November 22, 2024

महान वैज्ञानिक की गला काटकर हत्या

(16 मई पर विशेष-डॉ.डीएन पचौरी)

क्या आप सोच सकते है कि जिस वैज्ञानिक को आज की आधुनिक रसायन का जन्मदाता कहा जाता है,उसकी गिलेटिन द्वारा बडी निर्दयता और निर्ममता के साथ करीब तीन सौ वर्ष पूर्व आज ही के दिन हत्या कर दी गई थी। उसका दोष ये था कि वह पैसे वाला था और फ्रान्स के राजा के निकटतम लोगों में गिना जाता था। अत: फ्रान्स की 1789 की क्रान्ति के पश्चात जिन दोषियों को सजा दी गई,उनमें महान वैज्ञानिक लैवोजियर का भी नाम था। मई 1794 में गिलेटिन पर चढाकर जब उसे मार दिया गया तो फ्रान्स के गणितज्ञ लोरेंज ने कहा था कि इस आदमी का गला काटने में कुछ ही क्षण लगे जबकि ऐसा विद्वान फ्रान्स में अगले सौ वर्ष में भी पैदा नहीं होगा। आईए,उसके बारे में कुछ जानकारियों प्राप्त करें।

फादर ऑफ मार्डन कैमिस्ट्री के नाम से विख्यात वैज्ञानिक एण्टोनी लैवोजियर का जन्म फ्रान्स में 1743 में एक धनी परिवार में हुआ था। प्रारंभिक शिक्षा दीक्षा आदि के पश्चात इन्होने कानून की डिग्री ली किन्तु जीवन पर्यन्त कभी प्रैक्टिस नहीं की। २५ वर्ष की आयु में फ्रान्स की सड़कों को किस प्रकार प्रकाशवान किया जाए,इस विषय पर इन्होने जो सुझाव दिया उसके कारण इन्हे फ्रान्स विज्ञान अकादमी का सदस्य बनाया गया तथा इसके पश्चात ही इनके अन्वेषण कार्यों में प्रगति हुई।

रसायन को योगदान
रसायन विषय की सामान्य जानकारी रखनेवाला व्यक्ति भी बता सकता है कि जल का सूत्र H2O है,किन्तु जल हाईड्रोजन तथा आक्सिजन गैस से बना यौगिक है,ये बात वैज्ञानिक लैवोजियर ने ही सिध्द की थी। इसके पहले जल को तत्व माना जाता था। हमारे यहां भी -क्षिति,जल,पावक,गगन,समीरा,पंच तत्व यस रचत शरीरा-दोहे में जल व वायु को तत्व बताया गया है,जबकि इस वैज्ञानिक ने जल को यौगिक व वायु को विभिन्न गैसों का मिश्रण बताया जो आज भी सही बात है।
सन् 1768 में इस वैज्ञानिक ने POP अर्थात प्लास्टर आप पेरिस की खोज की थी। साल्टपीटर अर्थात शोरा (KNO3) प्राप्त करने की उत्तम विधि तथा इसमें विभिन्न अनुपातों में गंधक व कोयला मिलाकर कई प्रकार की बारुद इन्होने तैयार की। उस समय फ्रान्स ने बारुद का विभिन्न देशों को निर्यात किया।
पहले ये माना जाता था कि प्रत्येक जलने वाली वस्तु में एक विशेष पदार्थ फिलोजिस्टीन होता है और वस्तु के जलने पर उसमें से फिलोजोस्टिन निकल जाता है,किन्तु लैवोजियर ने सिध्द किया कि फिलोजिस्टन सिध्दान्त गलत है। वस्तु जलने पर आक्सिजन से क्रिया करके आक्साईड बनाती है और उसने पारे को गर्म करने पारे का आक्साईड(HgO) बनाया।
वैज्ञानिक लैवोजियर ने 55 रासायनिक पदार्थों को पुन: परिभाषित कर संक्षिप्त नाम दिए जो आज भी प्रचलित है। प्रत्यास्थ वायु का गैस,ज्वलनशील गैस को हाईड्रोजन,अम्लीय वायु को आक्सिजन फ्लावर आप जिंक को जिंक आक्साईड आदि अनेकों उदाहरण दिए जा सकते है।
अन्य योगदान
आजकल जो दाशमिक प्रणाली या मैट्रिक सिस्टम है,उसका जन्मदाता यही वैज्ञानिक है। एक रुपए में सौ पैसे,1 किलोग्राम अर्थात 1000 ग्राम,1मीटर में 100 सेन्टीमाटर आदि उसी की देन है। इसके अतिरिक्त मात्रा की अनिश्वरता का नियम अर्थात कोई भी वस्तु नष्ट नहीं होती और उसका विभिन्न रासायनिक क्रियाओं द्वारा रुप परिवर्तन हो जाता है या अन्य पदार्थ बन जाते है। एक सही तौलने वाली तुला का आविष्कार भी इन्होने ही किया था,जिस पर तौल कर अनेकों नियम व सिध्दान्तों की व्याख्या की गई। एक अतिसुसज्जित साधन सम्पन्न प्रयोगशाला की स्थापना इन्होने की थी। जिसमें उस समय के प्रसिध्द वैज्ञानिक आकर प्रयोग व आविष्कार करते थे। जैसे आक्सिजन के आविष्कारक प्रीस्टले,बादलों की विद्युत के आविष्कारक बैन्जामिन फ्रैंकलिन,विद्युत व चुम्बकिय क्षेत्र के ज्ञाता लाप्लस आदि इनकी लैब में आकर प्रयोग करते थे।
जीव विज्ञान में भी इनका योगदान है। हम जो भी भोजन ग्रहण करते है,उसका शरीर में दहन होता है। अत: उपापचय क्रिया की प्रारंभिक जानकारी वैज्ञानिक लैरोजियर की ही देन है।
मृत्युदण्ड
इनके जीवन में इनके द्वारा किए गए दो निर्णय इनकी मृत्यु का कारण बने।
1.1780 में एक वैज्ञानिक जान पाल मार्ट ने फ्रान्स की विज्ञान एकेडमी की सदस्यता के लिए आवेदन दिया,जिसका लैवोजियर ने विरोध किया और मार्ट को एकेडमी का सदस्य नहीं बनने दिया। वास्तव में वह योग्य भी नहीं था। किन्तु यही मार्ट फ्रान्स की क्रान्ति का अगुआ था और उसने लैवोजियर के खिलाफ पुरजोर वकालत की तथा उसे फांसी दिलवाकर बदला लिया।
2..फ्रान्स के राजा के लिए टैक्स उगाहने वाली संस्था की सदस्यता इनके ताबूत की दूसरी कील साबित हुई। टैक्स उगाहने वाली संस्था के सदस्य बडी निर्दयता व क्रूरता से टैक्स वसूलते थे और अपना घर भी भरते थे। जिससे फ्रान्स की प्रजा इनसे चिढती थी। यद्यपि लैवोजियर ने कभी कोई भ्रष्टाचार नहीं किया किन्तु टैक्स वसूलने वाली संस्था का सदस्य होना,अधिक धनी होना तथा फ्रान्स के राजा से नजदीकी इस वैज्ञानिक को भारी पडी और फ्रान्स की क६ान्ति में अपना जीवन गंवाना पडा।

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