Raag Ratlami Land Mafia : माफिया के खिलाफ सरकारी अभियान,कार्यवाही होगी या समाजसेवी बनकर फिर बच निकलेंगे माफिया
-तुषार कोठारी
रतलाम। सूबे के मुखिया मामा जी के माफिया की नकेल कसने के फरमान पर अब जिले का इंतजामिया कदम उठाने की तैयारियां तो कर रहा है,लेकिन ये तैयारियां फिलहाल फाईलों में ही चलती नजर आ रही है। वैसे कहने को तो नगर निगम ने बीते दिन दो चार जगहों पर बुलडोजर चलाए है लेकिन शहर के चर्चित माफियाओं पर शिकंजा कसने की फिलहाल शुरुआत नहीं हुई है।
मामा के फरमान के बाद इंतजामियां के बडे साहब ने तमाम मातहतों को माफियाओं की फाईलें तैयार करने के निर्देश जारी कर दिए थे। इन निर्देशों पर अभी कितना काम हुआ है,यह फिलहाल सामने नहीं आया है। शहर के लोग तमाम तरह के माफियाओं को बडे अच्छे से पहचानते है। लेकिन सरकारी तौर पर इनकी पहचान अभी छुपी हुई है। इनमें से कई माफिया,कलफदार कपडे पहन कर अफसरों के चैम्बरों में भी देखे जा सकते है।
इस शहर में सबसे ज्यादा पावरफुल माफिया,जमीनों वाले है,जिन्हे भू माफिया कहा जाता है। इनमें से ज्यादातर खुद को नगर नियोजक (कालोनाइजर) और समाजसेवी बताते है। महंगी गाडियों में कलफदार कपडे पहने हुए ये माफिया इतने ताकतवर है कि तमाम नेता भी इनसे नजदीकी रखते है। कई सारे नेताओं की तो इन माफियाओं के साथ हिस्सेदारी भी है। लोगों का कहना है कि माफियाओं के खिलाफ चलने वाले अभियानों से ये पावरफुल माफिया खुद को समाजसेवी बताकर बडी आसानी से बच निकलते है।
शहर में सैकडों अवैध कालोनियां बनाई गई। इन अवैध कालोनियों में जीवन भर की जमा पूंजी खर्च करके घर बनाने वाले आम लोगों को ये पता ही नहीं था कि वे जहां प्लाट खरीद रहे है,वो अवैध कालोनी है। उन्होने अवैध कालोनी में प्लाट खरीदे। भू माफियाओं ने अपनी जादूगरी से इन प्लाटों की रजिस्ट्रिया भी करवा दी। फिर जब मकान बनाने की नौबत आई,तो माफिया ने अपने रसूख का इस्तेमाल कर उनका मकान भी बन जाने दिया। ना उन्हे नगर निगम ने रोका और ना किसी और ने। बेतरतीब मकान बनते गए। कालोनी तो बनी,लेकिन ना तो उसमें सडक़ेंबनीं,ना ही नालियों की व्यवस्था हुई। बरसों गुजरते गए। ये लोग अवैध कालोनी में रहने की कीमत तकलीफें उठाकर चुकाते रहे। फिर अवैध कालोनियों को वैध करने का मुद्दा चुनावी मुद्दा बना और आखिरकार कई सारी अवैध कालोनियों को सरकार ने वैध कर दिया।
ये सबकुछ तो हो गया,लेकिन अवैध कालोनी बनाने वाले किसी भी भू माफिया के खिलाफ आज तक कोई कार्यवाही नही हुई। उलटे उनके द्वारा बनाई गई अवैध कालोनी के वैध हो जाने से उनके हौंसले और बुलन्द हो गए। अब उन्हे पता चल चुका है कि अवैध कालोनी बना देने से उनका कुछ नहीं बिगडेगा।
शहर में ऐसी सैैंकडों मिसालें है। किसी कालोनाईजर ने कालोनी के बगीचे को बेच दिया,तो किसी ने गारंटी में रखे गए प्लाट बेच कर रजिस्ट्री करवा दी। किसी ने एक ही प्लाट दो लोगों को बेच दिया,तो किसी ने जो प्लाट बेचा,वो मौके पर था ही नहीं। भू माफियाओं के सताए हुए लोगों की तादाद हजारों में है। वे बेचारे इनसे लड लड कर थक चुके है,लेकिन इन माफियाओं का कुछ नहीं बिगाड पाए।
शहर में चर्चित भू माफियाओं की तादाद भी कम नहीं है। इन भू माफियाओं को हर कोई जानता है। सिर्फ वही जानना नहीं चाहते जिन्हे इनके खिलाफ कार्यवाही करना होती है। इसी का नतीजा है कि भू माफियाओं का दुस्साहस बढता जा रहा है। वे तमाम नियम कायदों को फालतू समझते है। किसी भी सरकारी जमीन को हडपने के लिए इनके पास सैकडों फार्मूले है। ऐतिहासिक धरोहरों की बंदरबाट करने में भी इन्हे कोई हिचक नहीं है। लोकेन्द्र भवन जैसी राजसम्पत्ति को शहर के चर्चित भू माफिया ने जालसाजी करके हडप ही लिया था। ये तो गनीमत रही कि इंतजामिया ने लोकेन्द्र भवन में गलत तरीके से किए जा रहे निर्माण पर रोक लगा दी है। शहर में ऐसी तमाम कहानियां बिखरी पडी है। माफिया के खिलाफ शुरु हो रहे अभियान पर लोगों ने नजरें लगा रखी है। लोग जानना चाहते है कि पावरफुल माफियाओं के खिलाफ कोई सख्त एक्शन होगा या इस बार भी ये खुद को समाजसेवी बताकर बच निकलेगे?
तहसीलदारों की लगी क्लास
जिला इंतजामिया के बडे साहब इन दिनों फार्म में नजर आ रहे है। उन्होने जिले के तमाम तहसीलदारों की जम कर क्लास ली। जिले के कुछेक तहसीलदारों को छोड दिया जाए,तो ज्यादातर स्थानों पर जमकर बदइंतजामियां चल रही है। नए नए नायब बने अफसर बेझिझिक वसूली में लगे हुए है। हालत यह है कि किसी जमीन के रजिस्टर्ड विक्रय के बाद भी नामांतरण के लिए भारी चढावा चढाना पडता है,जबकि शासन ने रजिस्टर्ड विक्रय के मामलों में सीधे नामांतरण करने के निर्देश दे दिए है। यही स्थिति बंटवारे की भी है। अविवादित बटवारे के लिए समयसीमा निर्धारित होने के बावजूद मामलों को लम्बे समय तक लटकाया जाता है,ताकि चढावा मिल सके। बडे साहब ने इन सारे मामलों पर तहसीलदारों को फटकार लगाई है। उम्मीद की जाए कि तहसीलों के हालातों में बदलाव आएगा। हांलाकि इस बदलाव के लिए यह जरुरी है कि बडे साहब इस पर लगातार नजर रखे और नामांतरण बंटवारे के मामलों की निरन्तर समीक्षा होती रहे।
ठगी के आरोपी पर फूलछाप के नेताओं की छत्रछाया…..
पिछले दिनों फिल्मी ठग दम्पत्ति बंटी बबली की तरह ठगी किए जाने का मामला सामने आया। जिसमें बंटी बबली यानी,हेमन्त कुमार जैन और उसकी पत्नी प्रीति ने मकान बेचने का अनुबन्ध करके एक बुजुर्ग से बीस लाख रु. ले लिए और मकान किसी दूसरे व्यक्ति को बेच कर बंटी बबली शहर से फरार हो गए। मामला उजागर हुआ तो पता चला कि ये बंटी बबली का पहला कारनामा नहीं था। हेमन्त जैन इससे पहले भी मण्डी के व्यापारियों को चूना लगा चुुका था। अब नई कहानी सामने आ रही है। ठगी के नए नए कारनामें करने वाले इस बन्दे के सर पर फूलछाप के एक नेता का हाथ था। ठगी करने वाले हेमन्त के फूलछाप वाले नेताजी के साथ कई सारे फोटो सोशल मीडीया पर सामने आने लगे है। फूलछाप के ये नेता शहर का प्रथम नागरिक बनने की कोशिशों में लगे है। लोग पूछ रहे है कि नेताजी कहीं इस आरोपी को बचाने में तो नहीं लगे है,क्योंकि बीस लाख की धोखाधडी करके फरार हुए ठग दम्पत्ति अब तक पुलिस के हाथ नहीं लगे है।