Raag Ratlami Politics:कोरोना गया.अब सियासत चालू,फूलछाप पार्टी में पदों के लिए मची भारी खींचतान
-तुषार कोठारी
रतलाम। कोरोना के जाने भर की देरी थी कि सियासत जोर मारने लग गई। फिलहाल फूल छाप की सियासत गर्म है। हाल में फूलछाप की प्रदेश कार्यसमिति घोषित हो गई। अब जिले की कार्यकारिणी पर नेताओं की नजरें लगी हुई है। माना जा रहा है कि इसी हफ्ते में जिले की कार्यकारिणी भी घोषित कर दी जाएगी। जिले मुखिया के बाद तीन बडे पद महामंत्री के होते है,और बहुत सारी खींचतान इन्ही तीन पदों को लेकर चल रही है।
फूलछाप पार्टी की प्रदेश कार्यसमिति में जिले से कुल 7 नेताओं को जगह मिली है। इनमें से दो तो फूल छाप के वरिष्ठ विधायक है। चूंकि श्रीमंत पंजा पार्टा को छोडकर फूल छाप में आ गए है,इसलिए उनके दो दरबारियों को भी प्रदेश में लिया गया है। इनमें भी रतलाम वाले भैया की उड के लगी है। रतलाम वाले श्रीमंत के दरबारी की हैसियत अब तक एक पूर्व पार्षद की थी। किसी को भी अंदाजा नहीं था कि उन्हे श्रीमंत की सेवा का इतना बडा मेवा मिल सकता है। लेकिन श्रीमंत की सेवा काम आई और उन्हे सीधे प्रदेश में मौका मिल गया। श्रीमंत के दूसरे दरबारी जावरा वाले दरबार को तो खैर मौका मिलना ही था,क्योंकि उनका कद रतलाम वाले भैया की तुलना में तो काफी बडा है। लेकिन इन चार के अलावा जो तीन नेता और लिए गए है,उनमें भैयाजी की ही चली। इन तीन में से दो रतलाम के है और ये माना जा रहा है कि ये दोनो नाम भैयाजी की पसन्द के है। जावरा वाले नेताजी तो पहले जिलाध्यक्ष थे ही। इसके अलावा वे काली टोपी वालों के कोटे से आते है,इसलिए उनका प्रदेश में आना तो सामान्य सी बात है।
लेकिन फूल छाप वाले नेताओं की बडी खींचतान जिले की कार्यकारिणी को लेकर चल रही है। फूल छाप पार्टी में उम्र की शर्त को ताक पर रखकर भैयाजी ने लुनेरा दरबार को दोबारा मुखिया की कमान दिलवाई थी। जिले की कमान तीन साल के लिए मिलती है। इनमें से दो साल तो गुजर भी चुके है। इन दो सालों से बाकी के नेता उम्मीदें लगाए बैठे हैैं कि उन्हे भी कोई ना कोई पोस्ट मिलेगी। लेकिन दो साल गुजरने के बाद अब वो मौका नजदीक आता दिखाई दे रहा है। हांलाकि अब पोस्ट मिल भी जाएगी तो वो केवल एक साल के ही लिए रहेगी। लेकिन फिर भी नेताओं में इसके लिए जोर आजमाईश जारी है।
सबसे ज्यादा जोर आजमाईश महामंत्री के तीन पदों को लेकर है। इन तीन पदों में से एक तो जावरा वाले डाक्टर साहब ने अपने समर्थक के लिए रिजर्व कर ली है। अब बचे दो पद। इन दो पदों के लिए ढेरों दावेदार मौजूद है। वैसे ज्यादातर लोग मान रहे है कि यहां भी आखिरकार भैयाजी के ही मन की होगी। भैयाजी ने इन दो पदों में से एक के लिए सैलाना वाली मैडम का नाम भेजा है। अब बचा केवल एक पद। इस पद के लिए भैयाजी की पसन्द दूसरे नेताओं से टकरा रही है। पिछली बार महामंत्री रहे एक नेताजी इसके लिए तगडी जोर आजमाईश कर रहे है। वैसे तो जिले में उपाध्यक्ष के नौ और मंत्री के नौ पद और है। इनके लिए भी खीचतान जारी है। लेकिन जल्द ही इस खींचतान पर रोक भी लगने वाली है। जैसे ही नई कार्यकारिणी की घोषणा होगी सारी खींचतान बन्द हो जाएगी।
कोरोना गया अब टीके की बारी…….
कोरोना अब लगभग जा चुका है। रोजाना जारी होने वाले आंकडे अब जीरो भी दिखाने लगे है। हर तरफ राहत महसूस की जा रही है। जिला इंतजामियां के नए आए साहब के आते ही कोरोना की रवानगी का सिलसिला शुरु हो गया था,जो कि जून के आते आते पूरा हो गया। बडे साहब इसके लिए काफी तारीफें भी बटोर चुके है। लेकिन अब अगर तीसरी लहर आई,तो टीका ही लोगों को बचाएगा। नए साहब के लिए असल चुनौती तो अब आई है। शहरी इलाकों के लोग तो खुद आगे बढकर टीका लगवा रहे है,लेकिन मामांचलों में टीकाकरण न के बराबर है। तीसरी लहर से मुकाबले में जीत की गारंटी टीके को ही माना जा रहा है,लेकिन दूर दराज के गांववाले टीके से दूर भाग रहे है। जिला इंतजामियां मुख्यालय पर रैलियां निकाल कर दूर दराज के गांववालों को कैसे जागरुक करेगा? यह बडा सवाल है। दस दिन के टीकाकरण अभियान के बाद इस सच्चाई का पता चलेगा कि जिला इंतजामियां की कोशिशों में कितना दम है? बडे साहब ने खबरचियों को बुलाकर टीकाकरण की योजना तो बता दी,देखना है कि उनकी यह योजना कितना कारगर होती है, और कितने देहाती लोग टीका लगवाने को राजी होतै है?