Emargency in Lanka: श्रीलंका में लगा आपातकाल, राष्ट्रपति ने की घोषणा, हिंसक प्रदर्शनों के चलते लिया फैसला
कोलंबो,02अप्रैल(इ खबर टुडे)। श्रीलंका में जारी आर्थिक संकट की वजह से लोग सड़कों पर आ गए हैं और सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। हिंसक होते प्रदर्शनों को देखते हुए श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने शुक्रवार को एक राजपत्र जारी कर सार्वजनिक आपातकाल का एलान कर दिया है।
स्थानीय मीडिया के मुताबिक देश में मौजूदा स्थिति, सार्वजनिक सुरक्षा व कानून-व्यवस्था के मद्देनजर और समुदाय के जीवन के लिए आवश्यक आपूर्ति और सेवाओं के रखरखाव को ध्यान में रखते हुए आपातकाल लगाया गया है। राष्ट्रपति ने एक गजट जारी कर आपातकाल लागू किया है।
इसके अलावा, श्रीलंका के पश्चिमी प्रांत में छह घंटे के लिए पुलिस कर्फ्यू लगा दिया है। पुलिस प्रवक्ता ने कहा कि पश्चिमी प्रांत में पुलिस कर्फ्यू 2 अप्रैल (आज) की मध्यरात्रि से सुबह छह बजे तक प्रभावी रहेगा। इससे पहले गुरुवार को श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के आवास के बाहर कई प्रदर्शनकारी एकत्र हुए थे और जमकर प्रदर्शन किया था।
इस दौरान मिरिहाना में राष्ट्रपति राजपक्षे के आवास के बाहर प्रदर्शनकारी पुलिस से भिड़ गए थे। इस हिंसक प्रदर्शन में पत्रकारों सहित कम से कम 50 लोग घायल हो गए थे। बता दें कि श्रीलंका इस समय एक अभूतपूर्व आर्थिक संकट का सामना भी कर रहा है।
श्रीलंका की अर्थव्यवस्था के गहरे संकट से जूझ रही है। इसका मुख्य आधार पर्यटन क्षेत्र है, जो कि कोरोना महामारी के कारण काफी समस्याओं का सामना कर रहा है। इससे श्रीलंका की अर्थव्यवस्था में गिरावट आई है।
श्रीलंका वर्तमान में विदेशी मुद्रा की कमी का सामना भी कर रहा है जिसके कारण भोजन, ईंधन, बिजली और गैस की कमी हो गई है और आर्थिक सहायता के लिए मित्र देशों से सहायता मांगी जा रही है। श्रीलंका में रोजाना कम से कम 10 घंटे बिजली कटौती हो रही है। साथ ही श्रीलंका की मुद्रा में भी गिरावट आई है।
श्रीलंकाई राष्ट्रपति आवास के बाहर प्रदर्शन आतंकी गतिविधि : सरकार
श्रीलंका की सरकार ने राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे के आवास के बाहर हिंसक प्रदर्शन को आतंकवादी गतिविधि करार दिया। हालांकि प्रदर्शन के बाद कोलंबो में जगह-जगह रात भर लगा रहा कर्फ्यू शुक्रवार सुबह हटा लिया गया। श्रीलंका की बदहाल आर्थिक स्थिति के कारण लोगों ने राष्ट्रपति का विरोध शुरू किया है। श्रीलंका सरकार ने इस प्रदर्शन के लिए विपक्ष से जुड़े चरमपंथी तत्वों को जिम्मेदार ठहराया। गिरफ्तार किए गए लोगों में कई चरमपंथी शामिल हैं।