November 22, 2024

RSS chief Mohan Bhagwat/RSS प्रमुख भागवत के बयान पर ओवैसी का पलटवार, कहा- ये नफरत हिंदुत्व की देन

नई दिल्ली,05 जुलाई (इ खबरटुडे)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत के बयान के बाद अब सियासत शुरू हो गई है। आरएसएस प्रमुख ने कहा था कि सभी भारतीयों का डीएनए एक है और मुसलमानों को ‘‘डर के इस चक्र में’’ नहीं फंसना चाहिए कि देश में इस्लाम पर किसी तरह का खतरा मंडरा रहा है।

साथ ही मोहन भागवत ने यह भी कहा था कि जो लोग मुसलमानों से देश छोड़ने को कहते हैं, वे खुद को सच्चा हिंदू अनुयायी नहीं कह सकता है। आरएसएस प्रमुख के इस बयान के बाद अब ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमख असदुद्दीन ओवैसी ने भागवत पपर पलटवार करते हुए कहा कि देश में ये नफरत हिंदुत्व की देन है।

साथ ही इस मामले में कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने भी मोहन भागवत पर निशाना साधते हुए कहा कि क्या ये ज्ञान वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और बजरंग दल कार्यकर्ताओं को दे सकते हैं?

ओवैसी बोले, हिंदुत्व के कारण फैली नफरत
एआईएमआईएम प्रमुख ने एक ट्विट के जरिए कहा कि ‘’RSS के भागवत ने कहा लिंचिंग करने वाले हिंदुत्व विरोधी। इन अपराधियों को गाय और भैंस में फर्क नहीं पता होगा, लेकिन कत्ल करने के लिए जुनैद, अखलाक़, पहलू, रकबर, अलीमुद्दीन के नाम ही काफी थे, ये नफ़रत हिंदुत्व की देन है, इन मुजरिमों को हिंदुत्ववादी सरकार की पुश्त पनाही हासिल है।

औवसी ने एक अन्य ट्विट में कहा कि ‘’केंद्रीय मंत्री के हाथों अलीमुद्दीन के कातिलों की गुलपोशी हो जाती है, अखलाक़ के हत्यारे की लाश पर तिरंगा लगाया जाता है, आसिफ़ को मारने वालों के समर्थन में महापंचायत बुलाई जाती है, जहां भाजपा का प्रवक्ता पूछता है कि “क्या हम मर्डर भी नहीं कर सकते?” ओवैसी ने कहा कि ‘’केंद्रीय कायरता, हिंसा और कत्ल करना गोडसे की हिंदुत्व वाली सोच का अटूट हिस्सा है। मुसलमानों की लिंचिंग भी इसी सोच का नतीजा है।’’

मोहन भागवत ने दी थी ये नसीहत
गौरतलब है कि एक दिन पहले आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि ‘‘हिन्दू-मुस्लिम एकता की बात भ्रामक है क्योंकि वे बिल्कुल भी अलग नहीं है। सभी भारतीय है और सभी का DNA भी एक ही है, फिर चाहे वे किसी भी धर्म के क्यों न हो। आरएसएस प्रमुख ने जोर देकर कहा कि एकता का आधार राष्ट्रवाद और पूर्वजों का गौरव होना चाहिए। हिन्दू-मुस्लिम संघर्ष का एकमात्र समाधान ‘संवाद’ है, न कि ‘विसंवाद’।

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