November 22, 2024

पानी या पैट्रोल की तरह संग्रहित की जा सकेगी बिजली भी

(डॉ.डीएन पचौरी)

उफ ये गर्मी…। इस भीषण गर्मी में आप कहीं बाहर से आकर पंखे के नीचे पसीना सुखाते हुए ठंडी हवा का आनन्द ले रहे हो और बिजली चली जाए अथवा रात को चैन से सोते हुए कूलर की शीतल हवा का आनन्द ले रहे हो और बिजली चली जाए अथवा अपनी पसंद का टीवी सीरीयल देख रहे हैं और लाइट चली गई,तो इन सब परिस्थितियों में आपको कैसा लगता है? बिजली आज जीवन की अनिवार्य आवश्यक हो गई है। इन सब स्थितियों में दिल से आवाज आती है कि काश बिजली या लाईट का आना जाना अपने हाथ में होता तो कितना अच्छा होता? जिस समय इच्छा हुई बिजली का उपयोग कर लिया,जिस समय जरुरत नहीं हो बिजली को कहीं एकत्रित करके रख दिया। कितना अच्छा होता कि बिजली को पानी या पैट्रोल की तरह एकत्रित करके रखा जा सकता। अगर ऐसा होता तो बिजली संकट पूरी तरह हल हो जाता। अभी समस्या यह है कि विद्युत को संग्रहित करके नहीं रखा जा सकता। एक बार विद्युत का उत्पादन हुआ कि फिर उसका उपयोग हो न हो वह समाप्त हो जाती है। यदि बिजली को संग्रहित करना संभव होता तो घरों में बिजली को इस प्रकार रखा जाता जैसे गैस की टंकी रखी जाती है। जब जरुरत हुई बिजली ले ली वरना टंकी में रहने दी।

हांलाकि अब तक ऐसा नहीं हुआ है लेकिन फिर भी आपको निराश होने की जरुरत नहीं है। भविष्य में बिजली का उपयोग आप ठीक उसी प्रकार कर सकेंगे जैसे किसी टैंक में भरे जल का। जी हां,बिजली को आप पानी या पैट्रोल की तरह संग्रहित करके रख सकेंगे। आइए इसे विस्तृत रुप से समझें।
जिन धातुओं में विद्युत बिना अवरोध या कम अवरोध के सरलता से प्रवाहित होती है,उन्हे विद्युत चालक कहते है और रुकावट को प्रतिरोध कहा जाता है। तापक्रम घटाने से प्रतिरोध घटता है और चालकता बढती है।
डच वैज्ञानिक कैमरलिंग ओन्स ने 1911 में देखा कि पारा (मरकरी) धातु का ताप घटाते जाए तो उसकी चालकता बढती चली जाती है और प्रतिरोध लगातार घटता जाता है। उसने देखा कि 4k (कैल्विन) ताप पर अर्थात -269 डिग्री सैल्सियस पर पारा धातु का प्रतिरोध शून्य हो गया अर्थात इसकी चालकता अनन्त हो गई। वैज्ञानिक ओन्स ने इसे सुपर कण्डक्टिविटी या अतिचालकता नाम दिया। उसने देखाकि यदि 4k ताप पर पारा धातु में विद्युत प्रवाहित करके यदि विद्युत प्रवाह बन्द करदें तो भी उसमें से काफी देर बाद उसी तीव्रता से पुन: विद्युत प्राप्त कर सकते है। अर्थात पारे में -269 डिग्री सैल्सियस पर बिजली संग्रहित की जा सकती है। सन 1913 में इस खोज के लिए वैज्ञानिक ओन्स को फिजिक्स का नोबल पुरस्कार भी दिया गया।
-269 डिग्री सै. जोकि परम शू्य ताप (-273डिग्री) के निकट है और इसे प्राप्त करना कठिन है,अत:इससे अधिक ताप पर सुपर कण्डक्टर खोजने की प्रक्रिया प्रारंभ हो गई।HTS अर्थात हाई टैम्परैचर सुपर कण्डक्टर के संदर्भ में लगातार खोज हो रही है। सन 1940 में नोबियम नाईट्राईट (16k) पर तथा टाईटैनियम कैल्शियम बेरियम कॉपर आक्साईड का मिश्र धातु अलॉय (23k) ताप पर अतिचालक की तरह काम करता है। अभी तक वैज्ञानिक (140k) ताप अर्थात -133 डिग्री सैल्सियस ताप तक का (HTS) तैयार कर चुके है। कोशिश की जा रही है कि कमरे के ताप पर कार्य करने वाला सुपर कण्डक्टर प्राप्त हो जाए,जिसमें एक बार बिजली प्रवाहित करके 2 या 3 दिन के लिए पर्याप्त बिजली ठीक इसी प्रकार इक_ी की जा सकेगी जैसे आज टंकी में नल आने के बाद पानी इक_ा कर लेते है। इतना ही नहीं इन सुपर कण्डक्टरों या अतिचालकों के अन्य और भी कई महत्वपूर्ण उपयोग है। जैसे १. अत्यन्त शक्तिशाली सुपर मैग्रेट तैयार करना,जिनसे ट्रेन पटरी पर न दौड कर वायु में दौडेगी। जापान ने इस पर काम भी शुरु कर दिया है और इसे मैगलेव (maglev) नाम दिया है। उन्होने कम शक्तिशाली सुपर कण्डक्टर से एक ट्रैन 550 किलोमीटर प्रति घण्टा की रफ्तार से दौडाई।
२. SMES अर्थात सुपर कण्डक्टिंग मैगनैटिक एनर्जी स्टोरेज प्रणाली द्वारा एकत्रित विद्युत को AC से DC व DC से AC में परिणित कर सकेंगे।
३. विद्युत प्रदाय तो आसान होगी ही आगे जेनरेटर,ट्रांसफार्मर,मोटर आदि सभी विद्युत उपकरण छोटे आकार के होंगे और इसकी क्षमता सैंकडों गुनी बढ जाएगी।
४. इलैक्ट्रोनिक्स के क्षेत्र में क्रांति आ जाएगी। ये कुछ उपयोग है,यदि कमरे के ताप पर कार्य करने वाला सुपर कण्डक्टर प्राप्त हो गया तो विज्ञान जगत में क्रान्ति के साथ अनेक सुविधाजनक उपलब्धियां उपलब्ध होगी। देखें कितनी जल्दी वैज्ञानिक अतिचालकता को सर्वसुलभ बना पाते है?

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