Pegasus Scandal : क्या है पेगासस का सच? सूत न कपास जुलाहो में लठ्ठम लठ्ठा
-पंडित मुस्तफ़ा आरिफ
पेगासस सोफ्टवेयर इस्राइल के वैज्ञानिको के दिमाग की उपज है, जिसने सारी दुनिया में तहलका मचा रखा है। इसके पूर्व भी दूसरे उपग्रह से एलियन के जमीन पर आने और उनसे बातचीत करने का रहस्य भी इस्राइल के खाते मे जाता है, जिसकी पुष्टि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ये कहकर कर चुके है कि हां! इस्राइल के वैज्ञानिको ने उनकी बात एलियन से कराई थी। इस्राइल के वैज्ञानिक अपनी कुशाग्र बुद्धि के लिए विश्व विख्यात है, विशेषकर अमेरिका में अनेक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक और सामरिक ठिकानो पर नियुक्त है। एतिहासिक तथ्यो के आधार पर इस्राइल का नाम हजरत मूसा के जमाने मे तत्कालीन राजा फिरओन की कैद से छुड़ाकर लाए गये और फिर यहां बसाए गये इस्राइल की संतानो के नाम से पड़ा है। हजरत मूसा ने ईश्वर के आदेश पर उनको फिरओन की कैद से छुड़ाया था। जब वो इनको लेकर जा रहै थे रास्ते मे पड़ाव करना पड़ा, जहां खाने पीने की व्यवस्था नहीं थी। मूसा ने ईश्वर से प्रार्थना की, तब आसमान से अन्न की बारिश हुई, जिसे मन-सलवा कहते है। ईश्वर प्रदत्त पवित्र अन्न ग्रहण करने के कारण ये माना जाता है, इस्राइली कुशाग्र बुद्धि और चालाक होते है। यही वजह अपेक्षाकृत छोटा देश होने के बावजूद विश्व भी अनेक मामलो में इस्राइल का लोहा मानता है।
2016 मे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार आने के बाद से भारत का झुकाव भी इस्राइल की तरफ ज्यादा है। भारत के इस्राइल से रिश्ते सर्वविदित है। चाहे सामरिक मामले या महामारी से निपटना भारत और इस्राइल कंधे से कंधा मिलाकर चल रहै है। यही वजह है कि जब इस्राइल निर्मित पेगासस सॉफ्टवेयर का दुनिया मे शोर मच रहा है तो भारत भी अछूता नहीं है। भारत इस्राइल के घनिष्ठ संबंधो के चलते सरकार पर संदेह वाजिब है। अभी तो केवल शौर हे, पेगासस का सत्य जांच पर ही पता चलेगा, पता चलेगा भी या नहीं ईश्वर जानता है। क्योंकि वर्तमान सरकार की कार्य पद्घति मे, अगर सरकार ने कुछ किया है तो उस पर जांच बैठाकर अपनी पोल खोलना नामुमकिन है। इस्राइल के कुशाग्र बुद्धि और चालाक इंफो वैज्ञानिको ने इस सॉफ्टवेयर का निर्माण भी चालाकी से किया है, जिससे उन पर आरोप लगाकर उन्हें पकडना दूर की कोड़ी है। उनका स्पष्ट कहना कि हमने कार बनाकर बेच दी, अब उस कार से कोई एक्सीडेंट कर किसी का खून कर देता है तो हमारी जिम्मेदारी नही है। इसे हम यूं समझे कि भारत की सड़को पर टाटा के लाखो वाहन चलते है, टाटा ने हर एक वाहन के साथ युजर मैन्युअल दिया है। अब कोई उस मैन्युअल के अनुसार काम न कर दुर्घटना करे या उल्ट फेर करे तो टाटा जिम्मेदार नहीं है।
पेगासस पर विस्तृत चर्चा से पूर्व उसकी कार्य पद्धति को समझना जरूरी है, कि कितना भी शौर मचा लो, इस्त्राइली टेक कम्पनी एनएसओ का कुछ बिगाड़ पाना संभव नहीं है। पेगासस स्पाइवेयर यूजर को बताए बिना आइओएस या एंड्रॉयड डिवाइस को हमेशा के लिए सर्विलांस डिवाइस बना सकता है। स्पाइवेयर मैलेशियस यूआरएल, वाइस कॉल में बग या एक मिस्ड काल के जरिए हैकिंग कर सकता है। पेगासस स्मार्ट फोन के माइक्रोफोन, कैमरा, ऑडियो टेक्स्ट मैसेज, ईमेल और लोकेशन तक की जानकारी हासिल कर सकता है। वैसे तो दुनिया मे जासूसी के सेंकड़ो तरीके है, लेकिन आपके मोबाइल फोन पर काबू कर आपकी हर गतिविधि पर नजर रखकर उसकी सूचना गंतव्य तक पहुंचाना अपने आप में एक विचित्र करिश्मा और बड़ी क्रांति है। ये स्पाइवेयर फोन पर अपना कब्जा जमा लेता है और जासूसी करने वाले को यह टार्गेट के फोन से मैसेज, फोटो, इमेल, कॉल के रेकार्ड समेत कैमरे और माइक्रोफोन का एक्सेस भी देता है। कंपनी के मुताबिक इसे ज्यादातर विभिन्न देशो की सेनाओं और सरकारी एजेन्सियो को ही बेचा गया है, वो भी ये सुनिश्चित करने के बाद कि इसके यूजर के देश में मानवाधिकार की स्थिती अच्छी हो।
हालाकि निर्माण करने वाली कम्पनी का स्पष्ट मत है कि ये स्पाइवेयर सिर्फ देशो को और देश की सुरक्षा एजेन्सियो के लिए बनाए गए और बेचे गये है, जिससे वो अपनी सुरक्षा के प्रति सचेत और चौकन्ने हो सके। किसी भी हालत मे एक स्पाइवेयर से सौ से ज्यादा लोगो की निगरानी संभव नहीं है। लेकिन कुछ मिडिया संस्थानो के एक समूह ने जिसका नेतृत्व एक फ्रांसिसी मिडिया समूह कर रहा है, दर्जनो ऐसी खबरे प्रकाशित की है, जिनमें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बड़े पैमाने पर जासूसी करने का दावा किया गया है। मिडिया ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के नम्बर को निशाना बनाने की बात कही है। इसी सूचना के आधार पर अतिरिक्त सुरक्षा की दृष्टि से अपना फोन और नम्बर बदल लिया है। हालांकि इस्राइली टेक फर्म ने एनएसओ समूह ने मैक्रो को टार्गेट करने के लिए पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल करने को खारिज कर दिया है। कंपनी विश्व भर मे उस पर हो रहै हमलो से त्रस्त होकर अपनी वेबसाइट पर एक बयान जारी किया है। कंपनी ने कहा है कि अब बहुत हो गया और वह मिडिया के सवालो का जवाब नहीं देंगे। हम अपनी टेक्नालॉजी के दुरूपयोग के किसी भी पुख्ता सबूत की जांच करेंगे। वैसे भी सिर्फ शौर मच रहा है, अभी तक कोई पुख़्ता सबूत सामने नही आया है, और न ही किसी देश की जांच सामने आई है। कुल मिलाकर कह सकते हैं “सूत न कपास जुलाहे में लठ्ठम लठ्ठा।”
पेगासस निःसंदेह जासूसी के अब तक के उपायो मे इश्वर प्रदत्त मन-सलवा खाने वाले इस्राइलियो का सबसे बड़ा क्रांतिकारी करिश्मा है, इससे जासूसी दुनिया में नये युग की शुरुआत होगी। यहीं वजह है कि विश्व में तहलका मचा हुआ है। भारत भी इससे अछूता नही है, हालाकि अब तक इसके दुरूपयोग के कोई प्रामाणिक सबूत सामने नही आए है, मिडिया ही दुरूपयोग के समाचार चला रहा है। प्राप्त सूचनाओ के आधार पर जो फ्रांस सहित विभिन्न देशो के मिडिया बता रहै है, इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल 40 देशो की संस्थाएं कर रही है, और 50000 से ज्यादा लोग 14 देशो के राष्ट्राध्यक्ष सहित इस स्पाइवेयर की जासूसी की ज़द में है। अपुष्ट समाचारो की भरमार भारत मे भी है, बता रहै है कि 300 से ज्यादा नाम भारत के भी पेगासस मे है। पेगासस नामक चीड़िया के वातावरण मे आने के बाद चूहो को जैसे चींदी मिल गई हो, भारत का हर नेता चाहे राहुल गांधी हो, मनोहरलाल खट्टर हो, अनिल अंबानी हो, सीबीआई के पूर्व अधिकारी हो या सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश गोगोई सब को अपना नाम पेगासस स्पाइवेयर की जासूसी मे दिख रहा है। पश्चिम बंगाल की मुख्य मंत्री ममता बनर्जी ने तो पेगासस के भय से अपने मोबाइल का कैमरा ढक लिया है। एक भाजपा सांसद ने अच्छा सुझाव दिया है कि यदि राहुल गांधी को पेगासस जासूसी का संदेह है तो वो अपना मोबाइल सरकार के पास जमा कराए जिससे की संदेह की पुष्टि की जा सके। फिलहाल तो पेगासस कंपनी खुद कह रही है कि वो सिर्फ सरकार को ही बेचती है, ऐसी स्थिति मे भारत सरकार का दायित्व है कि अपनी स्थिति स्पष्ट करे। अगर भारत ने ये स्पाइवेयर खरीदा है, तो सार्वजनिक तौर पर सरकार को घोषित करना चाहिए, देश की सुरक्षा के लिए प्रबंध करने में बुराई क्या है?