November 22, 2024

Muslim Population : देश में 1930 से चल रहा है मुस्लिम आबादी बढ़ाने का संगठित प्रयास,आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा

गुवाहाटी,22 जुलाई(इ खबर टुडे)। राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा है कि देश में 1930 से ही मुस्लिम आबादी बढ़ाने का संगठित प्रयास किया गया ताकि जनसंख्या बढ़ाकर इसे पाकिस्तान बनाया जा सके। भागवत ने कहा कि ऐसा करके वे अपने मकसद में कुछ हद तक कामयाब भी हो गए और देश का बंटवारा हो गया। उन्होंने यह भी कहा कि जिन स्थानों पर वे (मुस्लिम) बहुसंख्यक थे, वहां से उन लोगों को निकाल दिया गया, जो उनसे अलग थे। वे गुवाहाटी में आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे।

‘सिटिजनशिप डिबेट ओवर एनआरसी ऐंड सीएए-असम एंड द पॉलिटिक्स ऑफ हिस्ट्री (एनआरसी और सीसीएए-असम पर नागरिकता को लेकर बहस और इतिहास की राजनीति) शीर्षक वाली किताब के विमोचन के बाद भागवत ने कहा, ”1930 से योजनाबद्ध तरीके से मुसलमानों की संख्या बढ़ाने के प्रयास हुए। उसका कारण जैसा बताया गया कि कोई यहां संत्रास था इसलिए यहां संख्या बढ़े, ऐसा नहीं था। आर्थिक कोई जरूरत थी ऐसा नहीं। एक योजनाबद्ध ऐसा विचार था कि जनसंख्या बढ़ाएंगे, अपना वर्चस्व अपना प्रभुत्व स्थापित करेंगे, और फिर इस देश को पाकिस्तान बनाएंगे। ये पूरे पंजाब के बारे में था, यही सिंध, असम और बंगाल के लिए था।”

भागवत ने कहा कि कुछ मात्रा में यह सत्य हो गया, भारत का विभाजन हो गया। लेकिन वह पूरा जैसा चाहिए था वैसा नहीं हुआ। असम नहीं मिला, बंगाल आधा ही मिला, पंजाब आधा ही मिला। बीच में कॉरिडोर चाहते थे वह नहीं मिली। तो फिर जो मांग के मिला वह मिला जो नहीं मिला वह कैसे लेना, ऐसा भी विचार चला। इसलिए दो प्रकार हो गए, कुछ लोग वहां से आते थे पीड़ित होकर, शरणार्थी के रूप में, और कुछ लोग आते थे, जाने-अनजाने होगा, चाहे-अनचाहे होगा, लेकिन संख्या बढ़ाने के उद्देश्य से आते थे। इसके लिए उनको सहायता होती थी और होती है आज भी।

मुसलमानों की आबादी बढ़ाने के पीछे उद्देश्यों के बारे में संघ प्रमुख ने आगे कहा, ”जितने भूभाग पर हमारी संख्या बढ़ेगी होगी, वहां सबकुछ हमारे जैसा होगा, जो हमसे अलग है वह हमारी दया पर रहेगा अथवा नहीं रहेगा। पाकिस्तान में यही हुआ, बांग्लादेश में यही हुआ, वह भी पहले पाकिस्तान ही था। चार बार तो उन्हें बाहर निकाला ही गया जो अलग थे। बहुसंख्यक से जो अलग थे उन्हें निकाला गया। कारण कुछ नहीं था, वह अलग थे यही कारण था।”

You may have missed