Praise of RSS : प्रतिष्ठित मुस्लिम धर्मगुरु ने की आरएसएस की तारीफ,संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान का भी समर्थन
भागलपुर ,10 सितंबर (इ खबर टुडे)। देश के एक प्रतिष्ठित मुस्लिम धर्मगुरु ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तारीफ करते हुए सरसंघचालक (RSS chief) डा. मोहन भागवत के बयान का समर्थन किया है। हाल में मुंबई में ‘राष्ट्र प्रथम-राष्ट्र सर्वोपारी’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी में भागवत ने कहा था कि अंग्रेजों ने गलत धारणा बनाकर हिंदुओं और मुसलमानों को लड़ाया। उनके इस बयान का भागलपुर के मुस्लिम धर्मगुरु का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि-आरएसएस एक प्रतिष्ठित संगठन है। खानकाह पीर दमड़िया शाह भागलपुर के 15वें सज्जादानशीं सैयद शाह फखरे आलम हसन ने डा. भगवत के बयान का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि जो देश से सही मायनों में प्रेम रखता है और देश की अच्छाई, तरक्की और उन्नति चाहता है, वह हमेशा एकता, अखंडता, भाईचारे और सद्भावना की बात करेगा। उन्होंने कहा कि जिन लोगों को देश से प्रेम नहीं है, जो लोग स्वार्थी हैं, सिर्फ कुर्सी चाहते हैं, वह अंग्रेज की पालिसी डिवाइड एंड रूल को अपनाकर राज करना चाहते हैं।
हसन ने कहा कि भारत की आजादी के लिए जब हिंदू, मुसलमान और तमाम जाति के लोगों ने मिलकर एक साथ संघर्ष शुरू किया तो अंग्रेजों की बड़ी ताकत को भारत छोड़कर जाना पड़ा। उन्होंने कहा कि देश के तमाम समुदायों को साथ लेकर पूरी एकता और अखंडता के साथ भारत का निर्माण करना होगा। भारत को आगे बढ़ाने में सबको साथ लेकर चलना होगा।
सैयद शाह फखरे आलम हसन ने कहा कि जगह जगह पर मोहब्बत का पैगाम देने के लिए प्रोग्राम किए जाने चाहिए। इससे एकता को बल मिलेगा। आरएसएस देश का एक प्रतिष्ठित सांस्कृतिक संगठन है। अगर संगठन प्रमुख मोहन भागवत की तरफ से एकता की अखंडता की बात की जा रही है तो ऐसे लोगों को जो नफरत फैला रहे हैं या नफरत का जहर अपने मुंह से उगल रहे हैं उन लोगों को सोचना होगा।
न्होंने आरएसएस और बीजेपी के नेताओं से अपील करते हुए कहा कि इस तरह के नफरत फैलाने वालों पर सख्त कार्रवाई करें चाहे वह किसी मजहब किसी जाति या किसी धर्म के हो। उस पर सीधी कार्रवाई होनी चाहिए।
सैयद शाह फखरे आलम हसन ने कहा कि ईश्वर सब देख रहा है उसको न्याय पसंद है। किसी को कुर्सी दी गई है यह ऊपर वाले की कृपा है। अल्लाह के फजल से कोई कुर्सी पर बैठता है अगर वह उसका दुरूपयोग करेगा और अन्याय करेगा तो अन्याय ज्यादा दिन चलता नहीं है, क्योंकि वक्त कभी आता है कभी जाता है। हाकिम आते हैं चले जाते हैं। उनका नाम और उनका कार्य याद किया जाता है। अगर उन्होंने एकता के लिए देश हित में काम किया है तो जाहिर है कि उन को सराहा जाएगा और उनका नाम लिया जाएगा। किसी ने अगर उनकी राजनीति की है और मुसलमान और हिंदुओं को और समुदायों के बीच में दीवार पाटी है तो उसी के लिए उन्हें याद किया जाएगा।