October 12, 2024

Ahmedabad Blast/अहमदाबाद ब्लास्ट में उज्जैन के तीन सिमी आतंकियों को फांसी की सजा

उज्जैन,18फरवरी(इ खबर टुडे/ब्रजेश परमार)।अहमदाबाद में 26 जुलाई 2008 को हुए सिरियल ब्लास्ट मामले में शुक्रवार को अहमदाबाद के विशेष सत्र न्यायाधीश ए आर पटेल ने अपना फैसला सुनाया।78 में से 49 आरोपियों को दंडित किया गया है।

कुल 38 सिमी के आरोपियों को न्यायालय ने फांसी की सजा से दंडित किया गया इनमें तीन आरोपी उज्जैन के हैं। 11 आरोपियों को उम्र कैद की सजा दी गई है।अहमदाबाद ब्लास्ट में 56 लोगों की मौत हुई थी।

शुक्रवार को अहमदाबाद ब्लास्ट मामले में फैसला सामने आया। इसमें उजजैन निवासी सिमी सरगना महासचिव सफदर पिता जहरूल हसन नागौरी निवासी महिदपुर, कमरूद्दीन पिता चांद मोहम्मद नागौरी निवासी थाना महाकाल क्षेत्र उज्जैन एवं आमिल परवेज पिता काजी शेख निवासी उन्हेल को फांसी की सजा से दंडित किया गया है।

ये तीनों ही उज्जैन के महाकाल,कोतवाली, खाराकुंआ, जीवाजीगंज में सांप्रदायिक सद्भाव बिगाडने एवं अन्य धाराओं में दर्ज प्रकरणों में आरोपी रहे हैं अधिकांश मामलों में तीनों ही बरी हो गए।सिमी का मास्टर माईंड सफदर नागौरी को लंबी फरारी के बाद इंदौर पुलिस ने गिरफ्तार किया था।उस पर इंदौर पुलिस ने हजारों का इनाम घोषित किया हुआ था।

इंदौर के ही चोरल सहित अन्य स्थानों पर सफदर ने आतंकी प्रशिक्षण चलाया था। उसकी गिरफ्तारी के बाद इसका खुलासा हुआ था। आमिल एवं कमरूद्दीन दोनों ही सिमी सरगना सफदर के नजदीक रहे हैं। इस बाद का खुलासा सफदर ने भी पकडे जाने के बाद इंदौर पुलिस के समक्ष स्वीकार किया था।

सिमी महासचिव सफदर नागौरी तहर्रिर पत्रिका का संपादक भी रहा
अहमदाबाद में 26 जुलाई 2008 को बम ब्लास्ट के मामले में न्यायालय ने 38 सिमी एवं अन्य कार्यकर्ताओं को फांसी की सजा से दंडित किया है।इनमें सिमी का मास्टर माइंड उज्जैन के महिदपुर का मूल निवासी सफदर नागौरी शामिल है।सफदर सिमी का महासचिव और पत्रिका तहर्रिर का संपादक रहा है।उसने विवादित शार्ट थिसिस बर्फ की आग कैसे लिखी और एमजेएमसी में गोल्ड मेडल से नवाजा गया।

दाउद इब्राहिम के पिता पुलिस में हेड कांस्टेबल थे तो सफदर के पिता उज्जैन की अपराध अभिलेख शाखा में सहायक उपनिरीक्षक थे। सफदर नागौरीकी उर्फियत – समुंदर रही।उसके पिता जहरूल हसन नागौरी (म.प्र पुलिस उज्जैन की डी.सी.आर.बी.शाखा में सउनि के पद पर कार्यरत थे)।माता श्री मति फातिया बी रही।सफदर का जन्म उज्जैन में हुआ। इसका मूल निवास मकान नंबर 48, सफी कालोनी, महिदपुर , उज्जैन रहा। इसकी शिक्षा पॉलीटेक्निक कॉलेज उज्जैन से डिप्लोमा, विक्रम विश्व विद्यालय के माधव कॉलेज से स्नातकोत्तर व एम.जी.एम.सी. का पत्रकारिता का कोर्स किया है। सफदर प्रतिबंधित संगठन सिमी की पत्रिका तहरीर व इस्लामिक मुवमेण्ट का प्रधान संपादक रहा है। इस संगठन का अखिल भारतीय राष्ट्रीय महासचिव रहा है। अस्थाई पता- 151-सी/9 जाकिर नगर नई दिल्ली रहा ।

व्यवसायिक पता :- 151-सी/9 जाकिर नगर नई दिल्ली , जो कि सिमी का प्रधान कार्यालय रहा है व प्रतिबंध लगने के पश्चात् शासन ने सील कर दिया था । सिमी पर प्रतिबंध लगने के पश्चात् से सफदर कई सालों फरार रहा ।मध्यप्रदेश की इंदौर पुलिस ने इस पर हजारों का ईनाम भी रखा था। लम्बाई करीब 5 फिट 10 इंच की उंचाई का यह गोरा लंबा चेहरा बदन इकहरा, सदैव दाढी रखने वाला सफदर प्रभावशाली व्यत्वि का सामान्य रहन सहन वाला रहा है।

पारिवारिक स्थिति
पत्नी- सीमा (मकोडिया आम स्थित.208 इंदिरा नगर कॉलोनी में अपने पिता के साथ रह रही है। जिसकी दो लडकिया एक लडका हैं । भाई- हैदर इसने पॉलीटेक्निक कॉलेज उज्जैन से डिप्लोमा किया है। इसकी महिदपुर बस स्टेण्ड पर ऑटो पार्ट्स की दुकान है। एक भाई जफर हुसैन मानसिक रूप से विछिप्त है।

3 बहनें रजिया बानो पति अब्दुल जलील, रेहाना पति जाहिद हुसैन रूखसाना पति शकिल अहमद सभी नागोरी मोहल्ला महिदपुर उज्जैन की निवासी हैं।सफदर के अधिकांश मित्र भी प्रतिबंधित इस्लामिक संगठन सिमी से जुडे रहे हैं।उसके मित्रों मेंनासीर कुरैषी पिता फतेह मोहम्मद निवासी महिदपुर, उज्जैन जो कि शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विधालय में अध्यापक है। शाहिद पिता ईस्माइल वेल्डर निवासी महिदपुर उज्जैन । हसन मोहम्मद पिता मोहम्मद अली नागोरी महिदपुर उज्जैन। आमिल परवाज , पिता काली सैफुतिन निवासी उन्हेल उज्जैन |

इमरान अंसारी पिता मोहम्मद इदरिष निवासी नयापुरा इन्दौर।। शहजाद पिता अब्दुल रषीद निवासी बांदा कंपाउण्ड छोटी ग्वालटोली इंदौर। शेख गुलरेज निवासी ग्वालटोली , इन्दौर। कमरूद्विन नागोरी 11/2 नागोरी मोहल्ला उज्जैन। इकरार शेख 93/2 मैली गली बहादुरगंज उज्जैन। अकबर बेग पिता अब्दुल शकुर निवासी मदीना नगर इन्दौर। मकसूद अहमद पिता बधीर मोहम्मद निवासी मकान नम्बर 01 नागोरी मोहल्ला महिदपुर उज्जैन।

सफदर ने पुलिस को बताया था कि पेश इमाम ने उसे सिमी से जोड़ा था पुलिस को दिए अपने इकबालिया बयान में कभी सफदर ने बताया था कि उसे फतेह मस्जिद के पेश इमाम ने सिमी से जोड़ा। पेश इमाम उसे नमाज के बाद उसे दर्से कुरान कार्यक्रम में रूकने के लिए कहते थे।यह कार्यक्रम सिमी की और से आयोजित किया जाता था।यहां पेश है पुलिस के सामने सफदर की इकबालिया कहानी ।

सफदर के अनुसार मैं महिदपुर जिला उज्जैन का निवासी हूँ। मेरा जन्म 03 अप्रैल 1970 में उज्जैन में हुआ था। मेरे पिता जहिरूल हसन उज्जैन पुलिस में आरक्षक थे। मेरी प्रारम्भिक शिक्षा कक्षा 5 तक नागदा में हुई। तब मेरे पिता नागदा में तैनात थे। फिर मेरे पिता का स्थानान्तर बड़नगर हो गया। तब मैं कक्षा 6,7,8 तक बड़नगर में पढ़ा। इसके बाद मेरे पिता बड़नगर से उज्जैन स्थानान्तर होकर आए। मैं भी पिता के साथ उज्जैन आया तथा कक्षा 9 से 11 तक तथा पॉलिटेक्निक से मेकेनिकल में डिप्लोमा लेने तक उज्जैन रहकर पढ़ा। वर्ष 1988 में मैनें पॉलिटेक्निक उज्जैन से मैकेनिकल में डिप्लोमा किया। पॉलिटेक्निक में पढ़ाई के दौरान वर्ष 1986 में मैं ‘सिमी’ से जुड़ा। मैं फतेह मस्जिद में नमाज पढ़ने जाया करता था। मस्जिद के पेश इमाम हाफिज नियामउल्लाह ने मुझसे बाद नमाज दर्से कुरान कार्यक्रम में रूकने को कहा। मैंने दर्से कुरान कार्यकम अटेण्ड किया। यह कार्यक्रम ‘सिमी’ द्वारा ही आयोजित किया जाता था।

‘सिमी’ से जुड़ने के लिए मुझे मदार गेट उज्जैन निवासी नदीम कुरैशी ने मेम्बरशिप का फार्म दिया था। जो फार्म भरकर मैंने नदीम को वापस दे दिया था। वर्ष 1986 में नदीम बी.ए. का छात्र था। जो बाद में सिमी से पृथक हो गया था तथा प्रायवेट स्कूल में टीचर बन गया था। उस समय साबिर नदवी ‘सिमी’ का उज्जैन शहर का सदर था। जो बाद में शिक्षा कर्मी बन गया था। साबिर नदवी का मकान अमरपुरा उज्जैन में है, तथा दूसरा घर तलेन में है। वह तलेन के मदरसे में भी पढ़ाता है। साबिर नदवी के बाद अब्दुल हमीद नागौरी सिमी उज्जैन का सदर बना। जो बेगम कॉलोनी मोहल्ले. उज्जैन का निवासी है। वर्तमान में पी.एच.ई. में उज्जैन में कार्यरत है।

अब्दुल हमीद के कार्यकाल में वर्ष 1988 में मैं ‘अंसार’ बन गया था। अब्दुल हमीद वर्ष 1989 में सदर पद से हट गया। इसके 1-2 साल बाद सिमी से रिटायर हो गया। इसके बाद 1989 में हाफिज रईस निवासी उपकेश्वर मंदिर के पीछे कन्धार उज्जैन (चाय पत्ती वाला) उज्जैन की सिमी यूनिट का सदर बना। इस अवधि के दौरान वर्ष 1990 में मैं ‘सिमी’ की एम.पी. झोन का शूरा का मेम्बर बनाया गया। वर्ष 1990 में हाफिज़ रईस सदर पद से हटा इसके बाद 1990 में दोबारा साबिर नदवी उज्जैन यूनिट का सदर बना। नवम्बर 1991 में मुझे सिमी का म.प्र. का सदर बनाया गया। मैं अक्टूबर 1992 तक सिमी का म.प्र. का सदर रहा। मेरे कार्यकाल में उज्जैन के 1. हाफिज रईस निवासी कन्धार 2. साबिर नदवी शूरा में थे। नवम्बर 1992 में असलम सिद्दिकी निवासी शहडोल की सिमी की म.प्र. यूनिट (झोन) का सदर बनाया गया। मैं इसके साथ एम.पी. का शूरा में था। नवम्बर 1992 में मैं अपने घर महिदपुर गया तथा महिदपुर में राजेन्द्र मार्ग पर अंजुमन मदरसे की बिल्डिंग में किराये से दुकान ली। किराने की दुकान खोली।

इसी दौरान मैंने महिदपुर में सिमी संगठन की इकाई को मजबूत किया। इस अवधि में मैंने 1. सरवर जाफरी पिता घड़ी वाले जाफरी साहब निवासी कसाई मोहल्ला महिदपुर 2. मोहम्मद शाहिद नागौरी (किसान) निवासी नागौरी मोहल्ला महिदपुर 3. मोहम्मद सिद्विकी (किराने की दुकान वाला) वर्तमान में ट्रकवाला निवासी नागौरी मोहल्ला उज्जैन, 4. हाफिज नुरूद्दीन (जामा मस्जिद में हाफिज था) निवासी बिहार तत्कालीन निवासी महिदपुर 5. मोहम्मद सईद नागौरी निवासी नागौरी कॉलोनी एक्स महिदपुर 6. मोहम्मद इकबाल (ट्रक) निवासी नागौरी कॉलोनी महिदपुर 7. मोहम्मद मकसूद नागौरी (चक्कीवाला) 8. हाफिज मुदस्सर नागौरी निवासी नागौरी कॉलानी महिदपुर (पूर्व में घड़ी सुधारक अब गैरज मैकेनिक) 9. मोहम्मद शहजाद कुरैशी (कसाई) निवासी कसाई मोहल्ला महिदपुर, को मैंने सिमी से जोड़ा। इन सबको सिमी में इख्वान बनाया। इसके अलावा कई अन्य लोगों में सिमी की विचारधारा का प्रचार किया। जुलाई 1994 में मुझे राष्ट्रीय सदर अब्दुल अजीज सुल्फी निवासी बस्ती, उप्र ने दिल्ली बुलाया। तो मैं 01.08.94 को दिल्ली गया।

सुल्फी साहब ने सिमी की याचिका इस्लामिक मूव्हमेन्ट के हिन्दी संस्करण का सहायक सम्पादक नियुक्त किया। तब मैं सिमी के कार्यालय 151, सी/9, जाकिर नगर दिल्ली में रहकर पत्रिका का काम करने लगा। वर्ष 1995 में मैं इस्लामिक मूव्हमेन्ट के हिन्दी संस्करण का मुख्य सम्पादक बन गया। अगस्त 2000 में मुझे ‘सिमी’ की सी.ए.सी. (सेन्ट्रल एडवाइजर कमेटी) का महासचिव बनाया गया। तब मैं मूव्हमेन्ट पत्रिका के सम्पादन कार्य से पृथक हो गया। वर्ष 1995 में मैं सैयद अली शाह गिलानी, चेयरमैन हुर्रियत कान्फेस तथा वर्ष 1996 या 1997 में मैं काश्मीर अवेयरनेस ब्यूरो के कार्यालय (चाणक्यपुरी के आगे जगह का नाम ध्यान नहीं) गया था। जहाँ मेरी मुलाकात मौलवी अब्बास अंसारी (तत्कालीन एक्जीक्यूटिव मैम्बर हुर्रियत कान्फ्रेंस) मीर वाइज उमर फारूख (एवजी मैम्बर हुर्रियत कान्फ्रेंस) से हुई। इसी दौरान कार्यालय की लौबी में खड़े यासिन मलिक (प्रेसिडेंट जे.के.एल.एफ.) से मेरी दुआ सलाम हुई थी। वर्ष 2000 के रमजान महीने में पाकिस्तान के भारतीय उच्चायोग के हाई कमिश्नर रियाज खोकर ने दिल्ली का तमाम इस्लामिक आर्गनाईजेशन के नुमाइंदों को इफ्तियार की दावत पर बुलाया था। तब मैं अपने साथी सैफ नाचन (प्रबंधक ‘इस्लामिक मूव्हमेन्ट पत्रिका’) निवासी पडगा मुम्बई तथा अब्दुल सुभान (सम्पादक ‘इस्लामिक मूव्हमेन्ट’) निवासी मुम्बई को साथ लेकर इफ्तियार की दावत में शामिल होने गया था। तब हाई कमिश्नर खोखर साहब से मेरी मुलाकात तथा दुवा सलाम हुई थी। वर्ष 1994 से 27 सितम्बर 2001 के मध्य में इन्दौर, उज्जैन कई बार आया गया था।

फरारी के दौरान हज हाउस में पत्नी के साथ दो दिन रूका-

वर्ष 1997 में मेरी शादी इलियास नागोरी की दूसरी पत्नी मेरी कुट्टी नागोरी की लड़की सीमा उर्फ रूबीना से हुआ है। मुझे दो लड़की 1. सफीया सितवत 2. सारा सरवत तथा 1 पुत्र सीमांक अबदुल्ला है। मैं मेरी पत्नी रूबीना से वर्ष 2006 में बम्बई में आखीरी बार मिला था। जब वह मेरे माता-पिता कों हज यात्रा के लिए छोड़ने आई थी। मैंने हज कमेटी की लिस्ट देखी थी। जिसमें मेरे माता-पिता का नाम होने से मैं एम.पी. की फ्लाईट वाले दिन उनसे मिलने हज हाउस गया था। वहीं पर अचानक मेरी मुलाकात पत्नी रूबीना से हुई। तब हम हज हाउस के चौकीदार को 100-200 रूपये देकर कमरे की व्यवस्था कर ली थी। जहाँ रूबीना मेरे साथ 2 दिन रूकी थी। इसी सम्पर्क के परिणाम स्वरूप मेरे पुत्र का जन्म हुआ।

पहली बार सिमी पर प्रतिबंध 27.09.01 को लगा। उस दिन मैं सिमी के राष्ट्रीय कार्यालय 151, सी/9 जाकिर नगर नई दिल्ली पर रह रहा था। प्रतिबंध लगने की खबर मिली, तो अमीनुल हसन सिंह (मेम्बर, पर्सनल लॉ बोर्ड) निवासी जाकिर नगर नई दिल्ली ने मुझसे कहा कि सफदर आप इस जगह को छोड़ दो। यहाँ रेड पड़ सकती है। श्री रिजवी मुझे अपने साथ सीलमपुर ले गए। वहाँ उनके किसी परिचित के मकान में एक कमरा मुझे दिलवा दिया तथा स्टोव, बर्तन भी मैने खरीद लिए। मेरे पास तंजीम का रू0 50,000/- था। जिससे मैंने फरवरी 2002 तक सीलमपुर में गुजारा किया। फिर भी मेरे पास 30-35 हजार रूपये बच गए। महाराष्ट्र का सिमी का स्टेट चेयरमैन इलियास खान ने मुझे दिल्ली में रिजवी साहब के माध्यम से खबर की थी कि आप मुम्बई आ जाए। तो मैं लगभग 15 फरवरी 2002 के बाद दिल्ली से मुम्बई चला गया। जहाँ मैं कपाड़िया नगर (कुर्ला के पास) मैं इलियास से मिला। इलियास बुरहानपुर का रहने वाला होकर कपाड़िया नगर में फ्लेट लिए हुए था। उसमें मुझे भी रख लिया। नवम्बर 2003 तक मैं मुम्बई में ही रहा। इसी दौरान मैं संगठन के काम से ग्राम चकहिदायतुल्ला के आरिफ महफूज (अंसार) से मिलने नैली इलाहाबाद, जिला अलवा (केरल) शिवली (अंसार) तथा अब्दुल मजीद नदवी से मिलने गया था। हबीबुर्रहमान निवासी जामा मस्जिद के पीछे बीजापुर (कर्नाटक) से मिलने, जुबेर आलम (स्टेट चेयरमैन पश्चिम बंगाल, निवासी आसन सोल) मिस्बाहुल इस्लाम (शूरा वेस्ट बंगाल) से मिलने कलकत्ता भी गया था। कलकत्ता भ्रमण के दौरान आमिल परवेज हावड़ा जेल में बंद था। मैं आमिल परवेज को वकील से मुठिया पुर्ज, कलकत्ता में मिला था। नवम्बर 2003 में मैंने मुम्बई छोड़ दिया तथा मटिया पुर्ज कलकत्ता में रहने लगा। मटिया पुर्ज में जुबेर आलम ने मेरे रहने तथा खाना-पीने की व्यवस्था की थी। नवम्बर 2003 से सितम्बर 2007 में मटिया पुर्ज कलकत्ता में रहा। इस दौरान भी मैंने यू.पी. महाराष्ट्र, केरल, तमिलनाडू, बिहार, राजस्थान, म.प्र. में इन्दौर की कई यात्राएँ संगठन (सिमी) के काम से की जिनकी सही-सही तारीखे मुझे याद नहीं है। वर्ष 2007 रमजान महीने मैं कलकत्ता से बम्बई हावड़ा ट्रेन से इटारसी तक आया। फिर बसों में बैठकर देवास होते हुए इन्दौर आया। इन्दौर आने के पूर्व मेरी बात कमरूद्दीन नागौरी से हुई थी। मैंने कमरूद्दीन से इन्दौर आने की इच्छा जाहिर की, तो कमरूद्दीन ने आने को कहा तब मैं रमजान में इन्दौर आया। यहाँ कमरूद्दीन सिराज मुसलमान के कनाडिया रोड से पीछे (खजराना का भाग) बनी एक कालोनी में कमरूद्दीन के साथ उसके कमरे पर लगभग दो-ढाई महीने रहा। इस दौरान उन्हेल का आमिल परवेज मुझसे मिलने आया था। मैंने आमिल से सिमी संगठन के उज्जैन के कार्य के बारे में चर्चा की तथा सिमी कार्यकर्ताओं की फिजीकल ट्रेनिंग कराने तथा इसके पश्चात् आर्म ट्रेनिंग कराने की चर्चा की थी। फिजिकल ट्रेनिंग में डिप्स, रनिंग, स्विमिंग, रोप क्लाईम्बिंग, जूडो कराटे शामिल रखने के बारे में बताया था। इसी प्रकार आर्म ट्रेनिंग में एमिंग एण्ड टारगेटिंग की ट्रेनिंग सर्वप्रथम एयर गन से तथा इसके पश्चात् एक्चुअल फायरिंग का अभ्यास बाद में कराने का प्रोग्राम था। अभी 2 साल तक एक्चुअल फायरिंग अभ्यास नहीं कराने का निर्देश मैंने दिया था। इसी सोच के ज्यादा लोग संगठन से जुड़ जाए ,तभी एक्चुअल फायरिंग अभ्यास का प्रशिक्षण कराना बेहतर रहेगा। ऐसा मेरी सोच थी।

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