November 23, 2024

Yoga research/व्यक्तिगत रूप से सामाजिक हित में दिया गया दान होता है वरदान – श्री काश्यप

योग अनुसंधान केंद्र में तत्वार्थ सूत्र का विमोचन

रतलाम,26 अक्टूबर (इ खबरटुडे)। सार्वजनिक दान और व्यक्तिगत दान में फर्क होता है। व्यक्तिगत दान देकर यदि आप सम्मान की अपेक्षा करते हैं तो वह दान, दान ना होकर व्यक्तिगत हित हो जाता है, परंतु यदि व्यक्तिगत रूप से किसी ऐसे कार्य के लिए दान दिया जाए, जो सामाजिक हित में हो तो निश्चित तौर पर वरदान कहा जा सकता है।

हमें कभी भी ऐसा कोई कार्य नहीं करना चाहिए, जिससे किसी भी व्यक्ति विशेष, समाज, धर्म संप्रदाय और किसी भी जीव को शारीरिक या मानसिक पीड़ा से गुजरना पड़े।

यह बात विधायक चेतन्य काश्यप ने योग अनुसंधान केंद्र डोंगरे नगर में वरिष्ठ साहित्यकार चिंतक और शिक्षाविद डॉ. जयकुमार जलज द्वारा अनुवादित पुस्तक ‘तत्वार्थ सूत्र’ के विमोचन के अवसर पर कही। उन्होंने डॉ. जलज के अनुवाद की सराहना की और कहा कि यदि आने वाले समय में कुछ सूत्रों व कुछ श्लोकों में परिवर्तन किया जाए, तो पुस्तक और भी अधिक पठनीय हो सकती है, परंतु जो कार्य किया है, वह भी इतना अद्भुत है कि जो भी पढ़ेगा तो उसे ज्ञान प्राप्त होगा।

डॉ. जयकुमार जलज ने कहा कि पुस्तक के अनुवाद के लिए जब मेरे पास बात आई, तो पहले मैंने मना कर दिया था, परंतु डॉ. ओ.सी. जैन के आग्रह पर मैंने कोशिश की। उन्होंने विधायक श्री काश्यप के सुझावों पर अमल करने का विश्वास दिलाया।

अतिथि डॉ. मुरलीधर चांदनीवाला ने डॉ. जलज के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए पुस्तक की प्रशंसा की। संस्था अध्यक्ष हसमुख भाई शाह ने स्वागत भाषण दिया। समाजसेवी जयंत जैन ने अतिथि परिचय दिया। अशोक तांतेड़ ने स्वर्गीय शरद फाटक को याद किया। डॉ. ओ.सी. जैन ने पुस्तक ‘तत्वार्थ सूत्र’ की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने अनोखीलाल कटारिया के संदेश का वाचन किया। मुकेश जैन ने भी विचार रखें।

आरंभ में संजय चपलोत ने मंगलाचरण प्रस्तुत किया। अतिथियों का स्वागत डॉ. ओ.सी. जैन, हसमुख भाई शाह, मुकेश जैन, सूर्य नारायण उपाध्याय, अनुज छाजेड़, आदित्य पिरोदिया, विनोद पिरोदिया, अंकित पिरोदिया, राजेश गादिया, संजय चपलोत, मनीष चौरड़िया, वैभव पितलिया, लोकेश ओस्तवाल, मंजू लता तांतेड़, हर्षा जैन, कुसुम जैन और आशा श्रीवास्तव द्वारा किया गया। कार्यक्रम में स्वर्गीय शरद पाठक के चित्र का अनावरण किया गया। आभार अनुज छाजेड़ ने माना। संचालन मयूर व्यास ने किया।

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