Constitution Day/संविधान दिवस का विरोध करने वालों को पीएम मोदी ने आड़े हाथों लिया
नई दिल्ली,26 नवंबर (इ खबरटुडे)।संविधान दिवस 2021 के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन दलों का आड़े हाथ लिया, जिन्होंने इस दिन को मनाए जाने का विरोध किया। पीएम मोदी ने किसी दल या नेता का नाम लिए बगैर कहा कि जो लोग संविधान दिवस का विरोध कर रहे हैं, उनमें लोकतंत्र बचा नहीं है।
भारत एक ऐसे संकट की ओर बढ़ रहा है, जो संविधान को समर्पित लोगों के लिए चिंता का विषय है, लोकतंत्र के प्रति आस्था रखने वालों के लिए चिंता का विषय है और वो है पारिवारिक पार्टियां। योग्यता के आधार पर एक परिवार से एक से अधिक लोग जाएं, इससे पार्टी परिवारवादी नहीं बन जाती है, लेकिन एक पार्टी पीढ़ी दर पीढ़ी राजनीति में है।
संविधान की भावना को भी चोट पहुंची है, संविधान की एक-एक धारा को भी चोट पहुंची है, जब राजनीतिक दल अपने आप में अपना लोकतांत्रिक कैरेक्टर खो देते हैं। जो दल स्वयं लोकतांत्रिक कैरेक्टर खो चुके हों, वो लोकतंत्र की रक्षा कैसे कर सकते हैं।
प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने ऐलान किया था कि हर साल 26 नवंबर को देश में संविधान दिवस (Indian Constitution Day) मनाया जाएगा। 2015 में पहली बार Indian Constitution Day मनाया गया था। 26 नवंबर 2021 को सातवां Indian Constitution Day मनाया जा रहा है। इस अवसर पर संसद के केंद्रीय कक्ष में विशेष कार्यक्रम हो रहा है।
पीएम मोदी के संबोधन की बड़ी बातें
इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, आज का दिवस बाबासाहेब अम्बेडकर, डॉ राजेन्द्र प्रसाद जैसे दुरंदेशी महानुभावों का नमन करने का है। आज का दिवस इस सदन को प्रणाम करने का है। आज पूज्य बापू को भी नमन करना है। आजादी के आंदोलन में जिन-जिन लोगों ने बलिदान दिया, उन सबको भी नमन करने का है।
आज 26/11 हमारे लिए एक ऐसा दुखद दिवस है, जब देश के दुश्मनों ने देश के भीतर आकर मुंबई में आतंकवादी घटना को अंजाम दिया। देश के वीर जवानों ने आतंकवादियों से लोहा लेते हुए अपना जीवन बलिदान कर दिया। आज उन बलिदानियों को भी नमन करता हूं। हमारा संविधान ये सिर्फ अनेक धाराओं का संग्रह नहीं है, हमारा संविधान सहस्त्रों वर्ष की महान परंपरा, अखंड धारा उस धारा की आधुनिक अभिव्यक्ति है।
पीएम मोदी ने कहा, इस संविधान दिवस को इसलिए भी मनाना चाहिए, क्योंकि हमारा जो रास्ता है, वह सही है या नहीं है, इसका मूल्यांकन करने के लिए मनाना चाहिए। बाबासाहेब अम्बेडकर की 125वीं जयंती थी, हम सबको लगा इससे बड़ा पवित्र अवसर क्या हो सकता है कि बाबासाहेब अम्बेडकर ने जो इस देश को जो नजराना दिया है, उसको हम हमेशा एक स्मृति ग्रंथ के रूप में याद करते रहें।
पीएम मोदी के संबोधन के बाद उपराष्ट्रपति और राष्ट्रपति बोलेंगे। फिर संविधान की प्रस्तावना पढ़ने का क्रम शुरू होगा। पीएम मोदी के भाषण पर पूरे देश की नजर है, क्योंकि विपक्ष मोदी सरकार पर संविधान की धज्जियां उड़ाने का आरोप लगा रहा है। यही कारण है कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के सांसदों ने इस कार्यक्रम हिस्सा नहीं लेने का फैसला किया है।
संविधान दिवस पर होंगे ये खास कार्यक्रम
केंद्र आजादी का अमृत महोत्सव के तहत संविधान दिवस मनाएगा। संसद में आयोजित कार्यक्रम को उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भी संबोधित किया। यह कार्यक्रम सुबह 11 बजे से हुआ।
शाम 5:30 बजे, प्रधा मंत्री नरेंद्र मोदी प्लेनरी हॉल, विज्ञान भवन, नई दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट के दो दिवसीय संविधान दिवस समारोह का उद्घाटन करेंगे।
इस अवसर पर सर्वोच्च न्यायालय के सभी न्यायाधीश, सभी उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश और वरिष्ठतम न्यायाधीश, भारत के सॉलिसिटर जनरल और कानूनी बिरादरी के अन्य सदस्य भी उपस्थित रहेंगे।
26 नवंबर 1949 को संविधान सभा ने भारत के संविधान को कानूनी रूप से अंगीकार किया था। यह 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ जिसे गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। मई 2015 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार ने घोषणा की कि नागरिकों के बीच संवैधानिक मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाएगा।
विशेष रूप से, वर्ष 2015 ने बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर की 125 वीं वर्षगांठ को चिह्नित किया, जो पहले कानून मंत्री थे और संविधान मसौदा समिति के पहले अध्यक्ष भी थे। डॉ. अम्बेडकर को संविधान का मसौदा तैयार करने का काम सौंपा गया था।