फूल छाप पार्टी में बनेगा पंजे का गुट
निगम चुनाव काउण्ट डाउन-०३ दिन शेष
इ खबरटुडे / 25 नवंबर
रतलाम। सूबे के मुखिया ने शहर की सड़कों पर अपना जलवा दिखाया और नकली इण्डिया गेट के सामने महापौर व पार्षद प्रत्याशियों को जिताने के लिए मतदाताओं से अपील की। उधर पंजा छाप पार्टी के पास तो कोई नेता है ही नहीं। इसलिए पंजा छाप पार्टी की तुलना में फूल छाप पार्टी काफी फायदे में है। फूल छाप पार्टी के पास ग्लैमरस नेताओं की भरमार है। सूबे के मुखिया की लोकप्रियता तो वैसे ही आसमान पर है। उनके आने से माहौल बदल जाता है। यह सब तो हुआ,लेकिन कुछ नए नजारें भी सामने आए। मुखिया के मंच पर आमतौर पर प्रत्याशी को प्रमुखता दी जाती है,ताकि मतदाता प्रत्याशी को पहचान सकें। लेकिन झांकीबाजी की आदत से मजबूर भैय्या जी ने यहां भी अपनी वाली दिखाई। बाकी के तमाम नेता अपने नियत स्थानों पर बैठे हुए थे। प्रत्याशी को मुख्यमंत्री के साथ खडा रखा गया था,जिससे कि ज्यादा से ज्यादा लोगों का ध्यान उस पर जाए। लेकिन फोटो खिंचाने की आदत से मजबूर भैय्याजी भी वहां खडे हो गए और मुख्यमंत्री के पूरे सम्बोधन के दौरान वहीं मौजूद रहे। सामने मौजूद लोग इस पर टिप्पणियां भी करते रहे और हंसते भी रहे। लेकिन उन्हे इससे न कोई फर्क पडना था और न ही कोई फर्क पडा। पंजा छाप पार्टी से आए नए युवा नेता ने पंजा छाप पार्टी की परंपरा यहां भी निभाई। युवा नेता अपने कालेज के छात्रों को मोदी जी के टीशर्ट पहना कर ले आए और पंजाछाप वाली स्टाइल में जमकर नारे लगवाए। यह शक्ति प्रदर्शन तब तक चलता रहा जब तक कि मंच से उन्हे लताड नहीं लगाई गई। मंच से जब नेता जी को फटकारा गया तब उन्होने ढोल ढमाके बन्द करवाए। इसी मौके पर पंजा छाप पार्टी की एक पार्षद और कई सारे नेता भी पंजा छाप छोडकर फूलछाप के पाले में आ गए। अब लोग कह रहे है कि फूल छाप पार्टी में इतने पंजे वाले आ गए है कि वे अपना अलग गुट बनाने में सक्षम है। वह दिन दूर नहीं,जब फूल छाप पार्टी के भीतर ही पंजा छाप पार्टी का गुट सक्रिय हो जाएगा।
बिखर गई पंजा छाप
फूल छाप वालों ने जब इन्दौर के नेता जी की सभा करवाई तो पंजा छाप कैसे पीछे रह जाता। तो पंजा छाप ने शहर के बीचों बीच रानी जी के मन्दिर पर सभा कर डाली। नेताओं की किल्लत तो पंजा छाप में पहले से ही थी। सभा में जो इक्के दुक्के नेता बोले,वे क्या बोले कोई समझ नहीं पाया। सुनने वाले थे भी गिने चुने। पंजा छाप में वरिष्ठ नेता कहलाने लायक कोई बचा नहीं है। बाहर से किसी को लाने में कोई फायदा भी नहीं है। कुल मिलाकर पंजा छाप की सभा ने पंजा छाप की बन्द मु_ी भी खोल दी। बिखराव इतना ज्यादा है कि सभा में पंजाछाप पार्टी के अध्यक्ष ही नदारद थे। सभा के बाद यह कहा जाने लगा कि लडाई एक तरफा हो गई है। पंजा छाप सम्मानजनक स्थिति में आ जाए यही बहुत होगा। पंजा छाप की सभा में भी कुछ तो नया था। पुलिस छोड कर नेता बने नेताजी पंजे के मंच पर नजर आए। हांलाकि उनकी मौजूदगी पारिवारिक सम्बन्धों की वजह से थी,लेकिन कहने वाले कह रहे है कि ये नेता जी पटरी पार होते है तो फूल छाप वाले बन जाते है और पटरी के इस तरह पंजा छाप के साथ हो जाते है।