पेट्रोल की जगह Flex Fuel का इस्तेमाल शुरू करेगी भारत सरकार, एक लीटर तेल में बचेंगे 30-35 रुपये
नई दिल्ली,21 जून( इ खबर टुडे)। पेट्रोल की बढ़ती कीमतों की छुटकारा पाने के लिए सरकार फ्लेक्स फ्यूल इंजन लेकर आ रही है। यह फ्यूल पेट्रोल और डीजल की तुलना में सस्ता होगा और इसे देश के अंदर बनाया जा सकता है।
सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी का कहना है कि इस वैकल्पिक ईंधन की कीमत 60-62 रुपये प्रति लीटर होगी, जबकि पेट्रोल की कीमत 100 रुपये प्रति लीटर से भी ज्यादा है। इस तरह एथनॉल के इस्तेमाल से लोगों को प्रति लीटर 30-35 रुपये की बचत होगी। पेट्रोल और डीजल दोनों ही ग्लोबल मार्केट से रेगुलेट होते हैं। इसलिए सरकार इनके दाम कम नहीं कर सकती। इस वजह से सरकार ने पेट्रोल की बढ़ती कीमतों में लगाम लगाने के लिए पेट्रोल की जगह एथनॉल का इस्तेमाल करने का फैसला किया है।
जल्द ही फ्लेक्स फ्यूल पर बड़ा फैसला लेगी सरकार
सरकार अगले 8-10 दिनों में फ्लेक्स फ्यूल इंजन पर बड़ा फैसला लेने जा रही है। अब फ्लेक्स फ्यूल इंजन ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के लिए अनिवार्य होगा। सरकार पेट्रोल की जगह एथनॉल को ईंधन के रूप में इस्तेमाल करेगी। नितिन गडकरी ने एक इवेंट में कहा “मैं परिवहन मंत्री हूं, मैं इंडस्ट्री को एक आदेश जारी करने जा रहा हूं कि केवल पेट्रोल इंजन नहीं होंगे, फ्लेक्स-फ्यूल इंजन भी होंगे, जहां लोगों के पास 100 परसेंट कच्चे तेल या 100 परसेंट एथनॉल का इस्तेमाल करने का विकल्प होगा। हम फ्लेक्स फ्यूल इंजन को ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के लिए अनिवार्य बनाने जा रहे हैं।”
अमेरिका और ब्राजील जैसे देशों में बन रहा है फ्लेक्स फ्यूल
नितिन गडकरी ने बताया कि ब्राजील, अमेरिका और कनाडा जैसे देशों में ऑटोमोबाइल कंपनियां फ्लेक्स फ्यूल ईंधन का उत्पादन कर रही हैं। इन देशों में ग्राहकों को 100 परसेंट पेट्रोल या 10 परसेंट बायो एथनॉल लेने का विकल्प मिल रहा है। फिलहाल एक लीटर पेट्रोल में 8.5 परसेंट एथनॉल मिलाया जाता है, जो कि 2014 में 1 से 1.5 परसेंट होता था। इस दौरान एथनॉल की खरीदारी भी 38 करोड़ लीटर से बढ़कर 320 करोड़ लीटर पहुंच गई है।
स्वदेशी ईंधन होगा एथनॉल
परिवहन मंत्री के अनुसार देश में खाद्य पदार्थों का उत्पादन जरूरत से ज्यादा है और सरकार का समर्थन मूल्य अंतर्राष्ट्रीय कीमतों से ज्यादा है। इसलिए हम अपना उत्पादन बाहर नहीं भेज सकते हैं। जरूरत से ज्यादा उत्पाद समस्या पैदा कर रहा है। इसलिए मकई, गन्ने और गेंहू से सरकार एथनॉल जूस बनाएगी और इसे पेट्रोल की जगह इस्तेमाल किया जाएगा। एथनॉल, पेट्रोल से कहीं बेहतर ईंधन है। इसकी लागत और प्रदूषण भी कम है। यह भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने वाला कदम है।
2025 तक पेट्रोल में 20 फीसदी तक एथनॉल मिलाने का लक्ष्य
प्रदूषण में कटौती और इंपोर्ट पर निर्भरता कम करने के लिए सरकार पेट्रोल में 20 फीसदी तक एथनॉल मिलाएगी। इससे पहले सरकार ने 2022 तक पेट्रोल में 10 फीसदी एथनॉल मिलाने का लक्ष्य रखा था और 2030 तक 20 फीसदी एथनॉल मिलाने का लक्ष्य था। लेकिन पेट्रोल की बढ़ती कीमतों को देखते हुए इसकी समयसीमा 2030 से घटाकर 2025 कर दी गई है।