राजनीतिक दल कांग्रेस को अपना वजूद बचाए रखने के लिए व्यवसायिक सलाहकार की जरूरत आन पढ़ना दल की निम्न स्तरीय और शर्मनाक जन साख की स्थिति स्वीकारना है । जाहिर है यह स्थिति तब बनी होगी जब कांग्रेस के अपने पदाधिकारी कार्यकर्ता मिलकर भी अपनी घटती जन साख को स्थिर तक नहीं रख पा रहे हैं । इसके बिल्कुल उलट प्रत्येक आम चुनाव हो या उपचुनाव लगातार कांग्रेस प्रत्याशियों के हारने की संख्या बढ़ती ही जा रही है । जब से केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार बन रही है यह दूसरी लोकसभा है जिसमें विपक्ष का नेता चुनने लायक संख्या में कांग्रेसी सांसद जीत नहीं पा रहे हैं। अर्श से फर्श पर गिर पड़ना इसी को कहा जाता है ।

राजनीतिक दलों की में उतार-चढ़ाव आते जाते रहते हैं सवा 100 साल से भी ज्यादा पुरानी कांग्रेस में अब सिर्फ उतार ही नजर आ रहा है कहीं से भी भविष्य में भी ग्राफ बढ़ने की संभावना नजर नहीं आ रही है एक ही परिवार की चिचोरी करते हुए लगातार उसे नेतृत्व सौंपने का ही नतीजा है कि देश की जनता को कांग्रेस के नाम से ही नफरत सी होने लगी है । कभी सरपंच से लेकर देश के प्रधानमंत्री तक कांग्रेस दल के नेता बहुमत के साथ राज करते थे आज विपक्ष का नेता पद पाने लायक संसद नहीं जीता पा रहे हैं। ऐसी दशा के लिए शुद्ध रूप से शीर्ष नेतृत्व ही जिम्मेदार है जिसने अपने आसपास पदों पर भीतरघातियो और चाटूकारों को बिठा रखा है । कपिल सिब्बल गुलाम नबी आजाद जयराम रमेश अशोक गहलोत फारूक अब्दुल्ला सुरेश पचोरी मुकुल वासनिक रणदीप सुरजेवाला अजय माकन ऐसे अनेक नाम है जो दल के राष्ट्रीय पदों पर लगातार बनते रहें और दल के सांसद राज्यों में विधायक और पंच सरपंच लगातार घटते रहे ।

आज के हालात सभी के सामने जब से सोनिया गांधी कांग्रेस की मुखिया बनी है तब से उनके प्रमुख सलाहकार थे अहमद पटेल, हमेशा ही ऐसी सलाह देते रहे कि कांग्रेस की जनसाख पहले राज्यों में सिमटना शुरू होकर केंद्र तक सिमटकर गौण राजनेतिक दल की श्रेणी में स्थान पा लिया है । इसके विपरीत भाजपा ने देशभर में देश भर में महंगाई के दौर में भी अपनी लोकप्रियता में इजाफा किया और वैश्विक राजनीति में अपनी और देश की साख बढ़ाते जा रही है वह भी 60 साल केंद्रीय सत्ता में काबिज रहने वाली कांग्रेस को नेस्तनाबूद करते हुए । भाजपा की ये प्रगति तिलस्मी और उल्लेखनीय भी है क्योंकि इस दल ने चाटुकार भितरघातियों और नस्ल प्रेमियों को न तो ओहदों पर बेठाया ना ही सलाहकार बनाया । ये उल्लेख भी आवश्यक है कि लाखों हजारों के अंतर से जीते सांसद विधायकों के टिकट काटने का जज्बा भी भाजपा संगठन में ही है और सरकार चलाने वाले में इतना दम कि सरकार के महत्वपूर्ण मंत्री कहलाने वाले रविशंकर प्रसाद प्रकाश जावड़ेकर थावरचंद गहलोत रमेश पोखरियाल डॉ हर्षवर्धन सन्तोष गंगवार देबोश्री चौधरी सदानन्द गोडा को बाहर का रास्ता दिखा दिया था । कंही से किसी भी तरह के विद्रोह तो क्या नाराजी के स्वर भी सुनाई नही दिए थे ।

भाजपा ईन गुणों के कारण अर्श पर पहुंच गई और कांग्रेस इन्ही कमियों के फर्श पर आ पड़ी है । अब कांग्रेस फिर से अर्श तक पहुंचने के अपने सारे प्रयासों में पूरी तरह विफल रहने के बाद एक पैतरेबाज सलाहकार का सहारा लेने की तैयारी कर रही है । वह भी ऐसा कि जो पहले भाजपा राजद तृणमूल के लिए ठेके पर काम कर चुका हो । कांग्रेस ऐसा आखिरी उम्मीद की आस में करने जा रही है देर से ही सही शीर्ष नेतृत्व को यह साफ हो गया है कि जो वर्तमान में मुख्य ओहदेदार हैं वह खुद का उद्धार तो भरपूर कर सकते हैं पर कांग्रेस संगठन का जरा सा भी नहीं । इसलिए प्रशांत किशोर जैसा व्यवसायिक यंत्र का सहारा लेना पड़ रहा है जिसने नरेंद्र मोदी ममता बनर्जी नीतीश कुमार के साथ नतीजों को अंजाम दिया है । अभी तक तय नहीं हुआ है क्योंकि कांग्रेस में शीर्ष पदों पर बैठकर जिन्होंने कांग्रेसका को गर्त में धकेला है उन्हें एतराज हो रहा है वाजिब भी है कि कोई बाहरी व्यक्ति के हाथ कमान जाते देख विचलित होना फिर यह ख़ौफ़ कि कहीं बाहरी विशेषज्ञ अभी तक के उनके निकम्मे पन को उजागर ना कर दे ।

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